महादेवी वर्मा की कविता Hindi poems on rain by mahadevi verma

Hindi poems on rain by mahadevi verma

दोस्तों महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च सन 1907 को उत्तर प्रदेश में हुआ था दही महान लेखक थी उन्होंने बहुत ही बेहतरीन कविताएं लिखी हैं इसलिए इन्हें आधुनिक भारत की मीरा के नाम से भी जाना जाता है चलिए पढ़ते हैं महादेवी वर्मा की इस बेहतरीन कविता को

Hindi poems on rain by mahadevi verma
Hindi poems on rain by mahadevi verma

घोर तम छाया चारों ओर
घटायें घिर आईं घन घोर
वेग मारुत का है प्रतिकूल
हिले जाते हैं पर्वतमूल
गरजता सागर बारम्बार,
कौन पहुँचा देगा उस पार?

तरंगें उठीं पर्वताकार
भयंकर करतीं हाहाकार
अरे उनके फेनिल उच्छ्वास
तरी का करते हैं उपहास
हाथ से गयी छूट पतवार
कौन पहुँचा देगा उस पार?

ग्रास करने नौका, स्वच्छ्न्द
घूमते फिरते जलचर वॄन्द
देख कर काला सिन्धु अनन्त
हो गया हा साहस का अन्त
तरंगें हैं उत्ताल अपार
कौन पहुँचा देगा उस पार?

बुझ गया वह नक्षत्र प्रकाश
चमकती जिसमें मेरी आश
रैन बोली सज कृष्ण दुकूल
’विसर्जन करो मनोरथ फूल
न जाये कोई कर्णा धार
कौन पहुँचा देगा उस पार?

सुना था मैंने इसके पार
बसा है सोने का संसार
जहाँ के हंसते विहग ललाम
मृत्यु छाया का सुन कर नाम!
धरा का है अनन्त श्रृंगार
कौन पहुँचा देगा उस पार?

जहाँ के निर्झर नीरव गान
सुना करते अमरत्व प्रदान
सुनाता नभ अनन्त झंकार
बजा देता है सारे तार
भरा जिसमें असीम सा प्यार
कौन पहुँचा देगा उस पार?

पुष्प में है अनन्त मुस्कान
त्याग का है मारुत में गान
सभी में है स्वर्गीय विकाश
वही कोमल कमनीय प्रकाश
दूर कितना है वह संसार
कौन पहुँचा देगा उस पार?

सुनाई किसने पल में आन
कान में मधुमय मोहक तान
’तरी को ले आओ मंझधार
डूब कर हो जाओगे पार
विसर्जन ही है कर्णाधार
वही पहूँचा देगा उस पार।

दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया ये आर्टिकल Hindi poems on rain by mahadevi verma पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें और हमारा Facebook पेज लाइक करना ना भूलें और हमें कमेंटस के जरिए बताएं कि आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा इसी तरह के नए-नए आर्टिकल को सीधे अपने ईमेल पर पाने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करें जिससे नई पोस्ट का अपडेट आपको मिल सके।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *