मातृभूमि पर कविता Mathrubhumi poem in hindi

Mathrubhumi poem in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं राम प्रसाद बिस्मिल की एक बेहतरीन कविता.इनका जन्म 11 जून 1897 को हुआ था उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख सेनानी की भूमिका निभाई है और बहुत ही कम उम्र में बहुत सारी इन्होंने किताब लिखी हैं जिन्हें बेचकर वह अपने आंदोलन के लिए हथियार भी खरीदते थे वास्तव में वह एक महान कवि,साहित्यकार और इतिहासकार थे जिन्हें हम कभी भी नहीं भूल पाएंगे आज हम राम प्रसाद बिस्मिल के द्वारा लिखी हुई कविता पढ़ने वाले हैं तो चलिए पढ़ते हैं इनकी मातृभूमि पर लिखी कविता को

Mathrubhumi poem in hindi
Mathrubhumi poem in hindi

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हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सिर नवाऊं
मैं भक्ति भेंट अपनी तेरी शरण में लाऊ

माथे पर तू हो चंदन छाती पर तू हो माला
जीव्हा पर गीत तू मेरा तेरा ही नाम गाऊं

जिससे सपूत उपजे श्री राम कृष्ण जैसे
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊ

माई समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर
करता प्रणाम तुझको मैं वे चरण दबाऊ

सेवा में तेरी माता में भेदभाव तजकर
वह पुण्य नाम तेरा प्रतिदिन सुनू सुनाऊ

तेरे ही काम आऊं तेरा ही मंत्र गाऊ
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊं

वास्तव में रामप्रसाद बिस्मिल की मातृभूमि पर लिखी कविता बहुत ही बेहतरीन है इस कविता को पढ़ने के बाद मन में मातृभूमि के प्रति प्रेम और आदर की भावना जागृत होती है.

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