मिल्खा सिंह की जीवनी milkha singh biography in hindi
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दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं मिल्खा सिंह के जीवन के बारे में. मिल्खा सिंह ऐसे धावक हैं जिन्होंने बड़ी बड़ी प्रतियोगिताओं को जीतकर देश दुनिया में ख्याति पाई है चलिए पढ़ते हैं इस महान धावक मिल्खा सिंह के जीवन के बारे में

मिल्खा सिंह का जन्म भारत में 20 नवंबर 1929 को हुआ था लेकिन अब यह स्थान पाकिस्तान में है. मिल्खा सिंह जब छोटे थे तभी हिंदुस्तान से पाकिस्तान अलग हो गया था जिस वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था, उनके मां-बाप सब उनसे बिछड़ गए थे इनके परिवार में इनके माता-पिता के अलावा इनके कई भाई बहन भी थे. दरअसल इनको अपनी सारी जमीन जायदाद छोड़कर भारत के दिल्ली में आना पड़ा था, वो दिल्ली में कुछ समय तक अपनी बहन के घर पर भी रहे थे उसके बाद वो एक स्थान पर यह जगह लेकर रहने लगे.
इनके भाई के कहने पर उन्होंने सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया लेकिन भर्ती नहीं हो सके फिर काफी कोशिश के बाद ये सेना में भर्ती हुए इन्हें सेना में खेलकूद की ट्रेनिंग देने के लिए नियुक्त किया गया. मिल्खा सिंह को शुरू से ही दौड़ने का बहुत शौक था वह भारत की जर्सी पहनना चाहते थे, वह दौड़ में ओलंपिक गेम में गोल्ड मेडल प्राप्त करना चाहते थे यह उनका एक सपना था. उन्होंने 1956 में 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया लेकिन वह सफल नहीं हो पाए वह लगातार प्रयत्न करते रहते, कई बार असफलताओं के बाद उन्होंने काफी समय तक प्रैक्टिस की.
वो कभी-कभी प्रैक्टिस करते करते थक कर गिर जाते थे उनके शरीर से खून निकलने भी लग जाता था लेकिन वह रुकते नहीं थे वह ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर भी तेजी से चलने लगते थे. 1958 में कुछ एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुके थे लेकिन ऑस्ट्रेलिया के साथ जब इनका मुकाबला हुआ तो मिल्खा सिंह हार चुके थे लेकिन वह अपनी आखिरी रेस पाकिस्तान से जीतना चाहते थे उनका सपना था बहुत आगे जाने का, इसके लिए उन्होंने लगातार कोशिश की, दिन रात एक कर दी. पाकिस्तान से उनका मुकाबला अब्दुल खलिक से होना था जो कि कई सारे ओलंपिक रेसो में जीत चुके थे, वो विजेता थे.
मिल्खा सिंह के द्वारा अब्दुल खली को हराना काफी मुश्किल था लेकिन मिल्खा सिंह के मन में अपने भारत देश के लिए रेस जीतना और गोल्ड मेडल जीतना बहुत ही जरूरी था उनका यह सपना था कि वह अपने देश के लिए जीते. ओलंपिक की जब यह प्रतियोगिता शुरू हुई और जैसे ही मिल्खा सिंह एवं अन्य प्रतियोगी दौड़ने लगे मिल्खा सिंह पाकिस्तान के अब्दुल खलीक से पीछे थे लेकिन धीरे-धीरे उनका जोश बढ़ने लगा एकदम से ही milkha singh तेज भागने लगे और इतनी तेज भागे की उन्होंने ओलंपिक खेल जीत लिया और पाकिस्तान हार गया
तभी से उन्हें फ्लाइंग सिख के नाम से भी जाना जाने लगा वास्तव में मिल्खा सिंह का जीवन काफी प्रेरणादायक रहा है. उन्होंने 1958 में 200 एवं 400 मीटर की रेस जीती और भारत का नाम रोशन किया. उन्होंने 1959 में भी पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त किया था. हमें उम्मीद है कि मिल्खा सिंह पर हमारे द्वारा लिखा ये आर्टिकल आपके लिए काफी प्रेरणा का स्त्रोत रहा है.
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