मिथुन संक्रांति त्यौहार या रज पर्व mithuna sankranti(raja festival) in hindi
Raja sankranti in hindi
दोस्तों आज हम आपको मिथुन सक्रांति त्योहार या रज पर्व के बारे में बताने जा रहे है . चलिए अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से मिथुन सक्रांति त्योहार या रज पर्व के बारे में पढ़ेंगे . मिथुन संक्रांति का त्योहार बड़े ही धूमधाम से दक्षिण भारत में मनाया जाता है और दक्षिण भारत में इस त्योहार को मिथुना संकर्मणम के रूप में मनाया जाता है .

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यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है . ऐसा कहा जाता है की मिथुना नाम का एक नक्षत्र है जब सूर्य उस नक्षत्र में घूमता है तब रज संक्रांति का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है . यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है . घरों में खुशियां मनाई जाती हैं , सभी नए नए कपड़े पहनते हैं . उड़ीसा में यह त्योहार रज संक्रांति के रूप में मनाया जाता है . यह त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है . उड़ीसा के लोग इस त्योहार को मनाने में किसी तरह की कोई भी कमी नहीं रखते हैं .
ऐसा कहा जाता है कि उड़ीसा में जब कृषि वर्ष की शुरुआत होती है तब यह त्योहार बडे धूमधाम से मनाया जाता है . उड़ीसा में पारवा के रूप में भी ये त्योहार बडे धूमधाम से मनाया जाता है . जब रज सक्रांति का त्योहार आता है तब सभी अपने-अपने घरों की सफाई करते हैं और 4 दिनों तक सभी के घरों में रौनक दिखाई देती है . ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी भूदेवी जो प्रारंभिक 3 दिनों की अवधि को कवर करने के लिए मासिक धर्म का अनुभव करने के लिए जाना जाता है .
इस पर्व में मां भूदेवी की पूजा अर्चना एवं स्नान कराया जाता है और मां भूदेवी से प्रार्थना एवं सुख समृद्धि की कामना की जाती है . भगवान श्री विष्णु की पत्नी की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है . सभी लड़कियां एवं महिलाएं पूरे 4 दिन सुबह जल्दी स्नान करके नए-नए वस्त्र पहनकर मा भूमि देवी की पूजा करती हैं . मा भूमि देवी को दूध घी से स्नान कराया जाता है और सभी माता देवी की पूजा अर्चना करते हैं .
माता भूमि का स्नान कराया जाता है और सभी महिलाएं एवं लड़कियां सुंदर वस्त्र आभूषण पहनकर अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ राजा पारा का जश्न भी मनाते हैं . तरह तरह के खेल इस पर्व इस त्योहार पर खेले जाते हैं . इस त्योहार पर राजा डोली खेल भी खेला जाता है . यह खेल एक दिलचस्प घटना है जो उड़ीसा में राज सक्रांति के त्योहार के दिन खेला जाता है . पहला दिन पहिली राजा के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है .
इस दिन दांडी डोली , राम डोली और कई अन्य नामों से सभी लोग झुलाओं पर झूलते हैं और इस त्यौहार का मजा उठाते हैं . दूसरा दिन राजा के रूप में मनाया जाता है जिसे मिथुन सक्रांति भी कहते हैं . इस त्योहार का तीसरा दिन बासी राजा के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है जो मासिक धर्म की अवधि को पूरा करता है . इस त्योहार पर भू देवी की पूजा अर्चना की जाती है .
सभी महिलाएं भूदेवी की पूजा-अर्चना करती हैं . सुबह जल्दी उठकर स्नान करके माता भू देवी को स्नान कराते हैं , माता भूदेवी की पूजा-अर्चना करती हैं . माता भू देवी के चरणों में फूल चढ़ाते है , माता भू देवी को हल्दी , कुमकुम , मेहंदी लगाकर सजाया जाता है . इस त्योहार पर माता भूदेवी को साड़ी चढ़ाई जाती है . इस तरह से यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है .
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