ज्वालामुखी पर निबंध व कविता Jwalamukhi Essay & Poem in Hindi

Jwalamukhi Essay in Hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं ज्वालामुखी पर हमारे द्वारा लिखित निबंध और कविता। ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर स्थित छिद्र या दरार होता है जिसके माध्यम से पृथ्वी के अंदर उपस्थित गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर निकलती है ज्वालामुखी कहलाता है। ज्वालामुखी जब आता है तो काफी सारा नुकसान भी होता है और इससे कई लाभ भी होते हैं ज्वालामुखी अपनी सक्रियता के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं सक्रिय ज्वालामुखी, मृत ज्वालामुखी और प्रसुप्त ज्वालामुखी।

Jwalamukhi Essay & Poem in Hindi
Jwalamukhi Essay & Poem in Hindi

सक्रिय ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी होते हैं जो अभी सक्रिय होते हैं यानी जो अभी फट रहे होते हैं या आने वाले समय में उनके फटने की आशंका होती है सक्रिय ज्वालामुखी कहलाते हैं। मृत ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी होते हैं जिनके अंदर का लारवा, गैस नष्ट हो चुके होते हैं और प्रसुप्त ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी होते हैं जो आज से कुछ समय पहले ही फट चुके होते हैं यानि अब उनसे खतरा नहीं है। जो सक्रिय ज्वालामुखी होते हैं वह काफी खतरनाक भी होते हैं।

Jwalamukhi वास्तव में हम सभी के लिए बहुत ही लाभदायक भी होते हैं वहीं इससे खतरा भी बहुत होते हैं ज्वालामुखी फटता है तो इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है दरअसल ज्वालामुखी के फटने पर पृथ्वी के अंदर की सतह से बहुत सारे मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने वाले पदार्थ मिट्टी में आकर ऊपर मिल जाते है जिससे फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है और पहाड़ आदि भी इसी ज्वालामुखी के द्वारा ही बनते हैं।

एक और हम देखें तो ज्वालामुखी फटने से लाभ है लेकिन दूसरी और ज्वालामुखी फटने से हानियां भी हैं ज्वालामुखी फटने से बहुत सारे लोगों को नुकसान होता है बहुत सारे लोग मारे जाते हैं, कुछ लोग अपने परिवार वालों से दूर हो जाते हैं और अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं।

ज्वालामुखी से बचने के लिए हमें कुछ उपाय करने चाहिए यदि किसी स्थान विशेष पर ज्वालामुखी आने की संभावना हो तो हमें चाहिए कि हम उस स्थान से दूर रहें। हम किसी दूसरे स्थान पर भी जा सकते हैं जिससे हम अपने जीवन को बचा सकें। कभी-कभी ज्वालामुखी बहुत ही हानिकारक होता इसके काफी दुष्परिणाम होते हैं।

ज्वालामुखी पर कविता Jwalamukhi Poem in Hindi

आ गया है ज्वालामुखी

गर्म गैसे बाहर निकल रही

लावा कैसे उफन रहा

चारों और खोफ छा रहा

 

पहाड़ों का निर्माण होता

मिट्टी की उर्वरता का निर्माण होता

मनुष्य को नुकसान भी होता

चारों ओर हाहाकार भी होता

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