मातृभूमि पर कविता Mathrubhumi poem in hindi by bhagwati charan verma
Mathrubhumi poem in hindi by bhagwati charan verma
दोस्तों भगवती चरण बर्मा एक महान कवि एवं साहित्यकार थे उनका जन्म 30 अगस्त 1903 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था और अपने आगे की पढ़ाई इलाहाबाद से की थी इन्हें कविता लिखना बेहद पसंद था इन्होंने बहुत सारे उपन्यास भी लिखे हैं.जीवन में उन्होंने बहुत से ऐसे कार्य किए थे जिनसे हम इन्हें जानते हैं वास्तव में हिंदी साहित्य में इनका विशेष योगदान है आज हम भगवतीचरण वर्मा द्वारा लिखित इस कविता को पढ़ने वाले हैं तो चलिए पढ़ते हैं इनके द्वारा लिखित ये कविता
मातृ-भू शत शत बार प्रणाम
ए अमरों की जननी तुमको शत-शत बार प्रणाम
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम
तेरे उर में शायित गांधी बुद्ध ओ राम
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम
हिमगिरी सा उन्नत तव मस्तक
तेरे चरण चूमता सागर
श्वासो में है वेद श्र्चाये
वाणी में है गीता का स्वर
ये संस्रती की आदी तपस्विनी,तेजस्विनी अभिराम
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम
हरे भरे खेत सुहाने
फल फूलों से युत वन उपवन
तेरे अंदर भरा हुआ है
खनिजों का कितना व्यापक धन
मुक्त हस्त तू बांट रही है सुख संपत्ति धन धाम
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम
प्रेम दया का इष्ट लिए तू
सत्य अहिंसा तेरा संयम
नई चेतना नई स्फूर्ति युत
तुझमें चिर विकास का है क्रम
चिर नवीन तू जरा मरण से
मुक्त सबल उद्धाम
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम
एक हाथ में न्याय पताका
ज्ञान द्वीप दूसरे हाथ में
जग का रूप बदल दे हे मा
कोटी कोटी हम आज साथ में
गूंज उठे जय हिंद नाद से
सकल नगर ओ ग्राम
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम
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