ग्रामीण गुट बंदी पर एक निबंध Gramin gutbandi essay in hindi
Gramin gutbandi essay in hindi
Gramin gutbandi – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से ग्रामीण गुट बंदी पर लिखें निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर ग्रामीण गुट बंदी पर लिखे निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
ग्रामीण गुट बंदी के बारे में – ग्रामीण गुट बंदी हर गांव में देखने को मिलती है । जब गांव में कोई कार्य किया जाता है तब उस कार्य को करने वाले व्यक्ति पर शंका व्यक्त की जाती है तब ग्रामीण क्षेत्र के कुछ लोग उस व्यक्ति के पक्ष में होते हैं और कुछ लोग उस व्यक्ति के विरोध में होते हैं और गांव दो गुटों में बट जाता है । जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र में घुट बंदी प्रारंभ हो जाती है । ऐसी कई मामले भारत देश के ग्रामीण क्षेत्र में देखने को मिलते हैं और भी कई तरह की समस्या के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग गुट बंदी कर लेते हैं ।
गुट बंदी का सीधा सीधा अर्थ यह होता है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग दो गुटों में बटकर एक दूसरे का विरोध व्यक्त करते हैं । जब ग्रामीण क्षेत्र में सरपंच के चुनाव कराए जाते हैं तब गांव से जो व्यक्ति सरपंच के चुनाव में अपना आवेदन भरता है तब गांव के लोग कई गुटों में बट जाते हैं और गांव में गुट बंदी प्रारंभ हो जाती है । जब किसी गांव में गुट बंदी प्रारंभ हो जाए तब उस गांव में काफी परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं और गांव मे लड़ाई दंगे होने का खतरा भी गुट बंदी के कारण रहता है । ग्रामीण क्षेत्र में चुनाव के समय गुट बंदी सबसे अधिक देखी जाती है ।
कई बार जब सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य कराया जाता है तब उस निर्माण कार्य को तेजी से कराने के लिए कुछ लोग निर्माण कार्य करा रहे व्यक्ति से जल्द निर्माण कार्य कराने के लिए कहा जाता है । कुछ लोग उस निर्माण कार्य के खिलाफ आवाज उठाते हैं और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में गुट बंदी हो जाती है । एक बार एक ऐसा मामला सामने आया जब गांव के लोग दो गुटों में बट गए थे और आपसी मतभेद इतने अधिक बढ़ गए थे कि वह एक दूसरे की जान लेने के लिए भी तैयार थे । ग्रामीण क्षेत्र की ऐसी गुट बंदी काफी भयानक होती है ।
जब इस गुट बंदी का पता पुलिस प्रशासन को पढ़ा तब पुलिस प्रशासन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की गुट बंदी को समाप्त करने के उद्देश्य दोनों पक्षों को बुलाकर जो विवाद दोनों पक्षों के बीच में है उस विवाद को सुलझाने की कोशिश की गई थी । जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच में समझौता कराकर पुलिस ने ग्रामीण क्षेत्र से गुट बंदी को खत्म किया था । जब किसी ग्रामीण क्षेत्र में गुट बंदी के कारण लोगों में मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं तब ग्रामीण क्षेत्र के रहवासी काफी समस्याओं का सामना करते हैं क्योंकि दोनों पक्ष के द्वारा दंगे फसाद किए जाते हैं जिसका दुष्प्रभाव ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति पर पड़ता है ।
एक बार गुमला प्रखंड के घटगांव पंचायत में ग्रामीण क्षेत्र की गुट बंदी का मामला सामने आया था जिस मामले में ग्रामीण क्षेत्र के लोग दो गुटों में बट गए थे । इसके बाद पहला गुट सेवा केंद्र के निर्माण में खामियां बताकर पंचायती कार्य का विरोध व्यक्त कर रहा था । एक गुट का कहना था की राजीव गांधी सेवा केंद्र को कहीं ओर बनाया जाए । जिस स्थान पर यह सेवा केंद्र बनाया जा रहा है उस स्थान पर राजीव गांधी केंद्र ना बनाया जाए और कहीं पर राजीव गांधी केंद्र बनाया जाए । ग्रामीण क्षेत्र का एक पक्ष उसी स्थान पर राजीव गांधी सेवा केंद्र के निर्माण को लेकर सहमत था और दूसरा पक्ष सहमत नहीं था जिसके कारण पूरा गांव दो गुटों में बट गया था ।
यह ग्रामीण क्षेत्र की गुट बंदी काफी समय तक चलती रही थी और भी ऐसे कई मामले ग्रामीण क्षेत्र में हो जाते हैं जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के अंदर गुट बंदी का माहौल पैदा हो जाता है और ग्रामीण क्षेत्र के रहवासी गुट बंदी के कारण एक अच्छा जीवन नहीं जी पाते हैं । यदि ग्रामीण क्षेत्र के रहवासी गुट बंदी पर विश्वास ना करें और एकमत के साथ रहकर अपना जीवन यापन करें तो ग्रामीण क्षेत्र का निरंतर विकास होगा ।
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