मिट्टी से सीख पर कहानी Mitti se seekh par story in hindi
Mitti se seekh par story in hindi
Mitti se seekh – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मिट्टी से सीख पर कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर मिट्टी से सीख पर लिखी कहानी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
मिट्टी से सीख – हम मिट्टी के माध्यम से कई तरह की सीख ले सकते हैं । एक कहानी के माध्यम से मैं आपको मिट्टी से सीख के बारे में बताने जा रहा हूं । एक गांव में एक लड़का था जिस लड़के को बहुत क्रोध आता था । यदि कोई उससे ऊंची आवाज में बात करता था तो वह उस पर बहुत क्रोधित हो जाता था । उसके क्रोध के कारण उसके माता-पिता बहुत चिंतित रहते थे । उसके क्रोध के कारण उसका कोई भी लड़का मित्र बनने के लिए तैयार नहीं था । वह अकेले ही अपना जीवन व्यतीत करता था । एक बार उनके पड़ोसी गांव में एक सन्यासी बाबा आया था । जो अजीब अजीब कार्य करके लोगों की समस्या का समाधान करता था ।
जब उस लड़के के पिता को सन्यासी बाबा के बारे में पता चला तब वह अपने बच्चे को उस सन्यासी बाबा के पास ले गया था । उस लड़के का नाम मोहन था । जब मोहन के पिता मोहन को लेकर सन्यासी बाबा के पास पहुंचे तब सन्यासी बाबा ने मोहन से कहा कि तुम्हें किस प्रकार का कष्ट है तब उसके पिता ने कहा कि मेरे बच्चे मोहन को बहुत क्रोध आता है । यह क्रोध पर संयम नहीं रख पाता है । बाबा मुस्कुराते हुए मोहन को देखने लगे थे । इसके बाद बाबा ने मोहन से कहा कि तुम चिकनी मिट्टी के दो दिल बना कर मेरे पास लाओ । मोहन को यह अजीब लग रहा था ।
वह सोच रहा था कि यह बाबा ना जाने क्या-क्या काम करवा रहा है । परंतु उसके पिता उसके बाजू में ही बैठे हुए थे इसलिए उसे सन्यासी बाबा की बात को मानना ही था । बाबा की बात को मानकर वह मिट्टी के दो दिल बना लाया । इसके बाद बाबा ने दोनों दिल अपने हाथ में लिए और दोनों दिलों में से 1 दिल मोहन को दे दिया और मोहन से कहा कि तुम इस दिल को कुम्हार के पास ले जाओ और उस कुम्हार से कहना कि इस दिल को भट्टी में तपा कर दे । मोहन मिट्टी के दिल को भट्टी में तपा कर बाबा के पास ले आया था । इसके बाद बाबा ने मोहन को रंग दिए और कहा कि इस दिल को रंगकर मेरे पास ले आना ।
मोहन मिट्टी के दिल को रंगकर बाबा के पास में आया था । इसके बाद बाबा ने मोहन से कहा कि इस दिल को यहां पर रख दो और एक हथोड़ा ले आओ । मोहन सन्यासी बाबा की बात को मानकर हथोड़ा ले आया था । इसके बाद बाबा ने मुस्कुराते हुए मोहन से कहा कि तुम इस हथौड़े से इस दिल को तोड़ दो । मोहन अचंभित हो गया और सन्यासी बाबा से कहने लगा कि मुझे दिनभर इस दिल को बनाने में लग गया है । मैंने पूरी मेहनत करके इस दिल को बनाया है । आप इस दिल को तोड़ने के लिए क्यों कह रहे हो । परंतु सन्यासी बाबा ने उससे फिर कहा तुम इस दिल को हथौड़े से तोड़ो ।
कई बार कहने के बाद मोहन मजबूर हो गया था क्योंकि उसके पिता उसको घूर घूर कर देख रहे थे । अपने पिता के डर से उसने उस हथौड़े से उस दिल को चकनाचूर कर दिया था । इसके बाद बाबा मुस्कुराते हुए बोले कि क्रोध मत करो । मोहन कहने लगा इस दिल को तोड़ने के बाद मेरा क्रोध कम नहीं हो रहा है बल्कि अधिक बढ़ रहा है । बाबा ने मोहन से कहा कि रुको इसके बाद सन्यासी बाबा ने अपनी संदूक से दूसरे दिल को निकाला और उस दिल को मोहन के सामने रख दिया था । वह दिल गिला था , पका हुआ नहीं था । मोहन से कहा कि तुम इस हथौड़े को इस दिल पर मारो और मोहन ने बाबा की बात को मानकर हथौड़ा उस दिल पर दे मारा परंतु वह टूटा नहीं ।
उस पर हथौड़े के निशान आ गए थे क्योंकि उस दिल की मिट्टी गीली थी । सन्यासी बाबा मोहन को सीख देने लगे कि जिस तरह से भट्टी मे तपी मिट्टी पर तुमने हथोड़ा मारा तो वह दिल टूट गया था । उसी तरह से तुमने अपने क्रोध को तपा कर अपने अंदर रखा हुआ है जिससे तुमको अधिक क्रोध आता है । क्रोध से किसी भी व्यक्ति को फायदा नहीं होता है । वह एक घमंडी इंसान बनता है ।यदि मनुष्य अपना जीवन अच्छी तरह से जीना चाहता है तो कठोर मिट्टी ना बनकर गिली नमी दार मिट्टी बन के रहना चाहिए । यदि कोई तुम पर हथोड़ा मारे तो तुम गीली मिट्टी की तरह फिर से अपना जीवन प्रारंभ कर सको ।
मोहन सन्यासी बाबा की बात को समझ चुका था और उसने प्रण ले लिया था कि आज के बाद वह क्रोध नहीं करेगा ।
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