हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय hazari prasad dwivedi biography in hindi

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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जीवन परिचय । चलिए अब हम पढ़ेंगे हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जीवन परिचय को ।

जन्म – हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के छपरा नामक गांव में हुआ था ।

प्रारंभिक जीवन – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के पिताजी का नाम अनमोल द्विवेदी था । उनके पिता संस्कृत के महान पंडित थे एवं उनके पिता ज्योतिषी भी जानते थे । आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की मां भी बहुत बड़े पंडित की पुत्री थी । आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के माता-पिता उनको संस्कृत का ज्ञान देते रहते थे । वह बचपन से ही एक अच्छे लेखक बनना चाहतें थे । आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी सच्चे और अच्छे इंसान थे । उन्होंने कई रचनाएं , निबंध लिखे थे । जिनको पढ़कर हम जीवन जीने के तरीके सीख सकते हैं । आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी पढ़ाई के बाद वह मिर्जापुर विद्यालय में एक अच्छे अध्यापक बने और वहां पर उन्होंने 20 साल तक हिंदी विभाग का पद संभाला था । वह काशी के हिंदू विश्वविद्यालय , वाराणसी एवं पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर भी विराजमान रहे थे ।

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शिक्षा – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने काशी के प्रवेशिका इंटर कॉलेज में 12वीं पास की एवं ज्योतिषी में भी परीक्षा पास की थी । वह हिंदी विषय के महान व्यक्ति थे । उन्होंने हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी है । वह संस्कृत भाषा मैं भी रुचि रखते थे ।

भाषा – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी अपनी रचनाओं में संस्कृत , साहित्य एवं फारसी भाषाओं का उपयोग किया करते थे । उनकी सभी रचनाएं पढ़ने में आनंद आता हैं । वह संस्कृत के तत्सम शब्दों का भी उपयोग किया करते थे ।

लेख – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी एक अच्छे निबंधकार थे । उन्होंने कई उपन्यास भी लिखे हुए हैं । इसके साथ-साथ हजारी प्रसाद द्विवेदी जी एक अच्छे अध्यापक एवं संपादक भी रहे हैं ।

पुरस्कार – हमारे देश के महान उपन्यासकार एवं निबंधकार हजारी प्रसाद द्विवेदी जी को पदम भूषण से सम्मानित किया गया है । 1949 में लखनऊ विश्वविद्यालय ने द्विवेदी के साहित्य और पंडित सेवा का अभिनंदन करते हुए डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि से सम्मानित किया था ।

रचनाएं – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की प्रमुख रचनाएं जैसे कि सूर साहित्य, हिंदी साहित्य की भूमिका, अनामदास का पोथा ,अशोक के फूल, बाणभट्ट की आत्मकथा ,कबीर सूरदास ,प्राचीन भारत का कला, विकास आदि. यह इनकी महत्वपूर्ण रचनाएं रही है जिनको पढ़कर हम उनके विचारों को समझते हैं । इनकी रचनाओं में साहित्य एवं संस्कृत के तत्सम शब्दों को भी देखने को मिलता है । उनकी रचनाएं बहुत ही भावुक होती है । जब यह अपनी रचनाओं में किसी का विरोध करते थे तब उसमें फारसी शब्दों का भी उपयोग करते थे ।

मृत्यु – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का निधन 19 मई 1979 को हो गया था । आज हम सभी भारतवासियों को उनकी कमी महसूस होती है और हम सभी उनकी रचनाएं , निबंध पढ़ते समय उनको याद करते हैं ।

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