पर्दा प्रथा पर निबंध Parda Pratha Essay In Hindi

Parda Pratha Essay In Hindi

दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से पर्दा प्रथा पर लिखें निबंध को पढ़ेंगे ।

पर्दा प्रथा का मतलब क्या होता है?

पर्दा प्रथा महिलाओं पर थोपी गई प्रथा है । पर्दा शब्द फारसी भाषा से लिया गया है । पर्दा शब्द एक इस्लामिक शब्द माना जाता है । जो की अरबी भाषा में है । ऐसा माना जाता  है कि पर्दा प्रथा या घूंघट प्रथा जैसी कुरीति का जन्म हमारे भारत में 12 वीं सदी से हुई है । पर्दा प्रथा की शुरुआत मुस्लिम समुदाय के द्वारा प्रारंभ की गई थी ।

जब मुस्लिम महिला घर से बाहर जाती है तब अपने चेहरे को ढकने के लिए पर्दा करती है । हिंदू धर्म में पर्दा प्रथा की शुरुआत राजस्थान से हुई थी । ऐसा कहा जाता है कि राजपूतों के द्वारा यह प्रथा प्रारंभ हुई थी ।

Parda Pratha Essay In Hindi
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महिलाओं को पर्दा करने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । पर्दा प्रथा से महिलाओं की मानसिकता कमजोर होती है । महिला अपने आपको कमजोर समझने लगती हैं । हमारे भारत देश में जब से यह प्रथा प्रारंभ हुई है तब से देश की महिलाएं इस प्रथा को निभा रही है ।

पर्दा प्रथा के कारण ही महिला अपने आपको असहज समझती है । जब महिला को किसी तरह की कोई बीमारी हो जाती है तब वह अपनी बीमारी को पूरी तरह से डॉक्टर को नहीं बता पाती है ।

हमारे हिंदू शास्त्रों में शादी के समय स्त्री को पुरुष का चेहरा दिखाया जाता है और लड़की को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है । हिंदू ग्रंथों के अनुसार लड़के एवं लड़की को अपना जीवनसाथी चुनने का हक होता है । यदि हम लड़की को पर्दे के अंदर छुपा कर रखेंगे तो वह अपने आपको एक सफल इंसान कैसे बनाएगी ।

इतिहास के विषय में हम जितना जानेंगे हमको उतनी ही गहराई से प्राचीन इतिहास के बारे में मालूम पड़ेगा । प्राचीन समय में हमारे देश में कई  कुप्रथाएं थी जिन प्रथाओं के कारण महिलाओं पर अत्याचार किया जाता था ।

पर्दा प्रथा से महिलाओं को कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ी है । हम कई बार यह देखते हैं कि  कोई महिला बाजार जाती है तो उसे अपना सिर साड़ी के पल्लू से ढकना होता है । पर्दा प्रथा महिलाओं पर थोपी गई प्रथा है ।

पर्दा प्रथा महिलाओं को पुरुषों की नजरों से बचाने के लिए शुरू की गई थी । मुस्लिम महिलाएं बुर्खा पहनकर ही घर से बाहर निकलती हैं ।  जब तक महिलाओं को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं किया जाएगा तब तक महिलाओं के ऊपर अत्याचार होते ही रहेंगे । महिलाओं को उनको पूरा सम्मान देना चाहिए । इनको किसी भी प्रथा में बांधकर रखने का हक हमारा नहीं है ।

जिस तरह से पुरुष अपने जीवन को सही ढंग से जिता है उसी तरह से महिलाओं को भी अपना जीवन अपने तरीके से जीने का अधिकार होता है । 21वीं सदी में महिलाएं एवं लड़कियां हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रही है क्योंकि हमारे देश में लड़कियों का शिक्षा स्तर बढ़ता जा रहा है जिससे नारी भी समझदार हो गई हैं । भारतीय कानून भी नारी को अपना जीवन जीने का अधिकार देता है । आज समाज भी दिन-प्रतिदिन बदलता जा रहा है ।

कई ऐसी कुप्रथाएं थी जो आज समाज के दायरे से बाहर हो चुकी हैं । जिन प्रथाओं से महिला जाति को अपना अपमान सहन करना पड़ता था । यदि लड़कियां पर्दा करती रही तो वह अपने आप को एक सफल इंसान कैसे बनाएंगी । यदि स्कूलों एवं कॉलेजों में लड़कियां पर्दा करके जाएंगी तो वह शिक्षा प्राप्त कैसे करेंगी । महिलाओं को हमें बराबरी का सम्मान देना चाहिए।

पर्दा प्रथा का अंत कब और किसने किया था

पर्दा प्रथा का अंत अभी पूरी तरह से नहीं हुआ है। हां यह हम कह सकते हैं की आज के आधुनिक युग में पर्दा प्रथा थोड़ी कम हुई है। पर्दा प्रथा को दूर करने के लिए राजा राममोहन राय जैसे कई समाज सुधारो ने पहल की है।

किसी तरह की कोई भी प्रथा महिलाओं के ऊपर नहीं थोपनी चाहिए । जब हम इन प्रथाओं को छोड़कर ऊपर उठेंगे तब जाकर के नारी को उनका सम्मान मिलेगा और वह अपने जीवन को एक सफल जीवन बना सकेंगी ।

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