जीण माता की कथा इन हिंदी jeen mata katha in hindi
jeen mata katha in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जीण माता की कथा सुनाने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जीण माता की कथा को सुनते हैं । जीण माता का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है । यह मंदिर राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है । इस मंदिर से काफी लोगों की आस्था जुड़ी हुई हैं । कई सारे लोग इस मंदिर के दर्शनो के लिए जाते हैं ।
इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना माना जाता है । इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1000 साल पहले हुआ था । इस मंदिर में जीण माता की मूर्ति स्थापित है । इस मंदिर के पास में भैरव बाबा का मंदिर भी स्थित है । चलिए अब हम जीण माता की कथा को विस्तार से पढ़ते हैं ।
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कथा – जीण माता के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जीण माता का जन्म राजस्थान में चौहान वंश के राजपूत परिवार में हुआ था । जीण माता का एक भाई भी था जिसका नाम हर्ष था । हर्ष की शादी हो गई थी । इस तरह से जीण माता का परिवार था । दोनों भाई बहन हर्ष एवं जीण माता का आपस में बहुत गहरा स्नेह था । एक बार क्या होता है कि हर्ष की पत्नी एवं जीण माता पानी भरने के लिए तालाब के किनारे जाती हैं ।
भाभी एवं ननद के बीच यह चर्चा होने लगती है कि हर्ष सबसे ज्यादा किसे प्यार करते है । जीण माता को पूरा विश्वास था कि उसका भाई उससे बहुत स्नेह करता है । इस तरह से भाभी एवं ननद में बहस होने लगी थी । उसकी भाभी ने जीण माता से कहा कि यदि तुम्हारे भाई मुझसे ज्यादा तुमसे प्रेम करते हैं तो हम एक शर्त रखते हैं । दोनों के बीच में यह शर्त लगी की तुम्हारे भाई सबसे पहले जिसके सिर से मटका उतारेंगे समझ लेना उसी से ज्यादा प्यार करते हैं ।
भाभी एवं ननद सिर पर मटके को रखकर अपने घर की ओर जाने लगी ।जब भाभी एवं ननंद घर पर पहुंची तब हर्ष ने अपनी पत्नी के सिर पर से मटके को सबसे पहले उतारा क्योंकि हर्ष दोनों की शर्त के बारे में नहीं जानता था । यह देख कर जीण माता को बहुत बुरा लगा । जो प्रेम जीण माता अपने भाई से करती थी उनके मन में खटास उत्पन्न हो गई । जीण माता अपने भाई से नाराज हो गई थी । भाई से नाराज हो जाने के कारण जीण माता अरावली के काजल शिखर पर चली गई थी ।
वहां पर जाने के बाद जीण माता ने तप करने का फैसला किया , घोर तपस्या करने का फैसला किया । तपस्या का फैसला करने के बाद जीण माता पहाड़ी पर जाकर के ध्यान मग्न हो गई । इधर जब हर्ष को पता चला कि उनकी बहन उनसे नाराज होकर कठोर तप करने के लिए पहाड़ी पर गई है तब हर्ष ने अपनी पत्नी से इसका कारण पूछा । हर्ष की पत्नी ने हर्ष को सब कुछ बता दिया । यह सुनकर हर्ष तुरंत काजल शिखर पर गया और अपनी बहन से क्षमा मांगने लगा ।
हर्ष अपनी बहन से कहने लगा कि है बहन मुझे इस शर्त के बारे में कुछ भी पता नहीं था । मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूं । घर वापस चलो । परंतु जीण माता ध्यान मग्न हो चुकी थी । उन्होंने अपने भाई की बात को नहीं माना और वहीं पर तप करती रही । जीण माता के कठोर तप के कारण , कठोर तप के प्रभाव से चुरू में देवी का वास हो गया था ।अपनी बहन को तप करते हुए , देखते हुए हर्ष ने भी यह फैसला किया कि मैं भी तप करूंगा । हर्ष भैरव की तपस्या करने लगा और वहां पर आज भी भैरव बाबा का मंदिर स्थित है ।
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