शिव और सती की कहानी Story of lord shiva and sati in hindi

Story of lord shiva and sati in hindi

दोस्तों आज हम Story of lord shiva and sati in hindi पढ़ेंगे.राजा दक्ष की इक्षा थी कि उन्हें एक ऐसी पुत्री चाहिए थी जो एक तरह से देवी का अवतार हो इसके लिए उन्होंने तपस्या की और देवी प्रकट हो गई.राजा दक्ष ने अपनी बात उस देवी को बताई तो देवी ने खुद उनके यहां पर कन्या के रूप में जन्म लेने के लिए कहा.समय के अंतराल के बाद राजा दक्ष के घर मां सती ने जन्म लिया.सती राजा दक्ष की अन्य कन्याओ से सुंदर थी.जब वह बड़ी हो गई तो राजा दक्ष ने शिव शंकर से उनका विवाह कर दिया कुछ समय बाद देव लोक में एक सभा रखी गई उस सभा मे सभी देवताओं और राजा दक्ष को बुलवाया गया.

Story of lord shiva and sati in hindi
Story of lord shiva and sati in hindi

राजा दक्ष जब उस सभा में आए तभी वहां पर सभी देवता गण उपस्थित थे राजा दक्ष को आते देखकर सभी देवता खड़े हो गए लेकिन भगवान शिव शंकर वहीं पर बैठे रहे यह देखकर राजा दक्ष को बहुत बुरा लगा राजा दक्ष घमंड में चूर थे.कुछ दिनों बाद जब शिवजी और पार्वती जी कैलाश पर्वत पर बैठे हुए थे जब उन्होंने देवता गणों को कहीं जाते हुए देखा तो पार्वती जी ने शिव शंकर से पूछ लिया की यह सभी देवतागण आज कहां जा रहे हैं तभी शिव शंकर ने माता सती से कहा कि दक्ष के यहां पर एक यज्ञ है यह सभी देवता उस यज्ञ में शामिल होने जा रहे हैं

जब माता सती को यह पता लगा कि उनके पिता ने उन्हें और उनके पति को नहीं बुलाया है तो उन्हें बहुत ही बुरा लगा उन्होंने वहां पर जाने के लिए कहा.शिव शंकर ने सती से मना किया कि बिना बुलाए हमको वहां नहीं जाना चाहिए लेकिन ज्यादा जिद करने पर शिव शंकर ने माता सती को राजा दक्ष के यज्ञ मैं जाने को कह दिया.माता सती अपने एक सेवक को साथ में लेकर राजा दक्ष के महल में चली गई वहां पर हो रहै यज्ञ को देखकर माता दंग रह गई कि वहां पर शिव शंकर के अलावा सभी देवता गण उपस्थित थे वह अपनी माता और बहनों से मिली लेकिन जब उन्होंने अपने पिता से मुलाकात की तो पिता ने सही से जवाब भी नहीं दिया.

माता सती को बेहद दुख था माता सती ने जब देखा कि सभी देवताओं के लिए यज्ञ में शामिल होने के लिए उचित स्थान था लेकिन शिव शंकर और पार्वती के लिए कोई उचित स्थान नहीं था यह बात जब उन्होंने राजा दक्ष से पूछी तो राजा दक्ष ने कुछ ऐसा कह दिया कि माता सती को बहुत बुरा लगा.राजा दक्ष माता सती से कहने लगे कि तुम्हारा पति श्मशान वासी है उसे बुलाने से क्या होता है मैंने इस यज्ञ में देवताओं को बुलबया है शिवशंकर कोई देवता नहीं वह तो भूतों का राजा है उसको बुलाने से क्या लाभ.

माता सती को यह बातें बहुत बुरी लगी गुस्से में आकर उन्होंने यज्ञ की आहुति में अपने प्राण त्याग दिए. सती के साथ में उपस्थित सेवक ने राजा दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया.शिव शंकर को यह बात पता लगी तो वह दौड़े चले आये और माता सती को अपने कंधे पर रखकर विलाप करने लगे वह माता सती से बेहद प्रेम करते थे इसलिए उनके प्रेम को देखकर वायु रुक गई, धरती का चक्र रुक गया और इस तरह की अवस्था को देखकर सभी देवतागण भयभीत हो गए

देवताओ ने भगवान विष्णु से इस बारे में बात की तो भगवान विष्णु शिव शंकर की गोद में रखी माता सती के अपने चक्र से छोटे-छोटे टुकड़े करके नीचे गिर दिए वह जिस स्थान पर गिरे उस स्थान को शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है फिर भगवान शिव सब कुछ भूलकर फिर से अपने स्थान पर जा विराजे.पृथ्वी का चक्र फिर से उसी तरह पहले जैसा चलने लगा.

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