कोलार स्वर्ण क्षेत्र का इतिहास Kolar gold fields history in hindi
Kolar gold fields history in hindi
Kolar gold fields – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कोलार स्वर्ण क्षेत्र के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर कोलार क्षेत्र के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
Image source – https://commons.m.wikimedia.orgकोलार स्वर्ण क्षेत्र के बारे में – कोलार स्वर्ण क्षेत्र भारत का सबसे प्राचीन क्षेत्र है । कोलार स्वर्ण क्षेत्र भारत देश के कर्नाटक राज्य के कोलार जिले में स्थित है । कोलार स्वर्ण क्षेत्र कर्नाटक में वर्तमान बेंगलुरु से तकरीबन 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिस क्षेत्र की सुंदरता बहुत ही सुंदर और अद्भुत है । जब हम कोलार स्वर्ण क्षेत्र के बारे में पढ़ते हैं तब हमारे अंदर कोलार स्वर्ण क्षेत्र को देखने की इच्छा करती है । प्राचीन लेख को पढ़ने के बाद हमें कोलार स्वर्ण क्षेत्र के बारे में यह जानकारी प्राप्त होती है कि प्रथम शताब्दी के दौरान से ही अलग अलग समय पर यहां पर स्वर्ण क्षेत्र की खुदाई होती रही है ।
प्राचीन इतिहासकारों के लेख को पढ़ने के बाद यह पता चला है कि 900 ईसवी से 1000 ईसवी के बीच में चोला साम्राज्य के द्वारा यहां पर स्वर्ण क्षेत्र की खुदाई की गई थी । इसके बाद तकरीबन 16 वी शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक यहां पर निरंतर स्वर्ण की खुदाई की गई थी । 18 वीं शताब्दी के दौरान मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के शासनकाल तक यहां पर स्वर्ण की खुदाई की गई है । कहने का तात्पर्य यह है कि प्राचीन समय से ही दक्षिण भारत पर शासन करने वाले राजाओं के द्वारा यहां पर स्वर्ण क्षेत्र की खुदाई करके काफी धन एकत्रित किया गया है ।
मैं आपको यह बता दूं कि स्वर्ण क्षेत्र की खुदाई निरंतर होने के कारण यह गहरी खाई में परिवर्तित हो गई है । यह भारत देश की सबसे गहरी खदानों में से एक है । जिस समय राजा महाराजाओं का शासन काल था उस समय भारत देश की इस गहरी खदान के अलावा सिर्फ दक्षिण अफ्रीका में कुछ खाने थी जो इतनी गहरी थी । जब भारत देश पर अंग्रेजों का शासन काल प्रारंभ हुआ तब 19 वी सदी के अंतिम वर्षों में ब्रिटिश सरकार के द्वारा ब्रिटिश खनन कंपनी को इस खुदाई का कार्य सौंप दिया गया था और इस स्वर्ण खुदाई की जिम्मेदारी जॉन टेलर ने ले ली थी ।
जॉन टेलर के द्वारा इस स्थान पर खुदाई को निरंतर जारी रखने के लिए खदान में विद्युत शक्ति स्थापित की गई थी । जिस समय खदान में विद्युत शक्ति स्थापित की गई उस समय दक्षिण भारत के जो अधिकांश हिस्से थे उन हिस्सों में बिजली उपलब्ध नहीं थी । ब्रिटिश शासन के दौरान आधुनिक खुदाई यहां की की गई थी । आधुनिक खुदाई के बारे में यह कहा जाता है कि कोलार क्षेत्र में आधुनिक खुदाई 1880 से 2001 तक की गई थी ।
इसके बाद सन 2001 में सरकारी कंपनी के द्वारा जिसका नाम भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड था उसने इसका परिचालन करना बंद कर दिया था । परंतु 2010 में जब सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में स्वर्ण की खुदाई पुनः आरंभ करने का आदेश दिया तब भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 2016 में केजीएफ की नीलामी की घोषणा की गई थी । जिसके बाद कोलार स्वर्ण क्षेत्र की खुदाई के कार्य को पुनः प्रारंभ करने की तैयारी सरकार के द्वारा की जा रही है । ब्रिटिश काल के समय में अंग्रेजो के द्वारा इस क्षेत्र से काफी धन एकत्रित किया गया था ।
कोलार स्वर्ण क्षेत्र वास्तविक रूप से सबसे सुंदर क्षेत्रों में से एक है जिस क्षेत्र को देखने की इच्छा सभी को होती है । जो भी व्यक्ति कोलार स्वर्ण छेत्र को देखने के लिए जाता है वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । यदि कोलार स्वर्ण क्षेत्र की सुंदरता के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें प्राचीन इतिहास को पढ़ने की आवश्यकता होगी । जब हम कई इतिहासकारों के इतिहास को पढ़ेंगे तब हमें कोलार क्षेत्र की सुंदरता के बारे में जानकारी प्राप्त होगी । कोलार स्वर्ण क्षेत्र भारत देश का सबसे अधिक सुंदर और प्राचीनतम स्वर्ण भंडार है ।
चोला साम्राज्य से लेकर ब्रिटिश शासन तक इस कोलार स्वर्ण क्षेत्र को लूटा गया है । जब भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा कोलार स्वर्ण क्षेत्र की खुदाई के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया तब इस स्वर्ण क्षेत्र की नीलामी की तैयारी भारत सरकार के द्वारा की गई थी ।
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