जयशंकर प्रसाद की कविता झरना Jharna poem in hindi

Jharna poem by jaishankar prasad in hindi

जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1890 में हुआ था इनके पिता कलाकारों का आदर करने के लिए विख्यात थे ये एक निबंधाकार,कहानीकार,उपन्यासकार के साथ में एक विख्यात कवि भी थे.इनकी कई कविताएं लोकप्रिय भी हुई इन्होने काव्य रचना ब्रज भाषा में की लेकिन धीरे धीरे ये अपने काव्य में खड़ी बोली का भी प्रयोग करने लगे थे. इन्होने हिन्दी काव्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है आज हम जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित झरना कविता पढने वाले है तो चलिए पढ़ते है इनके द्वारा लिखित इस बेहतरीन कविता को

Jharna poem in hindi
Jharna poem in hindi

मधुर है स्त्रोत मधुर है लहरी
ना है उत्पात छटा है छहरी
मनोहर झरना

कठिन गिरी कहां विदारित करना
बात कुछ छिपी हुई है गहरी
मधुर है स्त्रोत मधुर है लहरी

कल्पनातीत कल की घटना
ह्रदय को लगी अचानक रटना
देखकर झरना

प्रथम वर्षों से इसका भरना
स्मरण हो रहा सेल का कटना
कल्पनातीत काल की घटना

कर गई प्लावित तन मन सारा
एक दिन तब अपांग की धारा
हृदय से झरना

बह चला जैसे द्रगजल दरना
प्रणय वन्या ने किया पसारा
कर गई पिलावित तन मन सारा

प्रेम की पवित्र परछाई में
लालसा हरित विटप झाई में
बह चला झरना

तापमय जीवन शीतल करना
सत्य यह तेरी सुघराई में
प्रेम की पवित्र परछाई में

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