हाजी अली दरगाह मुंबई का इतिहास Haji ali dargah mumbai history in hindi
Haji ali dargah mumbai history in hindi
Haji ali dargah – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हाजी अली दरगाह मुंबई का इतिहास बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर हाजी अली दरगाह मुंबई का इतिहास जानते हैं ।
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मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह के बारे में – हमारे भारत देश का सबसे सुंदर शहर मुंबई पूरी दुनिया में एक पहचान बना चुका है । मुंबई में कई सुंदर जगह हैं । उन सुंदर स्थानों में एक दरगाह भी है और उस दरगाह का नाम हाजी अली दरगाह है । जो दरगाह मुंबई के वरली तट पर स्थित है । यह दरगाह एक छोटे से टापू पर बनाई गई है ।जिसकी सुंदरता देखने के लायक है । यदि हम हाजी अली दरगाह के निर्माण के बारे में बात करें तो हाजी अली दरगाह का निर्माण तकरीबन 1431 में किया गया था ।मुंबई में यह दरगाह सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में बनवाई गई थी ।
जहां पर आज दूर-दूर से सभी धर्म के लोग आकर दरगाह के अंदर चादर चढ़ाकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि इस हाजी अली दरगाह से हिंदू एवं मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । हिंदू , मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की आस्था इस दरगाह से जुड़ने के कारण इसे मुंबई का धार्मिक पर्यटन स्थल भी कहते हैं । जहां पर काफी भीड़ पर्यटकों की देखी जाती है । यह दरगाह एक छोटे से टापू पर होने के कारण इसकी सुंदरता और भी अधिक सुंदर लगने लगती है । यह हाजी अली दरगाह टापू के 4500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है ।
जब इस हाजी अली दरगाह को देखते हैं तब ऐसा प्रतीत होता है कि यह दरगाह एक चमत्कारी दरगाह है । जहां पर जाने से , दरगाह के अंदर चादर चढ़ाने से मन को शांति प्राप्त होती है । यह दरगाह समुद्री इलाके में बनी हुई है । दरगाह के दोनों तरफ समुद्री इलाका है । जहां से समुद्र को देखने पर बहुत आनंद प्राप्त होता है । अब हम हाजी अली दरगाह की बनावट के बारे में बात करते हैं । हाजी अली दरगाह की जो बनावट है वह बहुत ही सुंदर है । हाजी अली दरगाह कि जो बाहरी दीवारें हैं उन बाहरी दीवारों को सफेद रंग से रंगा गया है । हाजी अली दरगाह के पास में एक मीनार भी बनाई गई है ।
जो मीनार 85 फीट ऊंची है । जिसकी सुंदरता भी देखने के लायक है । मस्जिद के अंदर जब हम प्रवेश करते हैं तब पीर हाजी अली की मजार दिखाई देती है । जिस पीर हाजी अली की मजार पर सभी पर्यटक लाल रंग की चादर चढ़ाते हैं । मस्जिद के अंदर की बनावट भी बहुत दर्शनीय हैं । मस्जिद के अंदर कई गुममते भी हैं और उन गुममतो को रंग-बिरंगे कांचो सेे सजाया गया है । हाजी अली दरगाह का जो मुख्य कक्ष है उस मुख्य कक्ष की सुंदरता देखने के लायक है । जिस मुख्य कक्ष को संगमरमर के पत्थर से सजाया गया है ।
मुख्य कक्ष के अंदर जो छोटे-छोटेेे स्तंभ बने हुए हैं उन सभी स्तंभों को संगमरमर के पत्थर के टुकड़ों सेे सजाया गया है । जिसकी सुंदरता दर्शनीय है । जो भी पर्यटक हाजी अली दरगाह के दर्शनों के लिए जाता है उसे सबसे पहले मुंबई जाना पड़ता है । मुंबई से वह साधन के माध्यम से समुद्री इलाके से होते हुए टापू पर पहुंचता है ।टापूू पर पहुंचने के बाद वह दरगाह पर जाता है । दरगाह केे बाहर प्रसाद और चादर की दुकाने लगी हुई है । जिन दुकानों से सभी पर्यटक प्रसाद लेकर दरगाह के अंदर प्रवेश करते हैं और हाजी अली की दरगाह पर माथा टेक कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।
कई फिल्मों की शूटिंग इस हाजी दरगाह पर की गई है । अब मैं आपको बता देना चाहता हूं की सबसे प्रसिद्ध फिल्म कुली का जो अंतिम दृश्य है वह दृश्य इसी दरगाह पर लिया गया है । जिस फिल्म में फिल्म इंडस्ट्रीज के जाने-माने अभिनेता अमिताभ बच्चन अभिनय कर रहे थे । हाजी अली दरगाह मुंबई की सबसे सुंदर दरगाह में से एक है । जहां पर जुमे पर काफी भीड़ देखने को मिलती है । यह दरगाह जिस पीर की स्मृति में बनवाई गई है वह पीर बहुत ही जाने-माने पीर थे । जिन्होंने मुस्लिम एवं हिंदू धर्म के लोगों के लिए कई कार्य किए हैं ।
हाजी अली दरगाह पर कुछ विवाद भी हैं । उस विवाद के बारे में यह कहा जाता है कि दरगाह के अंदर महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है । यह विवाद भू माता ब्रिगेड और हाजी अली ट्रस्ट के बीच में महिलाओं का दरगाह के अंदर प्रवेश पर विवाद छिड़ा हुआ है । जब यह विवाद छिड़ा तब 2011 के बाद दरगाह के अंदर सभी महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी क्योंकि हाजी अली ट्रस्ट का यह कहना है कि किसी की मजार पर महिलाओं का जाना इस्लामिक धर्म के खिलाफ है । जिसकी इजाजत हाजी अली दरगाह में महिलाओं को जाने के लिए नहीं दी जा सकती है ।
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