भारतीय रेल का इतिहास indian railway history in hindi
indian railway history in hindi
indian railway – दोस्तों आज हम आपको इस बेहतरीन लेख के माध्यम से भारतीय रेल के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और भारतीय रेल के इतिहास को गहराई से पढ़ते हैं ।

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भारतीय रेल के इतिहास के बारे में – एशिया में भारत देश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है । भारत में रेल संचालन की स्थापना 16 अप्रैल 1853 को की गई थी । रेल संचालन के लिए सन 1951 में राष्ट्रीय कृत करने का फैसला लिया गया था और इस फैसले के बाद रेल का पहला मुख्यालय नई दिल्ली में बनाया गया था । इसके पहले 1848 में मुंबई में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला कंपनी की स्थापना करने का विचार किया गया था और इस कंपनी को रेलवे कंपनी नाम दिया गया था । सन 1850 में ही इस ग्रेट इंडियन पेनिनसुला कंपनी ने बंबई के थाड़े तक एक विशाल रेल लाइन बिछाने का काम प्रारंभ किया था ।
यहीं से भारत में प्रथम बार रेल लाइन बिछने का काम प्रारंभ हुआ था और इसी वर्ष के दौरान इसी कंपनी के द्वारा रानीगंज से हावड़ा तक एक लंबी रेल लाइन बिछाकर तैयार की थी । जब रेल लाइन बिछाकर के ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे कंपनी ने तैयार कर दी थी इसके बाद सन 1853 में मुंबई से थाड़े तक पहली ट्रेन इस लाइन पर चलाई गई थी और इस रेलगाड़ी ने 34 किलोमीटर की दूरी तय की थी । यहीं से भारतीय रेल के विकास की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी । आज भारतीय रेल का विकास बहुत तेज गति से हो रहा है ।
आज भारतीय रेल एशिया की सबसे अच्छी रेल कंपनी बन चुकी है । भारत देश में रेलवे स्टेशनों की संख्या 7172 हो गई है । इससे यह पता चलता है कि भारतीय रेल का विकास दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि भारत देश के लोग प्रतिदिन लाखों करोड़ों की संख्या में रेल के माध्यम से एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं और भारतीय रेल का विकास दर प्रतिवर्ष बढ़ता है । आज भारतीय रेल विभाग के पास 7910 रेल इंजन मौजूद है जिसकी सहायता से भारत देश में सवारी गाड़ी एवं मालगाड़ी चलती हैं ।
भारत देश में जितनी पटरिया हैं उन पटरियों में से चालू पटरियों की लंबाई तकरीबन 84260 किलोमीटर है । भारत में जितनी लाइन पटरियों की बिछी हुई है उसमें से 40% पटरियों का विद्युतीकरण भारतीय रेल मंत्रालय एवं भारतीय रेल विभाग के द्वारा किया जा चुका है । भारतीय रेल मंत्रालय से प्रतिवर्ष भारतीय रेल विकास के लिए बजट पास कराया जाता है जिससे कि भारतीय रेल का विकास दिन प्रतिदिन बढ़ता जाए । भारत के कोने कोने तक रेल की सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए भारतीय रेल मंत्रालय निरंतर प्रयास करता रहता है ।
प्रतिवर्ष यह कोशिश की जाती है कि रेल बजट में बढ़ोतरी की जाए जिससे भारतीय रेल की व्यवस्था को बेहतर से बेहतर बनाया जाए , भारतीय सवारी गाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी की जाए , भारतीय मालगाड़ी की संख्या में बढ़ोतरी की जाए । भारत में भारतीय रेल परिवहन के विकास एवं रखरखाव के लिए रेल मंत्रालय के द्वारा नोडल प्राधिकरण का चुनाव किया गया है । भारतीय मंत्रालय के द्वारा भारतीय रेल के सभी कामकाज एवं विभिन्न पहलुओं की देखरेख के लिए सरकारी क्षेत्र का निरंतर उपक्रम बढ़ाकर रेल विभाग को स्थापित किया गया है ।
भारतीय रेल भारत के लोगों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुई है । मालगाड़ी के माध्यम से बड़े बड़े व्यापारियों को बहुत फायदा हुआ है । सबसे ज्यादा 95% फायदा कोयला व्यापारियों को भारतीय रेल गाड़ियों के माध्यम से हुआ है क्योंकि भारतीय रेल गाड़ियों के माध्यम से कोयले को दूर-दूर तक पहुंचाया जाता है ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा उपक्रम की स्थापना – इकोनामिक सर्विसेज लिमिटेड एवं रेल इंडिया टेक्निकल की स्थापना भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा की गई है जिसे आर आई टी ई कहां जाता है । भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा भारतीय रेल की देखरेख एवं रखरखाव के लिए इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड की स्थापना की गई थी जिसे आईआर एफ एस कहां जाता है । भारतीय मंत्रालय के द्वारा भारतीय रेल के रखरखाव एवं सुविधा के लिए इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन आई आर सी ओ एन अंतरराष्ट्रीय लिमिटेड की स्थापना की गई है ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का गठन किया गया है जिसके माध्यम से भारतीय रेल की विभिन्न पहलुओं की देखरेख की जाती है । भारतीय मंत्रालय , भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं इंडियन रेलवे कैटरिंग आईआरसी टी आर इंडियन रेलवे की स्थापना की गई है ।भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन केआरसीएल लिमिटेड की भी स्थापना की गई है जिसके माध्यम से भारतीय रेल रखरखाव सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा रेल विकास निगम लिमिटेड RVNI की भी स्थापना की गई है । रेल मंत्रालय के द्वारा मुंबई रेलवे विकास कॉरपोरेशन लिमिटेड MRVC की भी स्थापना की गई है । इस प्रकार से भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा भारतीय रेल की सुरक्षा एवं रखरखाव की व्यवस्था के लिए यह सभी कॉरपोरेशन की स्थापना की गई है । जो भारतीय रेल सुविधा , रखरखाव में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं क्योंकि रेल के माध्यम से भारत देश के लोग यातायात करते हैं , रेल के माध्यम से भारत का व्यापार तेजी से आगे बढ़ रहा है इसीलिए भारतीय रेल मंत्रालय को मजबूत एवं विकासशील बनाने के लिए भारतीय रेल मंत्रालय हमेशा तत्पर रहता है ।
भारतीय को बेहतर से बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिवर्ष रेल बजट में बढ़ोतरी की जाती है । भारतीय रेल मंत्रालय का यह प्रयास रहता है कि जो भी भारतीय नागरिक रेल के माध्यम से यात्रा करें उसे यात्रा करने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो इसके लिए रेल मंत्रालय हमेशा तत्पर खड़ा रहता है । भारत देश में रेल के माध्यम से कम दामों पर यात्रा की सुविधा भारतीय नागरिकों को दी गई है ।
भारतीय रेल अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन के बारे में – रेल मंत्रालय के द्वारा कई ऐसे संगठन तैयार किए गए हैं जिनके माध्यम से भारतीय रेल की डिजाइन , भारतीय रेल में सुविधा बेहतर करने के उपाय प्रस्तुत किए जाते हैं । भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा आरडीएसओ का गठन किया गया है जिसके माध्यम से रेल सुविधाओं को बेहतर बनाया जाता है । इसके अलावा लखनऊ में प्रकाश स्कंध अनुसंधान भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा स्थापित किया गया है । यह संगठन भारतीय रेल मंत्रालय की सहायता परामर्शदाता के रूप में मदद करता है ।
यही भारतीय रेल मंत्रालय को बेहतर से बेहतर सुविधा देने की सलाह देता है और प्रोजेक्ट तैयार करके मंत्रालय को भेजता है । रेल मंत्रालय इस पर विचार विमर्श करके भारतीय रेल सुविधा को बेहतर बेहतर से बेहतर करने की कोशिश करता है । इसी संगठन के माध्यम से रेल के डिब्बों का निर्माण किस तरह से किया जाए , रेल के डिब्बों की डिजाइन बनाकर अन्य रेल बनाने वाली फैक्ट्रियों को दिशा-निर्देश एवं परामर्श देती है । यही संगठन रेल विकास परियोजनाओं की रिपोर्ट बनाकर गृह मंत्रालय को देती है ।
यह संगठन 6 प्रकार के यूनिट पहिए , रोलिंग स्टॉक , एक्स एल आदि के प्रोजेक्ट बनाकर के तैयार करती है ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा चितरंजन लोको वर्कर्स की स्थापना – भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा डीजल इंजन कारखाने आधुनिकीकरण करने के लिए चितरंजन लोको वर्कर्स की स्थापना की गई है । जिसके माध्यम से डीजल इंजन कारखाना , रेल कोच फैक्ट्री , एकीकृत कोच फैक्ट्री , रेल पहिया फैक्ट्री को दिशा निर्देश दिए जाते हैं । इसी संगठन के माध्यम से रेल की बनावट तैयार करके पटरी पर लाई जाती है । डीजल से चलने वाली ट्रेनों का विस्तार चितरंजन लोको वर्कर्स के द्वारा ही किया जाता है ।
यह संगठन भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा स्थापित किया गया है । भारतीय रेल मंत्रालय का हमेशा से यही प्रयास रहता है कि वह कई प्रकार के संगठनों के माध्यम से भारतीय रेल की सुविधाओं को बेहतर बना सकें । इसलिए भारतीय रेल मंत्रालय अपने सभी संगठनों को मजबूत करके रखती है जिससे सभी संगठन अपने कामों को बहुत तेज गति से करते हैं । पूरे भारत में रेल का विस्तार निरंतर बढ़ता जा रहा है । चारों तरफ भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा रेल की पटरी बिछाने का काम निरंतर चलता रहता है ।
चितरंजन लोको वर्कर्स के अथक प्रयासों से ही इंजन एवं एकीकृत कोच फैक्ट्री का काम शीघ्रता से किया जाता है ।
भारतीय रेल का भारतीय उद्योगों एवं यातायात की सुविधाओं मे महत्वपूर्ण योगदान – भारतीय रेल का देश के विकास मे महत्वपूर्ण योगदान रहा है क्योंकि मालगाड़ी के माध्यम से लाखों टन माल एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाने में भारतीय रेल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।आज हम जब किसी भी उद्योग को प्रारंभ करते हैं तब हमें आयात एवं निर्यात के लिए भारतीय रेल की सहायता लेनी पड़ती है क्योंकि भारतीय मालगाड़ी के माध्यम से लाखों किलोमीटर दूर सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायता प्राप्त होती है ।
आज हम देख रहे की कोयला का निर्यात भारत देश के चारों तरफ किया जा रहा है । कोयले के माध्यम से ही उद्योग चलते हैं । लाखों टन मात्रा में कोयले का आयात एवं निर्यात देश के चारों तरफ भारतीय रेल के माध्यम से किया जाता है । कोयले के साथ-साथ लोहा , अयस्क , पेट्रोलियम , सीमेंट , इस्पात आदि का आयात एवं निर्यात करने में भारतीय रेल का महत्वपूर्ण योगदान रहता है । इसके साथ साथ खाने-पीने की सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने में भारतीय रेल का महत्वपूर्ण योगदान रहता है ।
चीनी , खाद्य तेल , नमक , गेहूं , चना , सोयाबीन सभी के आयात एवं निर्यात में भारतीय रेल की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । भारतीय रेल के माध्यम से आज हम लाखों किलोमीटर दूर का सफर कम समय में ही तय कर लेते हैं । प्राचीन समय में जब रेल की सुविधा भारत में नहीं थी तब एक शहर से दूसरे शहर में जाने के लिए काफी समय लग जाता था और बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था । परंतु जब से भारतीय रेल का विस्तार भारत में तेजी से बढ़ा है तब से यात्रा करने की सुविधा बहुत आसान हो गई है ।भारतीय रेल कम दामों में यात्रा कराने में हम लोगों की मदद करता है ।
रेल मंत्रालय की निरंतर यही कोशिश रहती है की रेल के माध्यम से भारतीय नागरिकों को बेहतर से बेहतर सुविधा प्रदान की जाए । इसी उद्देश्य से भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा संगठनों की स्थापना की गई है । यदि भारतीय संगठन का गठन नहीं किया जाता तो काफी समस्याओं का सामना भारतीय रेल मंत्रालय को करना पड़ता और बहुत तेजी से भारतीय रेल का विकास नहीं हो पाता । भारतीय रेल मंत्रालय के माध्यम से कई कोच फैक्ट्री का विस्तार किया गया , रेल पहियों की फैक्ट्रियों का विस्तार किया गया था ।
आज हम हर तरह की खाने-पीने की वस्तुएं , पहनने के कपड़े , सजावटी सामान का उपयोग कर रहे हैं वह पूरे देश में भारतीय रेल के महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही पहुंच पाया है और हम लोग उन सामानों का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा भारतीय रेल का आधुनिकीकरण – भारतीय रेल मंत्रालय का निरंतर प्रयास रहता है की भारतीय रेल को आधुनिकीकरण बनाया जाए , नई नई टेक्निक के साथ भारतीय रेल को आगे बढ़ाया जाए । इसीलिए भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा रेलों को विद्युत के माध्यम से चलाने का प्रयास रहता है जिससे कि प्रदूषण न फैले क्योंकि भारतीय रेल के पास डीजल से चलने वाले इंजन हैं जिनके माध्यम से ट्रेनें चलती हैं । तकरीबन 40% ट्रेनो का विद्युतीकरण किया जा चुका है ।
बाकी ट्रेनों का विद्युतीकरण भी भारतीय रेल मंत्रालय के अथक प्रयासों से किया जा रहा है । भारतीय मंत्रालय के माध्यम से भारतीय रेलों का विद्युतीकरण करने के अथक प्रयास किए जा रहे है । इसी उद्देश्य से भारतीय रेल मंत्रालय प्रतिवर्ष रेल बजट में इजाफा करता है जिससे कि भारतीय रेल का विद्युतीकरण पूरी तरह से किया जा सके । विद्युत के माध्यम से ट्रेनें चलने पर किसी भी तरह का कोई भी प्रदूषण नहीं फैलता है । डीजल के माध्यम से चलने वाली ट्रेनें हानिकारक धुआं छोड़ती हैं जिससे वातावरण दूषित होता है ।
मंत्रालय पूरी कोशिश कर रहा है कि 2022 तक भारतीय रेलों को पूरी तरह से विद्युत से जोड़ दिया जाए जिससे प्रदूषण की समस्या हमारे सामने ना आए ।
भारतीय रेल बजट के बारे में – भारत देश में केंद्र की सरकार के माध्यम से , रेल मंत्री के माध्यम से भारतीय रेल बजट को प्रति वर्ष प्रस्तुत किया जाता है । रेल बजट में प्रतिवर्ष रेल मंत्रालय के द्वारा बढ़ाकर संसद में पेश किया जाता है । भारतीय रेल में प्रतिवर्ष बढ़ोतरी होती है । 2008 से 2010 के अंतर्गत तकरीबन 14% की बढ़ोतरी भारतीय रेल बजट में की गई थी । भारतीय रेल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेल प्रतिवर्ष सकल यातायात राजस्व 63120 करोड़ रुपए का फायदा होता है क्योंकि लाखों-करोड़ों यात्री प्रतिदिन रेल के माध्यम से सफर करते हैं और रेल मंत्रालय को प्रतिवर्ष 18% बढ़ोतरी होती है ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 2017 में रेल बजट संसद में पेश किया गया था और इस रेल बजट में कई निर्णायक फैसले लिए गए थे । 2017 के रेल बजट में रेल मंत्रालय के द्वारा सबसे बड़ा यह फैसला लिया गया था कि रेल सुरक्षा निधि में भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा एक लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और इस रुपए से भारतीय रेल कोच के साथ मिलकर भारतीय रेल सुरक्षा निधि में बढ़ोतरी की जाएगी । 2017 के रेल बजट में रेलवे स्टेशनों को अच्छी सुविधा प्रदान करने का निर्णय भी रेल मंत्रालय के द्वारा लिया गया था । जिसमें भारत में स्थित 500 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर लिफ्ट एवं एस्केलेटर सुविधा दी जाएगी ।
सभी स्टेशनों को अलग-अलग प्रकार से सुविधा देकर स्टेशनों को बेहतर रेल मंत्रालय के द्वारा बनाया जाएगा । 2017 के रेल बजट में रेल मंत्रालय के द्वारा आरक्षित रेल टिकट पर भी एक फैसला लिया गया था । रेल मंत्रालय के द्वारा 2017 के रेल बजट में आईआरसीटीसी के माध्यम से आरक्षित रेल टिकट पर जो सेवा शुल्क लगता था वह सेवा शुल्क वापस ले लिया जाएगा । जिसके बाद आरक्षित रेल टिकट के माध्यम से यात्रा करने वाले यात्रियों को फायदा प्राप्त हुआ होगा ।
2017 के रेल मंत्रालय के द्वारा रेल बजट के माध्यम से भारतीय लोगों को तीर्थ यात्रा एवं पर्यटन की सुविधा देने के लिए यह निर्णय लिया गया था कि पर्यटन एवं तीर्थ यात्रा के लिए अलग से गाड़ियों को लांच किया जाएगा ।जिसके शुभारंभ के लिए रेल मंत्रालय के द्वारा कई फैसले लिए गए हैं । रेल मंत्रालय का यह प्रयास है कि जल्द से जल्द पर्यटन एवं तीर्थ यात्रा रेलगाड़ियों को प्रारंभ किया जाए जिससे कि भारत के कई नागरिकों को तीर्थ यात्रा करने में आसानी हो ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 2017 के रेल बजट में 25 ट्रेन स्टेशन के निर्माण करने की घोषणा की गई थी और रेल मंत्रालय का यह कहना था कि जल्द से जल्द भारत में 25 नए रेलवे स्टेशन बनाने का काम प्रारंभ कर दिया जाएगा और इन 25 रेलवे स्टेशनों को बेहतर सुविधा प्रदान की जाएगी । 25 रेलवे स्टेशन के निर्माण के लिए रेल मंत्रालय ने 2017 के रेल बजट में पैसों में बढ़ोतरी करके बिल पेश किया था । भारतीय रेल मंत्रालय के माध्यम से 2017 के रेल बजट में यह घोषणा की गई थी कि एक सबसे सुंदर मेट्रो रेल नीति घोषित की जाएगी जिसके माध्यम से देश के कई बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्राप्त होगा ।
मेट्रो रेल नीति लागू हो जाने के बाद रेल मंत्रालय के माध्यम से नौकरियां युवाओं को दी जाएगी जिससे बेरोजगारी को थोड़ा सा कम किया जाएगा । रेल मंत्रालय के माध्यम से 2017 के रेल बजट में यह कहां गया था की सन 2019 तक भारतीय रेल में स्थित सभी कोचों को जेब शौचालय की सुविधा प्रदान की जाएगी । जिससे रेल कोचों मे स्वच्छता बनी रहेगी । इसी उद्देश्य से रेल मंत्रालय के द्वारा 2017 -2018 के रेल बजट में यह फैसला लिया गया था ।
2017 के रेल बजट में भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा यह फैसला लिया गया था कि सन 2020 तक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा और सभी रेलवे क्रॉसिंग पर पुल बना दिए जाएंगे । जिस पुल के माध्यम से भारतीय नागरिक सावधानीपूर्वक सफर कर सकते हैं । कई बार हमने देखा है कि रेलवे क्रॉसिंग करते समय काफी लोग रिक्स लेते हैं जिसमें उनकी जान तक चली जाती है । रेलवे क्रॉसिंग पर दुर्घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही थी इसी उद्देश्य रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल बजट में रेलवे क्रॉसिंग पुल का निर्माण करने का फैसला लिया था ।
इस तरह से भारतीय रेल मंत्रालय का निरंतर यह प्रयास रहता है की भारतीय नागरिकों की यात्रा को सुलभ बनाने के लिए , भारतीय रेल को विकास की ओर ले जाने के लिए प्रतिवर्ष भारतीय रेल बजट में इजाफा किया जाता है । भारतीय लोगो को रेल के माध्यम से सुविधा युक्त यात्रा कराने में भारतीय रेल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । भारतीय रेल मे कई कर्मचारी काम करते हैं । भारत देश के लाखों-करोड़ों नागरिक भारतीय रेल में काम करके अपने परिवार को पाल रहे हैं ।
भारतीय रेल में तकरीबन 1300000 कर्मचारी काम करते हैं जिन के सहयोग से भारतीय रेल का दिन प्रतिदिन विकास हो रहा है ।
भारत देश में भारतीय रेल की प्रमुख उपलब्धियां – भारत में भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा अथक प्रयास से भारतीय रेल का विकास दिन प्रतिदिन बढ़ता गया । आज कई उपलब्धियां भारतीय रेल मंत्रालय ने प्राप्त की हैं । सबसे बड़ी उपलब्धि भारतीय रेल ने दार्जिलिंग मे ऊंचे ऊंचे हिमालय पर रेलवे की सुविधा देने के लिए पतली गेज की पटरी पर रेल चलाई जो सफलतापूर्वक वहां पर आज भी चल रही है । यह सबसे पतली गेज पर चलने वाली ट्रेन थी इसलिए इसे पुरानी रेल व्यवस्था भी कहा जाता है ।दार्जिलिंग हिमालय रेलवे को विश्व के सभी लोगों के सहयोग से यूनेस्को के द्वारा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को विश्व विरासत घोषित किया गया था ।
यह भारतीय रेल की सबसे बड़ी उपलब्धि थी । जब दार्जिलिंग हिमालय पर रेलवे के माध्यम से ट्रेन चलाई गई थी तब वह ट्रेन डीजल के माध्यम से चली थी , जो इंजन ट्रेन में लगाया गया था वह इंजन डीजल के माध्यम से चलता था । परंतु आज भी दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे पर डीजल चलित इंजनों द्वारा ही ट्रेन के डिब्बों को खींचा जाता है । यदि हम आज की बात करें तो आज यह ट्रेन दार्जिलिंग हिमालय पर जलपाईगुड़ी से सिलीगुड़ी तक अपना सफर तय करती है । इस तरह से भारतीय रेल ने दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे पर रेलवे का विस्तार करके सबसे बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है ।
रेल मंत्रालय भी सराहना पाने का हकदार है क्योंकि रेल मंत्रालय के अथक प्रयासों से ही भारतीय रेल का विकास हुआ है । इसी तरह से भारतीय रेलवे के द्वारा नीलगिरी पर्वत पर रेल की सुविधा दी गई है । ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर रेल की पटरियों को बिछाना कोई आसान बात नहीं है । परंतु भारतीय रेल मंत्रालय के सहयोग से भारतीय रेल के कर्मचारियों ने नीलगिरी पर्वत पर रेल का विस्तार किया था । जिसके बाद वहां पर रहने वाले लोगों को काफी फायदा मिला था ।
भारतीय रेल की इस उपलब्धि के चर्चे पूरे विश्व में होने लगे थे और यूनेस्को ने नीलगिरी पर्वत की रेल को विश्व विरासत घोषित करने का फैसला किया था । जिसके बाद नीलगिरी पर्वत यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हो गया था । जिसे विश्व विरासत कहा जाता है । इसी तरह से भारतीय रेल की एक और उपलब्धि थी भारतीय रेल में कार्यरत कर्मचारियों के सहयोग एवं रेल मंत्रालय के सहयोग से लाइफलाइन एक्सप्रेस की सुविधा प्रदान की गई थी । जिसके माध्यम से दुर्घटनाग्रस्त स्थानों पर ट्रेन के माध्यम से डॉक्टरों को वहां पर ले जाया जाता है ।
इस ट्रेन के डिब्बों में मेडिकल दवाइयां एवं ऑपरेशन करने तक की व्यवस्था होती है । यह लाइफ लाइन एक्सप्रेस को प्रारंभ करने के बाद भारतीय रेल मंत्रालय के सहयोग से दुर्घटना स्थलों पर तुरंत इस लाइफ लाइन एक्सप्रेस को भेजा जाता है और जो व्यक्ति मरने वाला होता है उसे तुरंत इलाज के माध्यम से बचा लिया जाता है । यह भारतीय रेलवे की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है ।
भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा भारतीय रेल को 17 जोन्स मे विभाजित करने के बारे में – भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा भारतीय रेलवे को तकरीबन 17 जोन्स में विभाजित किया गया है और अलग अलग क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग जॉन्स बनाए गए हैं । रेल मंत्रालय के द्वारा 14 अप्रैल 1952 को उत्तर रेलवे की स्थापना की गई थी और उत्तर रेलवे का मुख्यालय दिल्ली को बनाया गया था । उत्तर रेलवे के अंतर्गत निम्न प्रकार से मंडल चुने गए थे और उन मंडलों के नाम इस प्रकार से हैं दिल्ली , अंबाला , लखनऊ , फिरोजपुर , मुरादाबाद आदि ।
इसके बाद रेल मंत्रालय के द्वारा सन 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे की स्थापना की गई थी और पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय गोरखपुर को बनाया गया था । पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में वाराणसी , इज्जत नगर , लखनऊ को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा सन 1955 को दक्षिण पूर्व रेलवे की स्थापना की गई थी और दक्षिण पूर्व रेलवे का मुख्यालय कोलकाता को बनाया गया था । दक्षिण पूर्व रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में आद्रा , खड़गपुर , चक्रधरपुर , रांची आदि को चुना गया था । इसके बाद रेलवे मंत्रालय के द्वारा पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की स्थापना की गई थी और यह स्थापना 1958 को की गई थी ।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे का मुख्यालय गुवाहाटी को चुना गया था । पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में रंगिया , कटिहार , लामडिंग , अलीपुरद्वार , तीन सुकिया को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा अप्रैल 1952 को पूर्व रेलवे की स्थापना की गई थी और पूर्व रेलवे का मुख्यालय कोलकाता को बनाया गया था । पूर्व रेलवे मंडल के रूप में हावड़ा , आसनसोल , मलदा , सियालदह को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा दक्षिण मध्य रेलवे की स्थापना 2 अक्टूबर 1966 को की गई थी ।
दक्षिण मध्य रेलवे के मुख्यालय के रूप में सिकंदराबाद को चुना गया था । दक्षिण मध्य रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में सिकंदराबाद , गुंटकल , हैदराबाद , गुंटूर , विजयवाड़ा , नांदेड़ आदि को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा सन 5 नवंबर 1951 को पश्चिम रेलवे की स्थापना की गई थी और पश्चिम रेलवे के मुख्यालय के रूप में मुंबई को चुना गया था । पश्चिम रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में मुंबई सेंट्रल , रतलाम , बड़ोदरा , राजकोट , अहमदाबाद , भावनगर आदि को चुना गया था ।
इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 14 अप्रैल 1951 को दक्षिण रेलवे की स्थापना की गई थी और दक्षिण रेलवे के मुख्यालय के रूप में चेन्नई को चुना गया था । दक्षिण रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में चेन्नई , तिरुचुरापल्ली , मदुरै , पालघाट , त्रिवेंद्रम , सलीम आदि को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 5 नवंबर 1951 को मध्य रेलवे की स्थापना की गई थी और मध्य रेलवे के मुख्यालय के रूप में मुंबई को चुना गया था और मुख्य मंडल के रूप में मुंबई , पुणे , भुसावल , नागपुर , सोलापुर आदि को चुना गया था ।
इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा उत्तर पश्चिम रेलवे की स्थापना 1 अक्टूबर 2002 को की गई थी । उत्तर पश्चिम रेलवे का मुख्यालय जयपुर को चुना गया था और उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में बीकानेर , जयपुर , अजमेर , जोधपुर को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 1 अप्रैल 2003 को दक्षिण पश्चिम रेलवे की स्थापना की गई थी और दक्षिण पश्चिम रेलवे का मुख्यालय हुबली को बनाया गया था । दक्षिण पश्चिम रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में हुबली , बेंगलुरु , मैसूर को चुना गया था ।
इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 1 अप्रैल 2003 को उत्तर मध्य रेलवे की स्थापना की गई थी और उत्तर मध्य रेलवे का मुख्यालय इलाहाबाद को बनाया गया था । उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में आगरा , झांसी , इलाहाबाद को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 1 अप्रैल 2003 को पश्चिम मध्य रेलवे की स्थापना की गई थी । पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय जबलपुर को बनाया गया था । पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में कोटा , जबलपुर , भोपाल को चुना गया था ।
इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 1 अप्रैल 2003 को पूर्व तटीय रेलवे की स्थापना की गई थी । पूर्व तटीय रेलवे के रूप में भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा पूर्व तटीय रेलवे का मुख्यालय भुवनेश्वर को चुना गया था । पूर्व तटीय रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में खुर्दा रोड , विशाखापट्टनम , संबलपुर को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 1 अप्रैल 2003 को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की स्थापना की गई थी । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्यालय के रूप में बिलासपुर को चुना गया था ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में बिलासपुर , नागपुर , रायपुर आदि को चुना गया था । इसके बाद भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 26 जनवरी 1998 को कोंकण रेलवे की स्थापना की गई थी । कोंकण रेलवे के मुख्यालय के रूप में नवी मुंबई को चुना गया था । कोंकण रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में किसी को भी शामिल नहीं किया गया है । भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा 1 अक्टूबर 2002 को पूर्व मध्य रेलवे की स्थापना की गई थी । पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय हाजीपुर को बनाया गया था ।
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य मंडल के रूप में दानापुर , मुगलसराय , धनबाद , सोनपुर , समस्तीपुर आदि को चुना गया था । इस तरह से भारतीय रेल मंत्रालय के द्वारा पूरे देश में तकरीबन 17 जोन्सो की स्थापना की गई है । जिसके माध्यम से भारतीय रेल मंत्रालय को भारतीय रेल के विकास करने में सहयोग प्राप्त होता है और भारतीय रेल दिन-प्रतिदिन विकास की ओर बढ़ रही है ।
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