नीरजा भनोट की जीवनी Neerja bhanot biography in hindi
Neerja bhanot biography in hindi हीरोइन ऑफ़ हाईजेक
हेलो फ्रेंड्स कैसे हैं आप सभी, माय डियर फ्रेंड्स आज मैं आप सभी के साथ Neerja bhanot biography & life story in hindi शेयर करने वाला हु जो एक ऐसी लड़की के बारे में है जो हम सभी को बहुत कुछ सिखाती है,माय डियर फ्रेंड्स दुनिया में बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जो भुलाए नहीं जाते,वह हम सभी के लिए कुछ ऐसा कर जाते हैं जो हर इंसान नहीं कर पाता.
आज मैं आप सभी को एक ऐसी महान लड़की के बारे में बताने वाला हूं जिसके द्वारा किये गए काम की तारीफ़ ना की भारत बल्कि पाकिस्तान,अमेरिका जैसे देश भी करते है क्योकि वोह उन सभी देश के लोगो के साथ भी ऐसा कुछ कर गयी जो शायद उस देश के लोग भी किसी अपने खुद के देश वालो के साथ ना कर पाए,चलिए आगे पढते है Neerja bhanot biography & life story in hindi जिस पर पूरे भारत को गर्व है की वोह हमारे देश में जन्मी है.
Family background
नीरजा भनोट भारत के चंडीगड़ की रहने वाली है,उनके पिता का नाम हरीश भनोट और माता का नाम रमा भनोट था,उनके पिता एक अखबार में पत्रकारिता के तौर पर काम करते थे,उन्होंने अपनी बच्ची को पढाया लिखाया,और उस बच्ची को बहुत ही अच्छे संस्कार सिखाये.जब वोह २२ साल की हुयी तोह उनके माँ बाप ने उनकी शादी करदी.
लेकिन उनके ससुराल वाले दहेज़ का कुछ दबाब डाल रहे थे,इस कारण उनकी शादी कुछ ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी.और उन दोनों में तलाक हो गया.
तलाक हो जाने के बाद उसने नोकरी के लिए आवेदन किया और 1985 में ही उसने एक नौकरी ज्वाइन कर ली उसने विमान में विमान परिचारिका की नौकरी की,उसके बाद उसका काम काफी अच्छे से चल रहा था और वह वहां की सीनियर थी सब कुछ अच्छा चल रहा था.
नीरजा भनोट की असली कहानी Neerja bhanot real story in hindi
1985 में एक ऐसी घटना घटी कि जो आज भी हर इंसान को याद रहती है 1985 में पाकिस्तान के लाहौर में फ्लाइट एयरपोर्ट पर खड़ा हुआ था तभी आतंकवादियों ने उस विमान को हाईजेक कर लिया था. जब नीरजा को ये बात पता लगी तोह उन्होंने काफी कोशिश की एरोप्लेन में काम कर रहे अपने सहपाठी लोगों तक ये बात पहुचाई.किसी तरह से उसने एयरपोर्ट एरोप्लेन में काम कर रहे लोगों तक ये बात पहुचाई की विमान हाईजेक हो गया है, तो एरोप्लेन के पायलट और साथ में कुछ और चार पांच लोग थे वह बात सुनते ही प्लेन में से भाग खड़े हुए लेकिन नीरजा और सभी यात्री उन आतंकवादियों के बीच में फसे हुए थे.
वास्तव में किसी कारण बस आतंकबादी फ्लाईट में बैसे अमेरिकन लोगो को मार डालना चाहते थे,नीरजा ने सोचा अगर इन सभी आतंकवादियों को पता चल गया कि इस फ्लाईट में 41 अमेरिकन है तो यह आतंकवादी इन अमेरिकनों को मार डालेंगे तो नीरजा ने उन सभी 41 अमेरिकन यात्रियों के पासपोर्ट सीट के नीचे छुपा दिए और काफी कोशिश की उन 41 अमेरिकन लोगो को बचने की, लेकिन फिर भी दो अमेरिकन को आतंकवादियों ने मार डाला क्योंकि वह उनके हाथ लग चुके थे.
इसके बाद नीरजा सोच रही थी कि किस तरह इन आतंकवादियों से मेरे सभी यात्रियों को बचाया जाए वह सोच रही थी कि फ्लाइट उड़ गया तो और भी ज्यादा खतरा है,आतंकवादी इस फ्लाईट को उड़ाना चाहते थे लेकिन उनके पास कोई नहीं था इसलिए उन्होंने पाकिस्तान से एक पाइलेट भेझने को कहा लेकिन पाकिस्तान वालो ने मन कर दिया.
जब पाकिस्तान की सरकार ने उन आतंकवादियों को मना कर दिया तो उन आतंकवादियों ने एक इंग्लैंड के व्यक्ति को एरोप्लेन के दरवाजे पर खड़ा करके उसकी कनपटी में बंदूक तान दी और पाकिस्तान सरकार से कहा कि अगर हमारे प्लेन के अंदर कोई पायलट नहीं भेजा गया तो हम इस व्यक्ति को मार डालेंगे फिर किसी तरह नीरजा ने उस इंग्लैंड के व्यक्ति को बचाया और उनका ध्यान अपनी ओर खींचा उसके बाद नीर्जा ने अपने सभी यात्रियों को एरोप्लेन से बचाने के लिए कुछ उपाए किये लेकिन कुछ ना हुआ
नीरजा भनोट की मृत्यु कैसे हुई?
समय गुजरता गया और जब उस एरोप्लेन में फ्यूल खत्म हो गया तो उसकी लाईट धीमी हो गई और एरोप्लेन में अंधेरा छा गया तो नीरजा ने मौका देख कर उस एरोप्लेन की आपातकालीन खिड़की तोड़ दी और आपातकालीन खिड़की से अपने सभी यात्रियों को निकाल दिया,वो सबसे आगे निकल सकती थी लेकिन उसने सबसे पहले एरोप्लेन के अन्दर के सभी व्यक्तियों को बहार निकाला,उसके बाद एरोप्लेन से जाने का फैसला किया
अगर निरजा चाहती तो सब से आगे निकल कर अपनी जान बचा सकती थी लेकिन निरजा ने ऐसा कुछ भी नहीं किया क्योंकि वह अपने सभी यात्रियों की जान बचाना चाहती थी,आखरी में जब निरजा उस प्लेन से बाहर निकल रही थी तो उसने देखा कि 3 बच्चे उस प्लेन में फस चुके हैं उन को ले जाने वाला उन को बाहर निकालने वाला कोई भी नहीं है इसलिए उसने उन तीनों बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन बहार निकालते समय ही उन सभी आतंकवादियों ने उस लड़की को मार डाला और बेचारी वह नीरजा मारी गई. वो 3 बच्चे तो किसी तरह बच गए थे,लेकिन बिचारी निरजा मारी जा चुकी थी एक ऐसी बच्ची आज मारी जा चुकी थी जिसने 376 लोगों की जान बचाई.
दोस्तों निरजा के मर जाने के बाद भारतवासी ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, अमरीका और इंग्लैंड के देशवासी भी बहुत रोए क्योंकि उस फ्लाईट में भारतीय भी थे पाकिस्तानी भी थे और इंग्लैंड के निवासी थे अमेरिकन भी थे,सभी लोगों की उस ने जान बचाई और उसकी जान जाने के बाद सभी देश बहुत रोए क्योंकि उन्होंने एक बहादुर लड़की को खो दिया था.
नीरजा भनोट को अशोक चक्र कब मिला
नीरजा के खत्म हो जाने के बाद उसको 1987 में अशोक चक्र से सम्मानित किया गया,यह पुरस्कार एक वीरता का पुरस्कार होता है और इसके बाद भी नीरजा के नाम पर बहुत सारे अवार्ड दिए गए.
दोस्तों नीरजा के जीवन की कहानी वाकई में मुझे बहुत इंस्पायर करती है क्योंकि इस लड़की ने हम सभी को बहुत बड़ी सीख दी है और हम सभी को जीवन में एक ऐसी प्रेरणा दी है कि जिससे हम जीवन में काफी कुछ कर सकते है,1986 में इस बच्ची ने अपनी जान पर खेल कर बहुत सारे लोगों की जान बचाई उसने दूसरों की मदद की इसलिए हम सभी लोगों को भी दूसरों की मदद करना चाहिए और इससे हम सभी को सीख लेना चाहिए.
अगर वोह चाहती तो वह अपनी जान बचाकर बाहर निकल सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं सोचा और अपनी जान से भी ज्यादा उन 376 लोगों की जान को अनमोल समझा हमारे देश के लिए एक बहुत बड़े गर्व की बात है कि इस तरह की लड़की ने हमारे देश में जन्म लिया और वह कर दिखाया जो दुनिया में आज के जमाने में हर कोई नहीं कर सकता
हमको नीरजा जैसी लड़कियों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. हम सभी लोग सिर्फ अपने लिए जीते हैं लेकिन इस लड़की के बारे में बता कर मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि अगर आप कुछ कर सको जिंदगी में तोह दूसरों के लिए जरुर करना तो माय डियर फ्रेंड्स मुझे कमेंटस के जरिए जरूर बताएं कि आपको हमारी ये कहानी कैसी लगी और मेरा फेसबुक पेज लाइक करना न भूले और ज्यादा से ज्यादा इस कहानी को अपने दोस्तों में पहुंचाने के लिए मेरा facebook पेज शेयर जरुर करें.