होला मोहल्ला का इतिहास Hola mohalla history in hindi
Hola mohalla history in hindi
Hola mohalla – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सिख समुदाय का त्यौहार होला मोहल्ला के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर होला मोहल्ला त्यौहार के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
होला मोहल्ला के बारे में – होला मोहल्ला सिख समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार है । जिस तरह से भारत देश में दीपावली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है उसी तरह से होला के त्योहार को भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । सिख समुदाय के द्वारा होली के अगले दिन होला मोहल्ला त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है । होला मोहल्ला त्यौहार की शुरुआत सिख समुदाय के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के द्वारा की गई थी । सिख समुदाय के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी महाराज के द्वारा जब खालसा की संरचना की गई थी तब सन 1757 में सिख समुदाय के गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के द्वारा होली के अगले दिन होला मोहल्ला त्यौहार की शुरुआत की गई थी ।
आज भी सिख समुदाय के लोग इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं । श्री आनंदपुर साहिब में प्रति वर्ष होली के अगले दिन होल गढ़ नामक स्थान पर यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है । सिख समुदाय के लोग इस त्यौहार को 6 दिनों तक मनाते हैं । सिख समुदाय के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा इस त्यौहार की शुरुआत श्री आनंदपुर साहिब में ही की गई थी । जब गुरु गोविंद सिंह के द्वारा इस त्यौहार की शुरुआत की गई तब पूरा सिख समुदाय इस त्यौहार को प्रति वर्ष मनाने लगा था । इस त्योहार पर गुलाब के फूलों और गुलाब के रंगों से होली खेली जाती है ।
होला मोहल्ला त्यौहार पर सिख समुदाय के लोग जुलूस भी निकालते हैं । होला मोहल्ला त्यौहार के दिन श्री आनंदपुर साहिब में सिख समुदाय के लोग कीर्तन करते हैं और श्री गोविंद सिंह जी महाराज को याद भी करते हैं क्योंकि उन्हीं ने होला मोहल्ला त्यौहार की शुरुआत की थी । होली के त्यौहार को गुरु गोविंद सिंह जी ने होला मोहल्ला नाम दिया और रंगों से होली खेलने की जगह पर उन्होंने गुलाब के फूलों और गुलाल से होली खेलने की प्रथा की शुरुआत की थी ।
होला मोहल्ला ऐसा त्यौहार है जो त्यौहार सिख समुदाय के लोग सिख समुदाय के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह की याद में मनाते हैं क्योंकि यह त्यौहार उन्हीं के द्वारा सबसे पहले मनाया गया था । होला मोहल्ला एक बनावटी हमला है जिसमें सिख समुदाय के कुछ लोग पैदल चलकर एवं कुछ लोग घोड़ों पर सवार होकर शस्त्र धारी सिंह अपनी दो पार्टियां बना लेते हैं । इसके बाद वह एक खास जगह पर हमला करते हैं । इसी कारण से गुरु गोविंद सिंह के द्वारा इस त्यौहार का नाम होला मोहल्ला रखा गया है ।
सिख समुदाय के भाई वीर सिंह जी के द्वारा कलगीधर चमत्कार मे यह लिखा गया है कि होला मोहल्ला एक बनावटी हमला होता है । जिसमें मोहल्ला शब्द से भाव है ‘ मय मल्ला ‘ मय का जो भाव होता है वह बनावटी होता है । हल्ला का जो भाव होता है वह हमला होता है ।
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