कानीराम का इतिहास वंशावली Kaniram biography in hindi
Kaniram biography in hindi
Kaniram – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कानीराम के इतिहास व् जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर कानीराम के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

कानीराम के जन्म स्थान व् जीवन परिचय के बारे में – कानीराम एक अघोराचार्य बाबा थे जिन्होंने बैराग्य धारण किया हुआ था । अघोराचार्य बाबा कानीराम का जन्म 1693 को हुआ था । इनका जन्म भाद्रपद शुक्ल को हुआ था । कानीराम के पिताजी का नाम अकबर सिंह था । इनका जन्म क्षत्रिय रघुवंशी परिवार में हुआ था । इनके द्वारा जीवन के शुरुआती पल खेलने कूदने में व्यतीत किया गया था । जब यह बाल अवस्था से किशोर अवस्था में प्रवेश करके आगे बढ़े तब 9 वर्ष की आयु में इनके माता-पिता ने इनका विवाह कात्यायनी देवी से करा दिया था ।
जब कानीराम की उम्र 12 वर्ष की हुई तब उनके माता-पिता के द्वारा कानीराम के गौने की तैयारी की जा रही थी । पूरा परिवार कानीराम के गौने लिए जा रहा था पर किस्मत को और ही कुछ मंजूर था । अचानक एक व्यक्ति कानीराम के पिताजी के पास आया और कानीराम के पिताजी से यह कहने लगा कि आपकी बहू कात्यायनी देवी का निधन हो गया है । इसके बाद पूरे घर में दुख का माहौल हो गया था । कानीराम के जीवन में सबसे बड़ी दुख की घटना यही हुई थी । इसके बाद कुछ समय पश्चात कानीराम के पिता और माता का भी स्वर्गवास हो गया था ।
जब कानीराम के माता पिता का स्वर्गवास हो गया था तब कानीराम ने वैराग्य जीवन जीने का निर्णय कर लिया था और वह एक सिद्ध महात्मा के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने के लिए घर छोड़कर बैराग्य जीवन जीने लगे थे । उन्होंने कई राज्यों , जिलों का भ्रमण किया था । लोगों को उपदेश देने के उद्देेेेेेेेश्य से कानीराम भ्रमण किया करते थे । जब कानीराम ने एक बैराग्य जीवन जीने के लिए अपना घर छोड़ा था तब कानीराम सबसे पहले गाजीपुर गए थे । कानीराम गाजीपुर के रहने वाले शिवा दास के घर पर रहकर साधु जीवन जीने लगे थे । कानीराम प्रतिदिन दिन सुबह उठकर तालाब के किनारे स्नान करने जाते थे ।
जब कानीराम तालाब के किनारे स्नान करने जाते थे तब शिवादास यह दिखता था कि तालाब का जल कैसे कानीराम के चरणों में लहरें ले रहा है । यह एक चमत्कार था । कुछ समय तक कानीराम ने शिवादास के घर पर रहकर साधु जीवन व्यतीत किया था । इसके बाद कानीराम गिरनार पर्वत की यात्रा करने के उद्देश्य से गाजीपुर से निकल गए थे । जब गिरनार पर्वत पर कानीराम पहुंचे तब कानीराम की मुलाकात भगवान दत्तात्रेय से हुई थी । कानीराम भगवान दत्तात्रेय केेे दर्शन करके बहुत खुश थे । इसके बाद कानीराम के द्वारा भगवान दत्तात्रेय से अवधूूती की दीक्षा प्राप्त की गई थी ।
गिरनार पर्वत से दीक्षा ग्रहण करने के बाद कानीराम भ्रमण करते हुए काशी बापस आए थे और वह काशी में रहकर अपना जीवन व्यतीत करने लगे थे । काशी में कानीराम की मुलाकात बाबू कालूराम से हुई थी जो एक सिद्ध महात्मा थे । काशी में रहकर कानीराम ने बाबू कालूराम जी से अघोर मत का उपदेश लिया था । इसके बाद कानीराम जी अपना जीवन व्यतीत करते गए और अपने सभी शिष्यों को उपदेश देते गए थे । इसके बाद कानीराम के द्वारा वैष्णव , भागवत , अघोर तीनों का साध्य किया गया था । कानीराम के द्वारा वैष्णव धर्म की दीक्षा को ग्रहण किया था इसलिए वह राम के उपासक बने और सभी उनको राम के उपासक के रूप में जानने लगे थे ।
कानीराम के द्वारा अघोर मत की साधना ग्रहण की थी इसीलिए उन्हें मांस का सेवन करने में किसी भी तरह की कोई भी आपत्ति नहीं थी । कानीराम एक ऐसे अघोर आचार्य बाबा थे जिन्होंने जाती पाती का कभी भी भेदभाव नहीं किया था । कानीराम किसी भी धर्म के व्यक्ति को अपना शिष्य बना लेते थे । कानीराम के गुरु भगवान दत्तात्रेय और बाबू कालूराम जी के आचरण ग्रहण कर उनके बताए गए रास्ते पर चलकर जीवन व्यतीत करते थे । अपने दोनों गुरुओं को सम्मान देने के लिए , उनके सपनों को पूरा करने के लिए कानीराम के द्वारा वैष्णव मत के चार स्थान स्थापित किए गए थे । पहला स्थान मारूफपुर में स्थापित किया गया था ।
दूसरा स्थान नयी ढीह मे स्थापित किया गया था । तीसरा स्थान परानापुर मे स्थापित किया गया था । इसके बाद कानीराम के द्वारा अघोर मत के लिए भी 4 स्थान स्थापित किए गए थे जिसका पहला स्थान रामगढ़ में स्थापित किया गया था जो बनारस में स्थित है । दूसरा स्थान देवल में बनाया गया था । तीसरा स्थान हरिहरपुर में बनाया गया था । अघोर आचार्य बाबा कानीराम का निधन 1761 में काशी में हुआ था ।
- जिम्मी शेरगिल की जीवनी Jimmy shergill biography in hindi
- बाबा कालीवीर जी की कथा baba kaliveer ji katha in hindi
दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह बेहतरीन आर्टिकल कानीराम का इतिहास व् जीवन परिचय Kaniram biography in hindi यदि आपको पसंद आए तो सबसे पहले आप सब्सक्राइब करें इसके बाद अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले ।दोस्तों यदि आपको इस लेख में कुछ कमी नजर आती है तो आप हमें उस कमी के बारे में हमारी ईमेल आईडी पर अवश्य बताएं जिससे कि हम उस कमी को दूर करके यह आर्टिकल आपके समक्ष पुनः अपडेट कर सकें धन्यवाद ।