मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना कविता mazhab nahi sikhata aapas mein bair rakhna poem in hindi
mazhab nahi sikhata aapas mein bair rakhna poem in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना पर हमारे द्वारा लिखी कविता. दोस्तों हमें कभी भी मजहब के नाम पर नहीं लड़ना चाहिए क्योंकि मजहब कभी भी इंसान को एक दूसरे से बैर रखना नहीं सिखाता. हम सभी धर्म के लोगों को आपस में मिलजुलकर एकता के साथ रहना चाहिए, कभी भी आपस में बैर भाव नहीं रखना चाहिए. आज हम कई जगह देखते हैं कि कई बुरे लोग मजहब के नाम पर लड़ते रहते हैं. मजहब हमेशा एक इंसान को अच्छा इंसान बनाता है कभी भी बैर रखना नहीं सिखाता इसलिए हमें किसी दूसरे इंसान से भेदभाव नहीं रखना चाहिए, एक दूसरे से अच्छा व्यवहार रखना चाहिए तो चलिए हम पढ़ते हैं मजहब नहीं सिखाता पर हमारे द्वारा लिखी कविता को
एक दूसरे के साथ रहना
दुख सुख में साथ निभाना
मज़हब नही सिखाता
आपस मे बेर रखना
हिन्दू हो चाहे मुस्लिम
हम सब इंसान है
भेदभाव हम न रखेंगे
जीवन में आगे बढ़ेंगे
मजहब के नाम पर
हम अब ना लड़ेंगे
देश के लिए जिएंगे
और देश के लिए मरेंगे
एक दूसरे के साथ रहना
दुख सुख में साथ निभाना
मज़हब नही सिखाता
आपस मे बेर रखना
- मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना कहानी mazhab nahi sikhata aapas mein bair rakhna story in hindi
- मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना निबंध Hindi Essay on Mazhab nahi sikhata aapas mein bair rakhna
दोस्तों हमें बताएं कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना पर हमारे द्वारा लिखी कविता mazhab nahi sikhata aapas mein bair rakhna poem in hindi आपको कैसी लगी इसी तरह की बेहतरीन कविताओं को पाने के लिए कृपयाकर हमें सब्सक्राइब करना ना भूले. आप सभी का धन्यवाद.