नैतिक शिक्षा पर कहानी Naitik shiksha story in hindi
Naitik shiksha par kahani in hindi
दोस्तों आज की हमारी ये दो कहानिया आप सभी को बहुत कुछ सिखाने वाली है दरहसल कहानियो के माध्यम से हम बहुत कुछ आसानी से समझ जाते है तो चलिए पढ़ते है आज की हमारी इस कहानी को

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पहली कहानी-दोस्तों काफी समय पहले की बात है की एक सेठ जी के यहां पर एक लड़का काम करता था वह घर की साफ सफाई करके परिवार का भरण पोषण करता था एक दिन उसने देखा कि मालिक के कमरे में बहुत ही कीमती सामान रखा हुआ है उसने वहां पर रखे कुछ पैसे भी देखें जिन्हें देखकर उसका जी ललचा गया उसने वह पैसे हाथ में लिए और सोचने लगा कि मैंने इतने सारे पैसे एक साथ कभी नहीं देखे मैं इन्हें रख लेता हूं.
वह अपनी जेब में उन रुपयों को रखने वाला ही था तभी उसके मन में एक ख्याल आया कि मेरी मां कहती है कि बेटा जिंदगी में कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए चोरी करना सबसे बड़ा अपराध होता है हम सोचते हैं कि कोई हमें चोरी करते हुए नहीं देखेगा लेकिन ईश्वर हमें चोरी करते हुए जरूर देखता है उस लड़के के मन में जब ये विचार आया तो उसे अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस हुई और बुरा भी लगा कि मैं चोरी करूंगा तो मुझे ईश्वर इसकी सजा जरूर देगा मैं भी चोरों की तरह जेल में चला जाऊंगा मैं यह चोरी नहीं करूंगा मैं तो सिर्फ अपनी मेहनत की कमाई खाऊंगा.
उस लड़के ने यह बात सोची और उस कमरे से निकल गया उसके बाद उसने कभी चोरी करने के बारे में नहीं सोचा.हमको भी अपने बच्चो को ज्ञान कराना चाहिए जिससे वह अपने जीवन में कभी भी गलत काम ना करें और सही रास्ते पर चलें.
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दूसरी कहानी-दोस्तों काफी समय पहले एक गांव में एक लकड़हारा रहता था वह बहुत ही ईमानदार था वह रोज सुबह जंगल में लकड़ियां काटने के लिए जाता था उसी से वह अपने जीवन को निर्वाह करता था वह लकड़ियां बेचकर कुछ पैसा कमाता था वह अपने जीवन में बहुत खुश था.एक दिन रोज की तरह वह जंगल में लकड़ियां काट रहा था कि अचानक ही लकड़ियां काटते समय उसकी कुल्हाड़ी एक नदी में गिर गई लकड़हारा चिल्लाने लगा और रोने लगा क्योंकि उसके पास एकमात्र अपनी जीविका चलाने के लिए यही एक साधन था उसने सोचा कि हो सकता है मेरी आवाज सुनकर कोई मेरी मदद करने के लिए आ जाए
तभी कुछ देर में ही वहां पर एक देवी प्रकट हुई देवी अपने साथ में एक सोने की कुल्हाड़ी लाई हुई थी देवी ने उस लकड़हारे से कहा- रो मत यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है.लकड़हारा बोला देवी यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है यह तो बहुत महंगी है मेरी तो बहुत सस्ती कुल्हाड़ी थी तभी देवी एक बार फिर से उस नदी के अंदर गई और दूसरी कुल्हाड़ी लेकर उस लकड़हारे से कहा कि लो ये कुल्हाड़ी तुम्हारी है लकड़हारा बोला नहीं देवी ये चांदी की कुल्हाड़ी मेरी नहीं है मेरी तो दूसरी कुल्हाड़ी है तभी वह देवी एक बार फिर से नदी में गई और फिर दूसरी लोहे की कुल्हाड़ी उस लकड़हारे के समक्ष लेकर प्रकट हुई तभी किसान कहने लगा कि देवी यही मेरी कुल्हाड़ी है.
लकड़हारे की ईमानदारी देखकर देवी बहुत प्रसन्न हुए देवी ने कहा कि तुमको मैंने सोने और चांदी की कुल्हाड़ी देने की कोशिश की लेकिन तुमने वह नहीं ली क्योंकि तुम एक ईमानदार इंसान हो मैं तुम्हें ये तीनों कुल्हाड़ियां देती हूं लो.ऐसा सुनकर देवी वहां से चली गई इसलिए दोस्तों कहते हैं जीवन में ईमानदारी सबसे बड़ी है हमें हमेशा ईमानदारी के पथ पर चलना चाहिए तभी हम जीवन में बहुत कुछ प्राप्त कर सकते है.
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