नरक या रूप चतुर्दशी का महत्व, कथा व् पूजा विधि Narak chaturdashi puja vidhi, story in hindi
Narak chaturdashi(roop chaudas) puja vidhi in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से नरक या रूप चतुर्दशी का महत्व कथा व् पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम इस लेख को पढ़ते हैं ।
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पूजा विधि – नरक चतुर्दशी की पूजा दीपावली के 1 दिन पहले की जाती है । नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं । इस दिन घर को लीपा जाता है , घर की सफाई की जाती है और सभी घरों में दीपक जलाए जाते हैं । घर के भगवान को गी दूध से स्नान कराया जाता है , गणेश जी भगवान को स्नान कराया जाता है , लक्ष्मी एवं विष्णु भगवान को भी दूध से नहलाया जाता है ।
इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ भगवान की पूजा की जाती हैं । इस दिन सुबह उठकर तिल एवं तेल से स्नान किया जाता है और भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है । शाम के समय घर के दरवाजे पर दीपक जलाए जाते हैं और यमराज की पूजा की जाती है ।
Roop chaturdashi story in hindi
कथा – एक राज्य में एक राजा था जिसका नाम रंतिदेव था । वह राजा धर्म-कर्म के मामले में सबसे आगे रहता था । वह राजा कोई भी पाप नहीं करता था । वह हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया करता था । उस राजा का अंतिम समय आ जाता है और यमराज उसको लेने के लिए आते हैं । यमराज उस राजा से कहते हैं जल्दी चलो वरना नर्क के दरवाजे बंद हो जाएंगे । राजा आश्चर्य में पड़ जाता है और यमराज से कहता है कि मैंने कभी भी कोई गलत काम नहीं किया है ।
मैं हमेशा धर्म और कर्म करने में आगे रहा हूं । फिर मुझे आप नर्क में क्यों ले जा रहे हो । तब यमराज ने राजा से कहा कि एक समय की बात है कि तुम्हारे दरवाजे पर एक ब्राह्मण आया था । वह ब्राह्मण बहुत ही भूखा था । तुम्हारे महल से उसको कुछ भी खाने को नहीं दिया गया था । इस कारण से तुमको नर्क में ले जाया जा रहा है । राजा यमराज जी से कहने लगा कि मैं आपसे क्षमा मांगता हूं और मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि आप मुझे अपनी गलती सुधारने का एक मौका दें ।
अनेकों बार निवेदन करने पर यमराज जी ने उस राजा की बात मान ली थी । वह राजा साधु के पास गया नर्क चतुर्दशी का व्रत किया और सभी ब्राह्मणों को भोजन कराया था । इसके बाद उस राजा को स्वर्ग में ले जाया गया था । तभी से सभी अपने पाप धोने के लिए एवं स्वर्ग में जाने के लिए नरक चतुर्दशी का व्रत करते हैं । यह व्रत नरक से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है ।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था । इसी कारण से इस व्रत को नरक चतुर्दशी व्रत भी कहा जाता है । इस व्रत को नरक चतुर्दशी रूप चतुर्दशी एवं छोटी दिवाली भी कहते हैं । यह व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन मनाया जाता है ।
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