प्रकृति की सुन्दरता पर कविता Hindi poem on prakriti soundarya
Hindi poem on prakriti soundarya
दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज की हमारी प्रकृति के ऊपर लिखी स्वरचित कविता वास्तव में आपके चेहरे पर मुस्कान ला देगी क्योंकि प्रकृति बहुत ही सुंदर है इसकी जितनी तारीफ करो उतनी कम है यह सब आप जानेंगे हमारी लिखित इस कविता से तो चलिए पढ़ते हैं हमारी आज की इस कविता को

प्रकृति की ये सुन्दरता कितनी लाजवाव है ये नदिया ये झरना सब कुछ वेमिशाल है पेड़ पोधे पशु पक्षी सबकुछ प्रक्रति की देन है.बिन मांगे ही ये सबकुछ देनहार है ठंडी ठंडी हवाओ का कोई जवाव नहीं खिलते महकते फूलो का भी कोई जवाव नहीं प्रकृति की ये सुन्दरता कितनी लाजवाव है ये नदिया ये झरना सब कुछ वेमिशाल है
शीतल जल देकर हम पर उपकार है अन्न भी प्रक्रति का एक चमत्कार है लहलहाती फसले सब कुछ बेमिशाल है.बिन मांगे ही ये सबकुछ देनहार है. चमकता सूर्य भी बेमिशाल है डूबता चाँद भी लाजबाव है. चमकती चांदनी भी खुशहाल है ख़ुशी का ना कोई जबाव है.
बर्षा के जल की सुन्दरता लाजवाब है.चहचहाते पक्षियों की आवाज मजेदार है ये पर्वत की चोटिया कितनी सुन्दर है ये फूल ये पत्ते सब कुछ बेमिशाल है प्रक्रति की ये सुन्दरता कितनी लाजवाव है ये नदिया ये झरना सब कुछ वेमिशाल है पेड़ पोधे पशु पक्षी सबकुछ प्रक्रति की देन है.बिन मांगे ही ये सबकुछ देनहार है
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