पालिताना मंदिर जैन धर्म का एक प्रसिद्ध स्थान palitana temple history in hindi
Palitana temple history in hindi
दोस्तों आज हम आपको जैन धर्म का तीर्थ स्थल पालीताना मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं । यह जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक स्थल है । यहां की सुंदरता देखने लायक होती है । यहां पर हर जैन धर्म के लोग घूमने के लिए जाते हैं, भगवान के दर्शन करते हैं । जैन धर्म के सभी लोगों की आस्था यहां पर होती है । वह पालीताना मंदिर के तीर्थ स्थल घूमने के लिए जरूर जाते हैं । चलिए अब हम पालीताना तीर्थ स्थल के बारे में और भी जानेंगे।
पालीताना तीर्थ स्थल जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह गुजरात राज्य की भावनगर जिला में स्थित है। भावनगर जिला से करीबन 50 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर यह मंदिर स्थित है । यह तीर्थ स्थल 11 वीं शताब्दी में बनाया गया था इस । तीर्थ स्थल को घूमने में जैन धर्म के लोगों की बड़ी आस्था है । यह मंदिर 1618 ईस्वी में बना था यह मंदिर संगमरमर से बना हुआ है । यहां का चौमुखा मंदिर क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है और भी मंदिर जैसे कि कुमार पाल , मिल शाह ,संप्रति राजमंदिर आदि इस क्षेत्र के बड़े मंदिर हैं । इस मंदिर को घूमने की जैन धर्म मैं मान्यता है । हर जैन धर्म के लोग इस मंदिर को घूमने के लिए अवश्य जाते हैं ।यह मंदिर शत्रुंजय नदी के शत्रुंजय पर्वत के शिखर पर स्थित है और इस शिखर पर 863 मंदिर हैं । सभी मंदिर चमकदार है । जब सूर्य की किरण इन मंदिरों पर पड़ती है तब ऐसा लगता है मानो कोई हीरा चमक रहा है । यह मंदिर संगमरमर के बने हैं ।यह कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद मंदिर में कोई भी नहीं रुकता है वहां पर सिर्फ देव साम्राज्य ही रुकते हैं।
यह प्रथम तीर्थ स्थल भगवान ऋषभदेव का है और सभी जैन धर्म के लोग दर्शन करने के लिए अवश्य जाते हैं । जैन धर्म के लोगों में यह मान्यता है कि यहां पर जो भी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं उनकी सारी मुरादें पूरी होती हैं । यह मंदिर चोटी पर्वत पर होने के कारण और भी सुंदर दिखाई देता हैं ।जब हम इन मंदिरों को देखते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि मानो यहां पर हीरो की खदानें हैं। जब सूर्य की किरण इन मंदिरों पर पड़ती है तो मंदिर चमकीले एवं चमकदार दिखने लगते हैं । सतरंगी चमक वहां से दिखाई देती है । इन मंदिरों को बनाने के लिए कारीगरों ने अपनी पूरी कला का उपयोग किया था । ऐसा लगता है कि कारीगरों ने अपनी बुद्धि और मस्तिष्क का प्रयोग करके पूरी कला से इस मंदिर को बनाया हो । जैन धर्म के लोग जब आदि नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं तो उनको यह प्रतीत होता है कि भगवान उनके सामने खड़े हैं । जैन धर्म के लोगों का इस मंदिर पर पूर्ण विश्वास है और उनका मानना है की इस मंदिर के दर्शन करने के बाद मोक्ष प्राप्त होता है, हम सभी मोह माया के बंधन से मुक्त हो जाते हैं । इस क्षेत्र को सिद्ध क्षेत्र भी कहा जाता है।
यह कहा जाता है कि जैन धर्म के सभी तीर्थको ने यही पर निर्वाण प्राप्त किया था और महाभारत के युधिष्ठिर , भीम और अर्जुन ने भी यहां पर निर्वाण प्राप्त किया था। जैन धर्म के लोगों की यह मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं खाया जाता है और ना ही लिया और दिया जाता है। इसी कारण से जो तीर्थ यात्रा करने के लिए तीर्थ यात्री यहां पर जाते हैं वह सूर्यास्त के पहले ही पहाड़ों ,मंदिरों से उतर कर नीचे आ जाते हैं और सूर्यास्त से पहले ही भोजन ग्रहण कर लेते हैं । रात के समय सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि जैन धर्म के लोगों का यह मानना है कि रात के समय भगवान विश्राम करते हैं । पहाड़ियों की चोटी पर अंगत पीर तीर्थ स्थल है यह माना जाता है कि उस तीर्थ स्थल पर अगर वह व्यक्ति जिसकी संतान नहीं हो रही है अगर वह वहां पर जाकर मन्नत मांगता है तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है । यह भी कहा जाता है कि पीर बाबा साहब के आशीर्वाद से उस व्यक्ति को संतान अवश्य प्राप्त हो जाती है ।
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