हल्दीघाटी के युद्ध का इतिहास Haldighati ka yudh history in hindi
Haldighati ka yudh history in hindi
maharana pratap and akbar fight history in hindi-दोस्तों कैसे हैं आप सभी,आज हम हल्दीघाटी के युद्ध के बारे में जानेंगे.अकबर ने राजस्थान के सभी राजाओं को अपने अधीन कर लिया था महाराणा प्रताप को भी अकबर अधीन करना चाहता था लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर के अधीन होने से मना कर दिया और इसी वजह से एक युद्ध हुआ जो कि हल्दीघाटी में हुआ इसलिए इसे हल्दीघाटी का युद्ध कहा जाता है.
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इस युद्ध में महाराणा प्रताप के पास केवल 22000 सैनिक थे जबकि अकबर की सेना के पास 80 हजार सैनिक थे भलेही यह बराबरी वाली बात ना हो लेकिन महाराणा प्रताप निडर और साहसी थे उनको देखकर अच्छे-अच्छों के पसीने आने लगते थे.इस युद्ध में एक और जहां राजपूतों के महाराणा प्रताप सेना का नेतृत्व कर रहे थे वहीं दूसरी ओर अकबर खुद स्वयं नहीं आया था उसकी तरफ से राजा मानसिंह युद्ध में लड़ने के लिए आए हुए थे.
हल्दीघाटी के पूरे युद्ध में अकबर कभी महाराणा प्रताप के सामने नहीं आए यह युद्ध सन 1576 को हुआ था इस युद्ध में राजपूती सेना के साथ लगभग 500 भीलो ने भी भाग लिया.भीड़ों ने पत्थर और तीर कमान से महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ाई की इस युद्ध में सबसे बड़ी बात यह थी कि महाराणा प्रताप का छोटा भाई अकबर की सेना की ओर से लड़ाई कर रहा था.
यह युद्ध पहाड़ी इलाकों में हुआ इस वजह से महाराणा प्रताप को बहुत लाभ हुआ क्योंकि महाराणा प्रताप इन पहाड़ी इलाकों के बारे में बचपन से ही जानते थे और फिर भीषण युद्ध हुआ इस भीषण युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपने विशाल कौशल बल और अपने साहस का प्रदर्शन किया उन्होंने अकबर की सेना के छक्के छुड़ा दिए इस युद्ध में अकबर की सेना के बड़े बड़े योद्धा शहीद हो गए थे केवल राजा मानसिंह ही बच पाए थे.
अंत में राजा महाराणा प्रताप युद्ध से बाहर आ गए उनका घोड़ा चेतक उनके साथ था वह भी बुरी तरह से घायल हो गया था वह एक दम से ही जमीन पर गिर पड़ा और चेतक की वही मृत्यु हो गई. महाराणा प्रताप के पीछे से मानसिंह के दो सेनापति और महाराणा प्रताप का सगा भाई शक्ति सिंह भी था उन दो सैनिकों ने महाराणा प्रताप को मारने की कोशिश की लेकिन तभी शक्तिसिंह के दिल में महाराणा प्रताप यानी अपने भाई के प्रति प्रेम जाग उठा और शक्ति सिंह ने उन दोनों सैनिकों को ही मार डाला.
यह युद्ध देखा जाए तो अनिर्णायक युद्ध था और जब अकबर का ध्यान कुछ सालों में इधर उधर जाने लगा तो महाराजा प्रताप ने अपने अपने और क्षेत्रों पर भी अधिकार जमा लिया यह युद्ध वास्तव में महाराणा प्रताप के कौशल बुद्धि और पराक्रम की बखान करता है. इतिहासकारों ने भी इस युद्ध को महाराणा प्रताप के जीवन का एक अहम युद्ध बताया है.महाराणा प्रताप ने अपनी कम सेना होने के बावजूद भी अपने राज्य को अकबर के अधीन नहीं होने दिया और अपने राज्य को बचाया.हल्दीघाटी का महाराणा प्रताप का पराक्रम का युद्ध हमेशा इतिहास में दर्ज रहेगा और हम हमेशा इसे याद करेंगे।
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