लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर पर निबंध Lockdown ke dauran pravasi majdur par essay hindi

Lockdown ke dauran pravasi majdur par essay hindi

भारत देश में कोरोनावायरस के संक्रमण को दूर करने के लिए लॉकडाउन लगाया गया लॉकडाउन के दौरान हम लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा हम सभी को घर पर ही रहने को कहां गया घर से बाहर निकलने को मना किया गया।

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों ने बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना किया प्रवासी मजदूर यानी ऐसे मजदूर जो दूर किसी गांव या शहर से किसी दूसरे शहर में मजदूरी करके अपने जीवन को यापन करने के लिए रह रहे हैं।

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लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को इसलिए समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि लॉकडाउन के दौरान आने जाने की सभी बस एवं रेलवे बंद कर दी गई जिस वजह से प्रवासी मजदूर अपने घर यानी अपने गांव या शहर नहीं पहुंच पाए और उन्होंने कई सारी समस्याओं का सामना किया।

दरअसल लॉकडाउन के बीच कई सारी फैक्ट्रियां बंद हो गई और प्रवासी मजदूर जो रोजीना कमाते हैं और रोजीना अपने उन पैसों को खर्च करते हैं जिस वजह से उनके रोजगार नहीं रहा और उनको बहुत ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा इन समस्याओं को दूर करने के लिए कई लोगों ने कई सुझाव भी दिए और कुछ समय बाद प्रवासी मजदूरों को अपने-अपने घर पहुंचाने का फैसला लिया गया।

इसके लिए सरकार ने कई ट्रेनें भी चलाई जिनके जरिए प्रवासी मजदूर अपने गांव या शहर में पहुच सके प्रवासी मजदूरों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि जल्द से जल्द सभी लोगों को अपने गांव या शहर पहुंचाना संभव नहीं हो सका इस वजह से कई सारे प्रवासी मजदूर तो अपने निजी वाहनों या ट्रकों या बसों के जरिए अपने अपने गांव शहर पहुंचे।

कुछ लोगों की जांच भी हो सकी लेकिन कुछ लोगों की बाद में जांच हुई जिस वजह से कोरोनावायरस भी तेजी से फैला। प्रवासी मजदूर जब अपने अपने घर पहुंच गए तब सरकार ने धीरे-धीरे लॉकडाउन kholna shuru कर दिया है। कई सारे प्रवासी मजदूर ऐसे भी हैं जो दिन प्रतिदिन अपने घरों की ओर जा रहे हैं।

प्रवासी मजदूरों की समस्या यह है कि वह जो मजदूरी करते थे उनकी मजदूरी का काम उनके हाथ से चला गया है और उनके लिए रोजगार का नया अफसर मिलना थोड़ा मुश्किल हो गया है। प्रवासी मजदूरों को और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।

कई सारे मजदूर जो की पूरी तरह से स्वस्थ थे फिर भी गांव के लोगों ने उन पर शक करते हुए उनको अपने गांव में नहीं घुसने दिया और प्रवासी मजदूरों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।

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