मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास modhera sun temple history in hindi

modhera sun temple history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मोढेरा सूर्य मंदिर के इतिहास के बारे में  बताने जा रहे हैं . इस लेख के माध्यम से हम मोढेरा सूर्य मंदिर के इतिहास को जानेंगे . चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़ते हैं .

modhera sun temple history in hindi
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हमारे भारत देश के  विश्व प्रसिद्ध सिर्फ दो सूर्य मंदिर हैं . पहला सूर्य मंदिर उड़ीसा राज्य में स्थित है और मंदिर का नाम कोणार्क सूर्य मंदिर है  एवं दूसरा विश्व प्रसिद्ध मंदिर गुजरात राज्य के पाटन से 30 किलोमीटर दूर है और इस मंदिर का नाम   मोढेरा सूर्य मंदिर है . मोढेरा सूर्य मंदिर  पुष्पा नदी के किनारे स्थित है . इस मंदिर की सुंदरता देखने के लायक है जो भी व्यक्ति इस मंदिर को एक बार देखता है वह प्रतिवर्ष इस मंदिर को देखने के लिए अवश्य जाता है क्योंकि इस मंदिर की हम जितनी भी प्रशंसा करें उतनी ही कम है .

इस मंदिर का निर्माण सोलंकी राजा भीमदेव ने 1030 ईस्वी में कराया था . सोलंकी वंश के लोग सूर्य देव की पूजा अर्चना करते थे , उनको कुल देवता के रूप पूजते थे .  कुल देवता की पूजा के लिए यह  मंदिर बनाया गया था .   इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना माना जाता है . इस मंदिर को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है . पहला भाग गर्भ गृह  है , दुसरा भाग गूढ मंडप मंदिर तथा तीसरा भाग सभा मंडप एवं सूर्य कुंड या बावड़ी है .

सबसे बड़ी बात यह है कि इस मंदिर के अंदर सूर्य भगवान के अलावा किसी अन्य देवी-देवताओं की  प्रतिमाएं नहीं है . इस मंदिर के बाहर जो सीढ़ियां हैं उन सीढ़ियों पर तकरीबन 108 मंदिर बने हुए हैं . यह मंदिर गणेश भगवान , शंकर भगवान एवं शीतला माता के  हैं . यहां पर एक बहुत बड़ा कुंड  स्थित है और इस कुंड का नाम  सूर्य कुंड  है इस सूर्य कुंड को रामकुंड के नाम से भी लोग जानते हैं . मोढेरा का सूर्य मंदिर सबसे सुंदर एवं अद्भुत दिखाई देता है . इसकी सुंदरता का बखान हम जितना करें उतना ही कम है .

इस सभा मंडप को अष्टभुजी  कक्ष भी कहा जाता है . सभामंडप के भीतर जो तोरण लगे हुए हैं जब हम उन तोरण को देखते हैं तब हमें यह प्रतीत होता है कि यह तोरण सभी भक्तों का स्वागत कर रहे हैं . इस सभा मंडप में तकरीबन 52 स्तंभ बने हुए है इन स्तंभों पर रामायण , कृष्ण लीला और महाभारत के दृश्य बने हुए हैं . प्राचीन समय में सभामंडप का उपयोग एक आम सभा के लिए किया जाता था . यहां की नक्काशी इतनी सुंदर  दिखती है की मानो ऐसा प्रतीत होता है कि जिसने भी यह नक्काशी की है वह कितना अच्छा कारीगर होगा .

मोढेरा सूर्य मंदिर का सबसे बड़ा मंदिर सूर्य मंदिर है और इस मंदिर में सूर्य भगवान की प्रतिमा है . प्राचीन समय में सोलंकी साम्राज्य के राजा भीमदेव ने इस मंदिर को बनवाया था . इस मंदिर की जो प्रतिमा बनाई गई थी वह शुद्ध स्वर्ण के सोने से बनाई है .  इस मंदिर के लिए एक रथ बनाया गया था और यह रथ स्वर्णो से बनाया गया था .

इस रथ में सात घोड़े बनाए गए थे और इस रथ में  सूर्य भगवान की प्रतिमा थी . यह पूरा रथ  स्वर्ण सिक्कों से सुसज्जित था . ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य की पहली किरण इस मंदिर पर पड़ती थी तब  मंदिर की सुंदरता और भी सुंदर लगने लगती थी .  प्रतिदिन सुबह-शाम सूर्यास्त के समय एवं सूर्यास्त के बाद सूर्य मंदिर की पूजा अर्चना की जाती है .

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