वीर तुम बढ़े चलो कविता Hindi poem veer tum badhe chalo
Hindi poem veer tum badhe chalo
दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज की हमारी कविता द्वारका प्रसाद माहेश्वरी जी द्वारा लिखी गई है द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी एक महान कवि थे इनकी कृतियां वास्तव में बहुत ही प्रसिद्ध हैं.द्वारका प्रसाद माहेश्वरी जी का जन्म 1 दिसंबर 1916 को आगरा के रोहता में हुआ था उन्होंने अपने जीवन में बच्चों के कवि सम्मेलन का प्रारंभ किया.उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के व्यापक प्रसार के लिए भी काफी प्रयास किया इन्होंने बाल साहित्य पर भी कई किताबें लिखी वास्तव में द्वारका प्रसाद माहेश्वरी जी को साहित्य में एक विशेष स्थान प्राप्त है चलिए पढ़ते हैं इनके द्वारा लिखी वीर तुम बढ़े चलो कविता को
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो
हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो
प्रात हो की रात हो संग हो ना साथ हो
सूर्य सूर्य से बढ़े चलो चंद्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो
एक ध्वज लिए हुए एक प्रण किए हुए
मातृभूमि के लिए पितृभूमि के लिए
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो
अन्न भूमि में भरा बारी भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो
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