जगन्नाथ रथ यात्रा की कहानी jagannath puri rath yatra story in hindi

jagannath puri rath yatra story in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए जगन्नाथ रथ यात्रा की कहानी लेकर आए हैं जिस कहानी को पढ़कर हम जगन्नाथ पुरी यात्रा को समझेंगे . चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जगन्नाथ पुरी यात्रा पर लिखी इस कहानी को पढ़ते हैं . जगन्नाथ पुरी का मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है . यह हमारे भारत का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है . यहां पर देश-विदेश से लोग घूमने के लिए आते हैं . जगन्नाथ पुरी के मंदिर की रथ यात्रा सबसे शुभ मानी जाती है . जब पुरी में जगन्नाथ भगवान जी की यात्रा निकाली जाती है तब दूर-दूर से लोग वहां पर आते हैं .

jagannath puri rath yatra story in hindi
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जगन्नाथ पुरी में भगवान कृष्ण जी का मंदिर है . कृष्ण भगवान के साथ-साथ बलराम और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्ति भी है . जगन्नाथ पुरी की यात्रा आषाढ़ माह के शुल्क पक्ष के दूसरे दिन बड़े धूमधाम से निकाली जाती है . यात्रा को लेकर कई कहानी हमें सुनने को मिलती है . कुछ लोगों का यह मानना है की भगवान श्री कृष्ण की मौसी ने कृष्ण भगवान , बलराम और उनकी बहन सुभद्रा को जगन्नाथ पुरी में आने का निमंत्रण दिया था और भगवान कृष्ण भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रथ में  बिठाकर जगन्नाथपुरी गए थे और मौसी के यहां पर रहे थे .  जगन्नाथ पुरी में उन्होंने रथ में बैठकर पूरी जगन्नाथ पुरी का भ्रमण किया था .

तभी से आषाढ़ माह के शुल्क पक्ष के दूसरे दिन जगन्नाथ पुरी भगवान की यात्रा बड़ी धूमधाम से निकाली जाती है . जगन्नाथ पुरी यात्रा की तैयारी एक दो महीने पहले से ही शुरू की जाती है क्योंकि रथ यात्रा के समय काफी लोग दूर-दूर से वहां पर एकत्रित होते हैं . जब भगवान कृष्ण की रथ यात्रा जगन्नाथपुरी में निकाली जाती है तब यह कहा जाता है की भगवान कृष्ण उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा को ताजे फलों के पानी  से स्नान कराया जाता है . इसके बाद कृष्ण भगवान बलराम और बहन सुभद्रा को रथ में बैठा कर उनकी मौसी के मंदिर पर माथा टेकने के लिए ले जाया जाता है . इसके बाद रथ  को  जगन्नाथपुरी में भ्रमण कराया जाता है .

रथ को फूलों से सजाया जाता है . कुछ लोगों का यह कहना  है कि आषाढ़ माह के शुल्क पक्ष के पहले देवी देवता बीमार हो जाते हैं . इसलिए भगवान कृष्ण, बलराम,बहन सुभद्रा की मूर्ती को 108 फलो के रस से नहलाया जाता हैं । जिस तरह से बिमार ब्यक्ति की देख रेख की जाती उसी तरह से भगबान कृष्ण, बलराम,बहन सुभद्रा की देख रेख की जाती हैं .  आषाढ़ माह के शुल्क पक्ष के दूसरे दिन जगन्नाथपुरी में भगवान कृष्ण बलराम और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा निकालने की परंपरा है . भगवान कृष्ण , बलराम बहन सुभद्रा को सुंदर- सुंदर वस्त्र पहना कर रथ में बैठाया जाता है और पूरे जगन्नाथ पुरी में  रथ यात्रा निकाली जाती है .

रथ यात्रा में काफी लोग हिस्सा लेने के लिए आते हैं . रथ यात्रा के दिन पूरा जगन्नाथ पुरी भगवान कृष्ण के जयकारे लगाने में मगन हो जाते हैं . भगवान श्री कृष्ण की रथ यात्रा को कृष्ण की मौसी के मंदिर पर ले जाई जाती है और तीनों मूर्तियों के सीस उनकी मौसी की मूर्ति के आगे झुकाए जाते हैं . ऐसा कहा जाता है की साल में 1 महीने के लिए कृष्ण भगवान बलराम और बहन सुभद्रा अपनी मौसी से मिलने के लिए  रथ में बैठकर जगन्नाथ पुरी जाते थे .

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