कामाख्या देवी की कहानी kamakhya devi story in hindi

kamakhya devi story in hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं कामाख्या देवी की कहानी आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं हमारी इस कहानी को

कामाख्या देवी कामाख्या मंदिर में विराजमान रहती हैं यह मंदिर गुवाहाटी नामक स्थान से कुछ किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है इस मंदिर की कामाख्या देवी से संबंधित कुछ कथाएं हैं जो हम आपके साथ शेयर करने वाले हैं

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कथा कुछ इस प्रकार है की भगवान शिव शंकर और सती माता का विवाह हुआ इस विवाह से सती के पिता दक्ष खुश नहीं थे। एक बार दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया लेकिन इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव शंकर को नहीं बुलाया। जब माता सती को यह बात पता लगी कि उनके पति को यज्ञ में नहीं बुलाया गया तब उन्हें बहुत ही बुरा लगा। माता सती भगवान शिव शंकर से अपने पिता के यज्ञ में जाने की कहने लगी तब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में शामिल होने चली गई जब वह वहां पहुंची तो अपने पिता के व्यवहार ने उन्हें काफी दुखी किया तभी क्रोधित होकर माता सती हवन कुंड में कूद गई और उनकी मृत्यु हो गई। जब यह बात भगवान शिव शंकर को पता लगी तो वह बहुत ही दुखी हुए।

शिव शंकर सती के गम में सब कुछ भूलकर सती के शव को अपने साथ लेकर आकाश में इधर-उधर घूमने लगे। देवी देवताओं ने जब यह दृश्य देखा कि भगवान शिव शंकर काफी समय से माता सती के शव को आकाश में लेकर तांडव कर रहे हैं तभी भगवान विष्णु ने अपने चक्र से भगवान शिव को उनके दुख से दूर कराने के लिए माता सती के शव के 51 टुकड़े कर दिए और यह टुकड़े अलग-अलग जगह पर गिरे। ऐसा माना जाता है कि 51 टुकड़ो में से सती की योनि और गर्व कामाख्या मंदिर वाले स्थान पर ही गिरे तभी से वहां पर कामाख्या देवी के लिए कामाख्या मंदिर की स्थापना हुई इस मंदिर के बारे में और भी कुछ कहानियां हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव शंकर और माता पार्वती के बीच प्रेम की शुरुआत यहीं से हुई थी वास्तव में कामाख्या देवी का यह मंदिर हम सभी को एक बार जरूर देखना चाहिए।

दोस्तों हमें बताएं कि कामाख्या देवी पर लिखी यह कहानी kamakhya devi story in hindi आपको कैसी लगी।

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