जहाँगीर का इतिहास हिंदी में Jahangir history in hindi
Jahangir history in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जहाँगीर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जहाँगीर के इतिहास को बड़ी गहराई से पढ़ते हैं ।
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जहांगीर का जन्म – मुगल साम्राज्य का सबसे साहसी और शक्तिशाली राजा जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त 1542 को हुआ था । मुगल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली राजा जहाँगीर का जन्म फतेहपुर सीकरी में , शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में हुआ था । जहाँगीर के जन्मदाता अकबर है । जहाँगीर के पिता का नाम अकबर था ।
जहाँगीर की माता का नाम मरियम उज जमानी था । जिन्हें जोधा बाई के नाम से भी सभी लोग जानते हैं । जहाँगीर के पिता को सभी मुगल साम्राज्य के सबसे अच्छे शासक के रूप में जानते हैं । उनके पिता बहुत ही साहसी और पराक्रमी थे ।जहाँगीर के पिता ने कई युद्ध अपनी मेहनत और लगन से जीते थे ।
जहाँगीर का पूरा नाम – मुगल साम्राज्य के साहसी शासक जहाँगीर का पूरा नाम मिर्जा नूर उद दीन बेग मोहम्मद खान सलीम था । यह नाम उनके जन्म स्थल के नाम पर रखा गया था क्योंकि जहाँगीर का जन्म फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती के घर में हुआ था । शेख सलीम चिश्ती के नाम पर ही जहाँगीर का नाम रखा गया था ।
इसके बाद जहाँगीर नाम की उपाधि मिर्जा नूर उद दीन बेग मोहम्मद खान सलीम को मिली थी । इस उपाधि के मिलने के बाद सभी मिर्जा नूर उद दीन बेग मोहम्मद खान सलीम को जहाँगीर के नाम से जानने लगे थे । इसी नाम से जहाँगीर के सभी काम हुआ करते थे । उनके दुश्मन एवं चाहने वाले लोग उनको जहाँगीर के नाम से ही जानते थे । जहाँगीर नाम से ही जहाँगीर पहचाने जाते थे ।
जहाँगीर के माता पिता – जहाँगीर के पिता का नाम अकबर था और उनको जन्म देने वाली माता का नाम मरियम उज जमानी था । जहाँगीर की मां को सभी जोधा बाई के नाम से जानते थे । इसके बाद जहाँगीर की कई और सौतेली मां भी थी । जहाँगीर अकबर के बड़े बेटे थे ।अकबर के निधन के बाद जहाँगीर उर्फ मिर्जा नूर उद दीन बेग मोहम्मद खान सलीम को मुगल शासन काल में शासक बनाया गया था । जहाँगीर की देखरेख में मुगल साम्राज्य आगे बढ़ रहा था ।
जहाँगीर का शासन काल चित्रकला का स्वर्णकार – जहाँगीर को बचपन से ही चित्रकारी करने का बहुत ही शौक था । जहाँगीर तरह तरह के चित्र एकत्रित किया करता था और अपने महल की दीवार पर लगाया करता था । शिकार करते हुए चित्रों की चित्रकारी जहाँगीर ने स्वयं की थी । जहाँगीर चित्रकार करने वाले चित्रकारों को इनाम दिया करता था , उनको पुरस्कृत किया करता था ।जहाँगीर के शासनकाल में चित्रकारी की कई प्रतियोगिताएं की जाती थी ।
जहाँगीर के शासनकाल में चित्रकला को बढ़ावा दिया गया था । इसीलिए जहाँगीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्ण काल कहा जाता था । जहाँगीर मुगल साम्राज्य का एक ऐसा राजा था जिसको चित्रकला एवं कलाकारों से लगाब था । जहाँगीर के शासनकाल में सबसे अच्छे और मशहूर चित्रकार मनसूर बिशन दास एवं मनोहर थे । इन चित्रकारों को जहाँगीर के द्वारा कई बार पुरस्कृत भी किया गया था । जब भी जहाँगीर को समय मिलता था वह अपने शासन काल में चित्रकला की प्रतियोगिताएं कराया करता था ।
जिस चित्रकार की चित्रकला जहाँगीर को पसंद आ जाती थी वह उसको मुंह मांगा इनाम दे दिया करता था । इसीलिए जहाँगीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्ण काल कहा जाता था ।
जहाँगीर के शासनकाल में लिए गए फैसले – जब जहाँगीर ने अपना शासन प्रारंभ किया था तब जहाँगीर ने कई बड़े फैसले लिए थे । जब जहाँगीर ने देखा कि यहां के नागरिक जब कोई कानून तोड़ते हैं तब उनके नाक , कान , हाथ काट दिए जाते हैं । यह सजा जहाँगीर को पसंद नहीं आई और जहाँगीर ने 1605 में हाथ , कान , नाक , काटने वाले कानून को पूरी तरह से बंद कर दिया था । जहाँगीर के शासनकाल में शराब एवं कई नशीले पदार्थों को भी बंद किया गया था ।
कई और ऐसे फैसले जहाँगीर के शासनकाल में लिए गए थे जिससे वहां के नागरिकों को बहुत फायदा हुआ था । कुछ ऐसे कड़े कानून को भी जहाँगीर ने हटाया था जिन कानून के माध्यम से महिलाओं पर अत्याचार किए जाते थे ।
जहाँगीर का विवाह – मुगल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली शासक जहाँगीर का प्रथम विवाह 1585 को हुआ था ।जहाँगीर का प्रथम विवाह आमेर के राजा भगवान दास की पुत्री एवं मानसिंह की बहन मानबाई से हुआ था । इसके बाद जहाँगीर ने दूसरा विवाह मारवाड़ के राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई से किया था क्योंकि जहाँगीर का दिल जगत गोसाई पर आ गया था । जहाँगीर जगत गोसाई को पसंद करने लगा था । जब जहाँगीर ने जगत गोसाई को देखा तब जहाँगीर ने जगत गोसाई से विवाह करने का फैसला कर लिया था ।
जहाँगीर ने 20 शादियां की थी उनकी सबसे चाहती और पसंदीदा पत्नी नूरजहां थी । नूरजहां से जहाँगीर बहुत प्रेम किया करते थे । नूरजहां बहुत साहसी एवं निडर स्त्री , बहुत खूबसूरत भी थी ।जिसके कारण जहाँगीर का दिल नूरजहां पर आ गया था । जहाँगीर ने मभांवती बाई , नूरजहां , जगत गोसाई , साहिब जमाल , नूरु निन्सा बेगम , कर्मसी , खास महल , सालिहा बानो बेगम आदि से विवाह किया था ।
जहाँगीर के पुत्र – जहाँगीर के 5 पुत्र थे । जिनके नाम खुसरो मिर्ज़ा , परवेज जहांदार , निसार बेगम , बहार बनू बगुम , शाहजहां , शहरयार आदि थे । जहाँगीर के बड़े पुत्र खुसरो मिर्ज़ा को जहाँगीर का उत्तराधिकारी बनाया गया था । मुगल शासन को जहाँगीर के द्वारा अगले शासक के रूप में खुसरो मिर्ज़ा को चुना गया था ।
न्याय की जंजीर – जहाँगीर के द्वारा कई ऐसे अध्यादेश जारी किए गए थे जिनका फायदा वहां के नागरिकों को प्राप्त हुआ था । जहाँगीर ने अपनी महल की दीवार पर एक जंजीर टांग दी थी जिसका उद्देश्य जनता के लिए न्याय करने का था । जो भी नागरिक असहाय एवं दान दुखी था उसको जहाँगीर के द्वारा बहुत सा धन दिया जाता था । जहाँगीर के द्वारा बनाई गई न्याय की जंजीर आज भी मौजूद है । जो भी व्यक्ति उस न्याय की जंजीर को देखता है वह जहाँगीर को अवश्य याद करता है । जहाँगीर के शासनकाल में ही लोगों के साथ न्याय किया गया था ।
जहाँगीर की शिक्षा एवं इनके बारे में – जहाँगीर का इतिहास बड़ा ही रोचक एवं दिलचस्प रहा है । जहाँगीर के जन्म के बाद उनके पिता अकबर ने उनको शिक्षा दिलाने के लिए बैरम खां के पुत्र अब्दुल रहीम खान ए खाना को एक शिक्षक के रूप में चुना गया था । उन्हीं की देखरेख में जहाँगीर को विद्वान बनाया गया था । जहाँगीर ही मुगल साम्राज्य का ऐसा राजा था जिसको हर क्षेत्र का ज्ञान प्राप्त था ।
अब्दुल रहीम खान ए खाना के द्वारा ही जहाँगीर को भूगोल , इतिहास , अरबी , अंकगणित , फारसी एवं विज्ञान विषय में शिक्षा प्राप्त हुई थी । अब्दुल रहीम से शिक्षा प्राप्त करने के बाद जहाँगीर बहुत समझदार एवं साहसी शासक बना था । मुगल साम्राज्य के समय सबसे अधिक विद्वान शिक्षक के तौर पर सभी लोग अब्दुल रहीम खान ए खाना को जानते थे । जहाँगीर के पिता अकबर यह जानते थे कि यदि जहाँगीर को शिक्षित करना है तो अब्दुल रहीम खान को ही शिक्षक के तौर पर रखना चाहिए ।
इस तरह से जहाँगीर ने शिक्षा प्राप्त की थी । शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1605 में अकबर के द्वारा मुगल साम्राज्य का जहाँगीर को उत्तराधिकारी बनाया गया था । 15 अक्टूबर 1605 को जहाँगीर को मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाया गया था । जहाँगीर का राज्याभिषेक 1605 को आगरा में किया गया था । जिसके बाद जहाँगीर ने मुगल साम्राज्य को आगे बढ़ाने का काम करना प्रारंभ किया था । जहाँगीर ने मुगल साम्राज्य का शासक बनने के बाद तुरंत कई अध्यादेश जारी किए थे , कई ऐसे कानूनों को निरस्त किया था जिसका दुष्प्रभाव वहां के रहने वाले लोगों को हो रहा था ।
1605 ईसवी में जहाँगीर ने नाक , कान , हाथ काटने वाला कानून रद्द किया था । इसके बाद कई और ऐसे कानून भी जहाँगीर के द्वारा रद्द किए गए थे जिसका दुष्प्रभाव वहां की प्रजा पर पड़ रहा था । जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरो मिर्ज़ा का विद्रोह जहाँगीर से होता रहा था । 1605 ईसवी में जहाँगीर के बड़े पुत्र खुसरो मिर्ज़ा ने जहाँगीर से विद्रोह छेड़ दिया था । उस समय खुसरो मिर्ज़ा की मदद सिख समुदाय के पांचवे गुरु अर्जुन देव कर रहे थे ।
उन्हीं के नेतृत्व में खुसरो मिर्ज़ा ने अपने पिता जहाँगीर के विरुद्ध लड़ाई छेड़ दी थी । इस युद्ध में खुसरो मिर्ज़ा हार गया था और जहाँगीर ने सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव की हत्या कर दी थी , उनको फांसी पर चढ़ा दिया था । जहाँगीर की सबसे बड़ी जीत 1620 ईस्वी में हुई थी जब जहाँगीर ने कानगड़ह जीत लिया था लेकिन कई युद्ध में जहाँगीर को हार का सामना भी करना पड़ा था । जिस तरह से जहाँगीर के शासनकाल में मुगल साम्राज्य का विस्तार हुआ था उसी तरह से कई क्षेत्र में जहाँगीर को हार का सामना भी करना पड़ा था ।
1622 में जहाँगीर को युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था और कंधार क्षेत्र जहाँगीर के हाथ से निकल गया था । 1623 ईस्वी में जहाँगीर से खुर्रम ने विद्रोह छेड़ दिया था । क्योंकि नूरजहां अपने दामाद शहरयार को बली अहद बनाने की कोशिश कर रही थी । खुर्रम ने इस बात का विद्रोह किया । कई प्रकार का षड्यंत्र जहाँगीर के विरुद्ध खुर्रम के द्वारा रचा गया था । इस तरह से जहाँगीर ने अपने शासनकाल में कई उपलब्धियां प्राप्त की थी ।
जहांगीर के शासनकाल में मुगल साम्राज्य का शासन दूर-दूर तक फैला था । मुगल शासन में जहाँगीर ने 15 अक्टूबर 1605 से अपना शासन प्रारंभ किया था और 8 नवंबर 1627 तक अपना शासन चलाया था । तकरीबन 22 वर्ष 24 दिन तक जहाँगीर ने शासन किया था ।
मृत्यु – जहाँगीर का निधन 8 नवंबर 1627 को चिंगारी सिरी में हुआ था । जब जहाँगीर का निधन हुआ था तब जहाँगीर की उम्र 58 वर्ष की थी । जब जहाँगीर कश्मीर से लौटकर आ रहा था तब रास्ते में भीमबार नामक स्थान पर जहाँगीर का निधन हो गया था । जहाँगीर के निधन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह शराब एवं अफीम का नशा किया करता था । जिसके कारण जहाँगीर बीमार हो गया था और कश्मीर से लौटते समय उनका निधन हो गया था । निधन के बाद जहाँगीर को लाहौर के पास शहादरा में रावी नदी के किनारे दफनाया गया था
जहाँगीर के द्वारा लिखी गई किताब – जहाँगीर को चित्रकारी करने के साथ-साथ किताबें लिखने का भी शौक था । जहाँगीर ने कई किताबें लिखी हैं । तुजुक ए जहाँगीर नामक किताब जहाँगीर के द्वारा लिखी गई है ।इस किताब में जहाँगीर ने अपनी पूरी आत्मकथा का जिक्र किया है , अपनी आत्मकथा लिखी है । इस किताब में जहाँगीर के विचार लिखे हैं । जहाँगीर ने तज्जू नामक किताब भी लिखी गई है । इस किताब में जहाँगीर के हर युद्ध के बारे में उल्लेख किया गया है ।
इस किताब में जहाँगीर के हालात के बारे में लिखा गया है । जहाँगीर को जब भी समय मिलता था वह अपना खाली समय किताबों को लिखने में बताया करता था ।
जहाँगीर एवं नूरजहां के रिश्ते – जहाँगीर एवं नूरजहां के रिश्ते बहुत ही अच्छे थे क्योंकि जहाँगीर की सबसे सुंदर एवं पसंदीदा बेगम नूरजहां थी । जहाँगीर नूर जहां से बहुत प्रेम किया करते थे । उनकी सबसे प्रिय पत्नियों के रूप में नूरजहां को सभी जानते थे क्योंकि नूरजहां साहसी और बुद्धिमानी महिला थी । कई युद्ध में नूरजहां ने अपनी बुद्धि से जहाँगीर को जीत दिलाई थी । नूरजहां की सुंदरता को देखकर जहाँगीर उन पर फिदा हुए थे और नूरजहां को देखने के बाद जहाँगीर ने उनसे निकाह करने का फैसला कर लिया था ।
निकाह करने के बाद वह नूरजहां के हर फैसले को मानते थे । जब नूरजहां ने जहाँगीर से अपने दामाद शहरयार को वली अहद बनाने के लिए कहा तब जहाँगीर ने नूरजहां के इस फैसले को मान लिया था । कहने का तात्पर्य है कि जहाँगीर नूरजहां के हर फैसले को मानता था । जहाँगीर एवं नूरजहां के रिश्ते बहुत अच्छे थे ।जहाँगीर ने अधिकतर 20 शादियां की थी । परंतु जहाँगीर नूरजहां से बहुत प्रेम किया करते थे । सभी पत्नियों में जहाँगीर नूरजहां को तवज्जो जायदा दिया करते थे ।
जहाँगीर ने ज्यादातर शादियां राजनीति के उद्देश्य की थी ।परंतु एक या दो शादियां सिर्फ खूबसूरती के कारण एवं प्रेम के कारण की थी । जहाँगीर का प्रेम नूरजहां को माना जाता है ।
जहाँगीर के शासनकाल में अंग्रेजों का भारत में आना – जहाँगीर के शासनकाल में ही ब्रिटिश शासन के अंग्रेज सर प्राइस रो भारत में उद्योग एवं व्यापार के उद्देश्य से राजदूत बनकर आए थे । यहीं से भारत की धरती पर अंग्रेजों के बुरे कदम पड़े थे ।
जहाँगीर का मकबरा – जहाँगीर के निधन के बाद तकरीबन 10 साल के बाद उनके पुत्र शाहजहां ने उनकी याद में जहाँगीर के मकबरे को बनवाया था । जहाँगीर के मकबरे को उनके पुत्र शाहजहां ने लाहौर के पास में स्थित एक जगह पर बनवाया था जो कि आज भी मौजूद है ।जहाँगीर का मकबरा बहुत ही प्रसिद्ध मकबरा है । कई लोग आज भी जहाँगीर के मकबरे को देखने के लिए जाते हैं ।
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