हरिद्वार का इतिहास Haridwar history in hindi
Haridwar history in hindi
Haridwar – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हरिद्वार के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस जबरदस्त आर्टिकल को पढ़कर हरिद्वार के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Image source – https://en.m.wikipedia.org/wiki/Haridwar_district
हरिद्वार के बारे में – हरिद्वार भारत के उत्तराखंड राज्य मे स्थित है । जिसे भारत देश का सबसे पवित्र शहर माना जाता है । जहां पर कई पर्यटक घूमने के लिए आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । हरिद्वार हिंदुओं का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में भी पहचाना जाता है । हरिद्वार सबसे पुराना शहर है । हरिद्वार के बारे में हिन्दू ग्रंथो , पौराणिक कथाओं में बताया जाता है । जब हम उन पौराणिक कथाओं को पढ़ते हैं तब हमें पता चलता है कि हरिद्वार भारत देश का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है । हिंदुओं की यह आस्था है की सात पवित्र तीर्थ स्थलों पर जाकर यात्रा करने से मन को शांति प्राप्त होती है ।
दोस्तों मैं आप लोगों को बता दूं कि हरिद्वार भी उन सात पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है । जहां पर प्रतिवर्ष लाखों , करोड़ों भक्तगण हरिद्वार आते हैं और गंगा मैया के कुंड में डुबकी लगाकर आनंद प्राप्त करते हैं । हरिद्वार 3139 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । जहां पर लोग आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । हरिद्वार की यात्रा गोमुख से ही प्रारंभ हो जाती है । गोमुख को गंगोत्री हिमनाद भी कहते हैं । गोमुख से हरिद्वार की दूरी 253 किलोमीटर रह जाती है । जब गोमुख से चलकर हम 253 की दूरी तय कर लेते हैं तब हम गंगाद्वार पहुंचते हैं और वहीं से हरिद्वार प्रारंभ हो जाता है ।
हरिद्वार को गंगाद्वार के नाम से भी सभी जानते हैं क्योंकि हरिद्वार में स्थित गंगाद्वार बहुत ही प्राचीन समय का है । हरिद्वार के अस्तित्व की बात करें तो हरिद्वार का अस्तित्व सबसे पहले 1988 के समय में सामने आया था और हरिद्वार को सहारनपुर जिले का हिस्सा बनाया गया था । डिविजनल कमिश्नरी के भाग के रूप में 28 दिसंबर 1988 को हरिद्वार का गठन करने का निर्णय लिया गया था । जब हरिद्वार का गठन किया गया तब यह हरिद्वार उत्तर प्रदेश की सीमा में आता था ।
जब उत्तर प्रदेश 2 राज्यों में परिवर्तित हुआ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तब हरिद्वार उत्तराखंड में आ गया था । उत्तराखंड सरकार के द्वारा हरिद्वार में कई विकासशील कार्य करवाए गए थे । यदि हम हरिद्वार की जनसंख्या की बात करें तो हरिद्वार की जनसंख्या 2001 जनगणना के अनुसार 1147.19 है । हरिद्वार 2360 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है । जिसकी ऊंचाई पृथ्वी तल से 249.7 मीटर है । हरिद्वार के बारे में यह कहा जाता है कि हरिद्वार सबसे पवित्र स्थल है ।
धार्मिक कथाओं के अनुसार जब धनवंतरी जी समुद्र मंथन के बाद अमृत का घड़ा लेकर जा रहे थे तब घड़े में से अमृत कुछ बूंदें वहीं पर गिर गई थी । अमृत कुछ बूंदें जिस जगह पर गिरी थी उन जगहों के नाम इस प्रकार से है हरिद्वार , उज्जैन , नासिक और प्रयागराज आदि । हरिद्वार में अमृत की बूंद गिरने के कारण हरिद्वार सबसे पवित्र तीर्थ स्थल कहलाया । जहां-जहां अमृत की बूंदे गिरी थी उन सभी जगहों पर महाकुंभ का आयोजन भी किया जाता है ।
हरिद्वार में जब महाकुंभ का आयोजन किया जाता है तब हरिद्वार के महाकुंभ के समापन के 3 साल बाद दूसरी जगह पर महाकुंभ आयोजित किया जाता है । इन सभी जगहों पर महाकुंभ 12 वे वर्ष में आयोजित किया जाता है । ऐसा कहा जाता है कि हरिद्वार में जब महाकुंभ का आयोजन किया जाता है तब उस महाकुंभ में जो भी व्यक्ति जाकर गंगा नदी के तट पर स्नान करता है वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है । गंगा नदी का तट वही स्थान है जहां पर अमृत की बूंद गिरी थी ।
जहां पर अमृत की बूंद गिरी थी उस स्थान को हर की पौड़ी भी कहा जाता है । हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट भी हर की पौड़ी को माना जाता है । इस तरह से हमारे प्राचीन ग्रंथों में हरिद्वार पवित्र स्थल होने के प्रमाण दिए गए हैं और हरिद्वार की सुंदरता भी देखने के लायक है । हरिद्वार में सभी गंगा नदी के घाट पर स्नान करने के लिए आते हैं और सभी स्नान करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । जब से हरिद्वार का विकास कार्य नगर निगम के हाथों में आया है तब से हरिद्वार का विकास कार्य निरंतर आगे बढ़ रहा है ।
गंगा नदी की सफाई के कार्य भी वहां के प्रशासन के द्वारा किया जाता है । जब गंगा नदी पर अधिक गंदगी बढ़ रही थी तब प्रशासन के द्वारा लोगों को गंगा नदी के पास गंदगी करने से रोका गया था । जब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है तब महाकुंभ के आयोजन की तैयारी 6 महीने पहले से ही प्रशासन के द्वारा की जाती है । वहां पर कुंभ के दौरान किसी तरह की कोई भी समस्या ना हो इसके सभी इंतजाम प्रशासन के द्वारा किए जाते हैं । इस तरह से हरिद्वार का इतिहास रहा है ।
प्राचीन समय से लेकर आज तक हरिद्वार को पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है और सभी हिंदू धर्म के लोगों की आस्था हरिद्वार से जुड़ी हुई है ।
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