मेरा प्रिय लेखक पर निबंध Mera priya lekhak essay in hindi
mera priya lekhak essay in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज का हमारा आर्टिकल मेरा प्रिय लेखक पर निबंध आप सभी को एक ऐसे महान लेखक के बारे में जानकारी देगा जिन्होंने हमारे देश में अपने लेखन कला के जरिए बहुत कुछ किया है वास्तव में लेखक ही हम सभी को राह दिखाते हैं. लेखक ही समाज की बुराइयों, अच्छाइयों का ज्ञान कराकर हमें हमारे कर्तव्य का बोध कराते हैं. लेखक की कलम से ही अच्छे-अच्छे कांप जाते हैं तो चलिए पढ़ते हैं मेरा प्रिय लेखक पर लिखे गए हमारे आज के निबंध को
हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लेखक हैं जिन्होंने अपनी लेखन कला के जरिए बहुत कुछ किया है लेखको ने समाज की कुप्रथाओं को अपने लेखन के जरिए दूर किया है. लेखकों ने ही स्वतंत्रता सेनानियों के रोम-रोम में जुनून भर दिया है था. हमारे देश में बहुत सारे लेखक हैं जिनकी हम जितनी प्रशंसा करें उतना ही कम है.इन लेखकों में प्रेमचंद्र, रामधारी सिंह दिनकर, जयशंकर प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त, रविंद्रनाथ टैगोर आदि है.
इनके अलावा भी और भी अन्य लेखक हैं जिन्होंने अपनी लेखनी के जरिए इस समाज के लिए, इस देश के लिए बहुत कुछ किया है इन लेखकों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है वैसे तो ये सभी लेखक हर किसी के लिए प्रिय है लेकिन मेरा सबसे प्रिय लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी हैं.
इनका परिचय-
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था.ये हिंदू धर्म के थे इनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर एवं माता का नाम श्रीमती शारदा देवी था इनका विवाह सन 1888 में हुआ था लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ सालों बाद उनकी पत्नी का देहांत हो गया और इतना ही नहीं अगले 2 साल में ही इनकी एक पुत्री का भी देहांत हो गया.वो बहुत ही दुखी हुए लेकिन तब तक इनका ध्यान धार्मिक कार्यों के प्रति बढ़ने लगा और उन्होंने लेखन को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया.
रविन्द्रनाथ टैगोर को बच्चों से बेहद लगाव था वह जब भी बच्चों को पढ़ाते थे तो वह उनमें खो जाते थे उन्हें बच्चों को पढ़ाना, उनके साथ रहना बेहद पसंद था.
उनकी रचनाएं-
रवींद्रनाथ टैगोर एक महान लेखक थे ये कई पत्र पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं इन्होंने अपने जीवन में कई सारे पुस्तकें लिखी उन्होंने गीतांजलि, पूर्वी प्रवाहिनी, महुआ, वनवानी,चोखेरवाली,क्षणिका आदि की रचना की लेकिन इनकी सबसे महत्वपूर्ण रचना गीतांजलि मानी जाती है. गीतांजलि पुस्तक के लेखन के लिए इन्हें सन 1913 में नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था वास्तव में इनकी पुस्तक गीतांजलि एक बेहतरीन पुस्तक है इन्होंने अपने जीवन काल में कई उपन्यास,निबंध, लघु कथाएं,नाटक इत्यादि लिखें थे इनकी कई कहानियां लोकप्रिय भी हैं.
रविंद्र नाथ टैगोर जी के संगीत-
रविंद्रनाथ टैगोर जी संगीत के प्रति विशेष रुचि रखते थे उन्होंने अपने जीवन में 2230 गीतों की रचना की इनके ये गीत काफी प्रसिद्ध हैं इनके गीत अलग-अलग रागों में भी ऐसे लगते हैं मानो इसी राग के लिए उन्होंने यह गीत लिखे है.
इसके अलावा उन्होंने दो देशों के लिए राष्ट्रगान लिखा है इनकी अधिकतर रचनाएं उनके गीतों में ही शामिल हो गई हैं वास्तव में ये एक महान गीतकार भी थे.
शांतिनिकेतन की स्थापना-
रविंद्रनाथ टैगोर वास्तव में एक महान लेखक थे और हमेशा दूसरों के भले के बारे में सोचते थे इसलिए उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की दरअसल शांतिनिकेतन में उन्होंने कई तरह के पेड़ पौधे और प्राकृतिक रूप से विद्यार्थियों को प्राकृतिक माहौल में शिक्षा देने का प्रयत्न किया.उन्होंने शांति निकेतन को प्राकृतिक रूप से बनाया और इसमें पुस्तकालय भी बनवाया.कुछ समय बाद रविंद्र नाथ के शांतिनिकेतन को विश्वविद्यालय का दर्जा भी प्राप्त हो गया था और विद्यार्थी साहित्य कला के ज्ञान के लिए शांतिनिकेतन में अध्ययन करते हैं.
रविंद्र नाथ टैगोर जी की मृत्यु-
वास्तव में रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रमुख लेखक थे उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें हम सभी का मार्गदर्शन करती हैं उन्होंने बहुत से पुरस्कार भी जीते थे और समाज को एक नई राह दिखाई थी.इन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को प्रोत्साहन दिया और हमेशा देश के लिए कुछ ना कुछ उन्होंने किया लेकिन 7 अगस्त सन 1941 को इस महान इंसान की मृत्यु हो गई और यह हमेशा के लिए हमारे बीच से चले गए लेकिन आज भी वह अपने किए गए कार्यों की वजह से जिंदा हैं हम हमेशा उन्हें याद करते रहते हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर एक सच्चे लेखक थे उन्होंने अपने लेखन कार्यों से समाज का मार्गदर्शन किया है ऐसे महान लेखक रवींद्रनाथ टैगोर का हम दिल से आभार व्यक्त करते हैं.
वास्तव में रविंद्र नाथ टैगोर जैसे लेखक कवि कभार ही जन्म लेते हैं।
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Thanks bro apka ye article mujhe bahut pasand aaya issi tarah aap article likhte rahe
आपको बहुत बहुत धन्यवाद
Its very useful …Helped me when I needed ..just loved it☺️👍👍👌
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