मोहन जोदड़ो का इतिहास mohenjo daro history in hindi

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दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मोहनजोदड़ो के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम इस लेख को पढ़ते हैं और मोहनजोदड़ो के इतिहास को जानते हैं । मोहन जोदड़ो पाकिस्तान में स्थित सिंध प्रांत का सबसे पुराना स्थल है । जब सिंधु घाटी की खुदाई की गई थी तब अनेक अवशेष उस स्थान पर मिले थे । कई खोज कर्ताओं ने यहां की खुदाई की और बताया कि यह शहर दुनिया का सबसे पुराना शहर है ।

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image source –https://www.indiatoday.in/education-today/

यह शहर प्राचीन समय में उत्कृष्ट शहर हुआ करता था । अब मैं आपको बता दूं की मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में राखल दास बनर्जी ने की थी । इसके इतिहास को खोजने का सिलसिला ब्रिटिश शासन के समय से चल रहा है । एक अंग्रेज इंजीनियर ने इस इतिहास को खोजने की शुरुआत की थी । यह कहा जाता है की 1856 में ब्रिटिश शासन के दौरान रेलवे ट्रैक बनाया जा रहा था । उस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए गिट्टी की आवश्यकता थी । ब्रिटिश इंजीनियर गिट्टी बनाने के लिए एक अच्छा एवं मजबूत पत्थर तलाश रहा था ।

जब वह मोहनजोदड़ो शहर के आस पास पहुंचा तो वहां पर उसे एक मजबूत ईट खुदाई के दौरान मिली । उसने यह अनुमान लगाया कि इस जगह पर जरूर प्राचीन इतिहास जमीन में दबा हुआ है । इंजीनियर के कारण यहां पर खुदाई का काम शुरू किया गया था । इसके बाद 1924 में इसके इतिहास की खोज करने का जिम्मा काशी नाथ नारायण ने उठाया था । काशी नाथ नारायण के द्वारा यहां की खुदाई की गई थी । काशीनाथ नारायण के बाद 1925 में इस जगह की खुदाई का जिम्मा जॉन मार्शल ने उठाया था ।

खुदाई के बाद यहां पर अनेक प्रकार के अवशेष मिले थे । खुदाई के समय यहां पर मोहरे , इमारतें , धातुओं की बनी मूर्तियां मिली थी ।  इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्राचीन समय में यहां पर एक बहुत शहर हुआ करता था । खुदाई के दौरान कुछ ऐसे दस्तावेज भी प्राप्त हुए थे जिनको देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पर प्राचीन समय के लोग जोड़ , घटाव को भी बखूबी जानते थे । यहां की इमारतें बहुत मोटी मोटी थी जो की मजबूती  से बनी थी ।

खुदाई के बाद यह भी पता चला था कि मोहनजोदड़ो के आसपास खेती भी की जाती थी । इस शहर की अभी तक यानी 100 वर्षों में कम से कम एक तिहाई भाग की खुदाई हो चुकी है । प्राचीन समय में सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास खोज कर्ताओं के अनुसार 2600 ईस्वी से 3000 इसवी तक रहा होगा । यहां के सुंदर शहर का निर्माण खोज कर्ताओं के अनुसार अर्बन कारीगर के द्वारा किया गया था । खोजकर्ता के माध्यम से यह पता चलता है कि इस सभ्यता का पतन 1900 ईसवी में हुआ होगा ।

इसके पतन के बाद मोहन जोदड़ो भी तहस-नहस हो गया था । जब इस जगह की खुदाई की जा रही थी तब भगवान बुद्ध का एक स्तूप भी मिला था । खोज कर्ताओं के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि प्राचीन समय में यहां पर तकरीबन 50 से 60 लाख लोग  रहते थे । खुदाई के दौरान कई तरह के अवशेषों की खोज भी की गई थी । कई ऐसे अवशेष मिले थे जिनके दातों का रिसर्च किया गया और वह दांत नकली पाए गए थे ।

तब रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक ने यह बताया था कि अवश्य इस सभ्यता में डॉक्टर एवं तरह तरह की दवाइयां मौजूद थी । इस सभ्यता में रहने वाले लोग भी कपड़े पहनते थे क्योंकि खुदाई के दौरान सूती साड़ियां एवं तरह तरह के कपड़े प्राप्त हुए थे । कई इमारतें इस खुदाई के दौरान मिली थी जिनकी ऊंचाई 2 से 3 मंजिल की थी । इस सभ्यता के लोग भी बहुत समझदार एवं बुद्धि युक्त व्यक्ति थे ।

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