जालंधर और वृंदा की कहानी Jalandhar vrinda story in hindi
jalandhar vrinda story in hindi
दोस्तों जालंधर और वृंदा की कहानी आज हम आपको सुनाने वाले हैं जालंधर जो कि एक राक्षस था और वृंदा जालंधर की पत्नी थी.वृंदा भगवान विष्णु की भक्तिनी थी वह भगवान विष्णु की पूजा आराधना किया करती थी.वृंदा पतिव्रता स्त्री थी और जालंधर को अपनी शक्तियों पर घमंड था वह तीन लोको पर आक्रमण करना चाहता था.
जालंधर शिव शंकर के पास पहुंचा तो शिव शंकर से उनका काफी समय युद्ध चला लेकिन भगवान शिव उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाए क्योंकि वृन्दा का पतिव्रत धर्म उसकी राह था.फिर सभी देवताओं के कहने पर भगवान विष्णु जालंधर बनकर वृंदा के समक्ष प्रस्तुत हुए और उनका पतिव्रत धर्म भंग कर दिया और इधर भगवान शिव शंकर ने जालंधर को मार गिराया.अब जालंधर की पत्नी वृंदा बहुत क्रोधित थी उसको पता चला कि उसके पति को मार डाला है और विष्णु भगवान वह उसके साथ छल किया है तो उसने विष्णु भगवान को श्राप दिया कि तुम पत्थर हो जाओ तभी चारों ओर हाहाकार मच गया था.
तब सभी देवता वृन्दा से प्रार्थना करने लगे कि भगवान विष्णु को पत्थर से मुक्त करें तो वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर से मुक्त कर दिया और वृंदा अपने पति का सिर लेकर सती हो गई.सती हो जाने के बाद उस स्थान पर एक पौधा उत्पन्न हुआ जिसे तुलसी का नाम दिया गया और भगवान विष्णु ने यह आदेश दिया कि आज से मेरी पूजन में तुलसी के पौधे का उपयोग किया जाएग और तुलसी का विवाह संसार में खुशी से मनाया जाएगा.
इस तरह से जालंधर और वृंदा की कहानी समाप्त हुई. आज भी तुलसी पौधे के रूप में ज्यादातर घरो में उपस्थित रहती है।
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