गोविंद विनायक करंदीकर पर निबंध Govind vinayak karandikar essay in hindi
Govind vinayak karandikar essay in hindi
दोस्तों कुछ लोग होते हैं जो बहुत ही खास होते हैं जो अपने द्वारा किए गए कामों से लोगों को इतना प्रभावित कर जाते हैं कि लोग उन्हें भुलाए नहीं भूल पाते आज हम ऐसे ही महान शख्स के बारे में बात करने वाले हैं आज हम गोविंद विनायक करंदीकर पर निबंध लिखने वाले हैं तो चलिए पढ़ते हैं इस महान इंसान के जीवन के बारे में
गोविंद विनायक करंदीकर जी का जन्म 23 अगस्त 1918 को एक ब्राह्मण परिवार में सिंधुदुर्ग जिले के धलवल नामक ग्राम में हुआ था ये एक ऐसे महान कवि हैं जिन्होंने अपनी कविताओं और लेखों के द्वारा ज्ञानपीठ नामक पुरस्कार प्राप्त किया था दोस्तों इनके पिता जी एक गरीब ब्राह्मण थे इन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए काफी कोशिश की थी.वो जब गांव में थे तो इन्होंने बहुत से लोगों की मदद की.ये शुरू से ही कुप्रथाओं के विरोध में हमेशा तत्पर रहा करते थे इनको पेड़ पौधों पर चढ़ना,नदी में तैरना बहुत ही भाता था इनको खेलना भी बहुत पसंद था एक बार जब अपने दोस्तों के साथ ये खेल रहे थे तो इनसे इनके एक दोस्त ने कहा कि तुम्हारी मां तो जेल में है जब इन्होंने इस सवाल का जवाब पाने के लिए अपने पिता से पूछा तो उनके पिता ने उनसे कहा कि दरअसल उनकी एक और मा थी जिसके कोई भी बच्चा नहीं हो रहा था उसने बच्चे के लालच में आकर किसी के बहकावे में आकर देवी को बलि चढ़ाने के लिए गांव के एक बच्चे को नदी में फेंक दिया था.
जब यह बात सभी को पता लगी तो उसको सजा मिली भले ही वह बाद में बच गया था लेकिन फिर भी उन्हें सजा मिली उसके बाद मैंने दूसरी शादी कर ली इस तरह की बातें सुनकर शुरू से ही वह कुप्रथाओं के विरोध में थे उनके पिता एक गरीब ब्राह्मण थे उन्होंने अपने बच्चों को उचित शिक्षा प्रदान करने के लिए दूसरे शहर अपने एक रिश्तेदार के यहां भेज दिया और रिश्तेदार के परिवार के दोस्त के यहां पर रहने लगे वह स्कूल जाने लगे,अच्छी तरह पढ़ाई करने लगे उनका अपना खर्चा चल जाता था जीवन में वह खुश थे उनके स्कूल में एक कवि थे जो एक पत्रिका निकालते थे उनको उनकी पत्रिका में एक कविता लिखने का मौका मिला और उन्होंने उस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने दिया और इनकी लिखित कविता बहुत ही चर्चित हुई.लोगो को कविता पसंद आने लगी धीरे-धीरे ये महान इंसान अपनी रचनाओं के द्वारा जिंदगी में बहुत आगे बढें.ये मराठी भाषा के एक प्रसिद्ध कवि हैं इन्होंने अरस्तू की बहुत सी कविताओं का अपनी मराठी भाषाओं में अनुवाद भी किया था जैसे कि मैंने बताया कि इन्हें शुरू से ही अपने समाज से कुरीतियों को दूर करने का बड़ा ही शौक था उन्होंने अपने प्रसिद्ध कविताओं और लेखों में कुरीतियों को दूर करने की बात कही इस तरह से उन्होंने हमारे समाज के लिए बहुत ही अच्छे काम किए इसके बाद 14 मार्च 2010 को ये महान इंसान इस दुनिया से चले गए.
दोस्तों वाकई में गोविंद विनायक करंदीकर जैसे महान इंसान कवि,लेखक इस दुनिया में बहुत ही कम जन्म लेते हैं हमें गर्व है कि इस दुनिया में एक ऐसे महान कवि का जन्म हुआ था जिसने अपने समाज से कुरुतियो को दूर करने के लिए अपना कुछ समय लगाया इनके द्वारा किए गए कामों को ध्यान नहीं भूलना चाहिए.
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