आरक्षण के पक्ष में कविता Hindi poem on aarakshan
Hindi poem on aarakshan
दोस्तों आजकल हम देखते हैं कि दलित वर्ग के लोगो, महिलाओं के लिए आरक्षण है इस आरक्षण की वजह से इन लोगों की काफी मदद होती है जिससे इस आधुनिक युग में दलित वर्ग और महिलाओं की स्थिति मजबूत हुई है लेकिन हमने आज की इस कविता में महिलाओ,दलितों और गरीब लोग जो किसी भी जाति के हो उन सभी लोगों के लिए आरक्षण पर एक कविता लिखी है आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते है हमारी आज की इस कविता को
मैं एक गरीब हूं मुझे आरक्षण चाहिए
परिवार को संवारने के लिए मुझे आरक्षण चाहिए
ना कोई मेरी सुनता ना मंदिर में घुसने देता
आरक्षण हो तो जरूर ही में कुछ कर पाता
बच्चे को पढ़ाना चाहूं पर पढ़ा ना मैं पाता
बच्ची को पढ़ाना चाहता लेकिन पढ़ा ना पाता
मेरी जिंदगी बस यही है खुशियां ना मैं ले पाता
आरक्षण हो तो जरूर ही कुछ कर पाता
आगे बढ़ना चाहता लेकिन बढ़ ना मैं पाता
गांव का जमींदार मुझको बहुत दबाता
कुछ बड़ा करना चाहता लेकिन मैं ना कर पाता
आरक्षण हो तो जरूर ही कुछ कर पाता
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