गोपाल कृष्ण गोखले की जीवनी Gopal krishna gokhale biography in hindi
gopal krishna gokhale biography in hindi
दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे भारतीय नागरिक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने भारत को आजादी दिलाने के लिए अपना योगदान दिया था । हम बात कर रहे हैं गोपाल कृष्ण गोखले जी के बारे में । चलिए अब हम इस जीवनी के माध्यम से गोपाल कृष्ण गोखले के बारे में पढ़ेंगे ।

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जन्म स्थान व् परिवार – गोपाल कृष्ण गोखले जी एक स्वतंत्रता सेनानी , समाज सुधारक थे । गोपाल कृष्ण गोखले जी का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के मुंबई के कोथापुर में हुआ था । उनके पिताजी का नाम कृष्ण राव गोखले था जो एक किसान थे । जहां पर उनकी भूमि थी वह भूमि बहुत कम उपजाऊ थी । खेती से उनका परिवार का भरण पोषण सही तरह से नहीं हो पाता था । इसलिए उनके पिताजी ने एक क्लर्क की नौकरी की थी ।
उनकी माता का नाम बालू बाई था जो एक ग्रहणी थी । गोपाल कृष्ण जी का विवाह सावित्रीबाई जी से हुआ था । उनका विवाह 1870 को हुआ था । सावित्रीबाई के द्वारा उनके दो बच्चे थे जिसका नाम गुड्डी बाई और काशीबाई था ।
शिक्षा – गोपाल कृष्ण गोखले जी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कोथापुर से ही की थी । गोपाल कृष्ण गोखले ने कोथापुर के राजा राम हाई स्कूल से अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की थी । इसके बाद वह मुंबई चले गए थे और 1884 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी । जब उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी तब उनकी उम्र 18 साल की थी । उनको इंग्लिश भाषा और इतिहास विषय को पढ़ने में बहुत ही आनंद आता था । वह इंग्लिश भाषा को बहुत अच्छी तरह से सीख चुके थे और बिना अटके वह इंग्लिश बोलने लगे थे ।
शिक्षक के रूप में अपना योगदान – गोपाल कृष्ण गोखले जी कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद पुणे चले गए थे और पुणे में एक न्यू इंग्लिश स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगे थे । उनको बच्चों को पढ़ाने में बड़ा आनंद आता था । इंग्लिश विषय में उनको अधिक ज्ञान होने के कारण उनको इंग्लिश स्कूल में पढ़ाने का मौका मिला था । गोपाल कृष्ण गोखले जी डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के सदस्य भी चुने गए थे । वह कॉलेज के प्रधानाचार्य भी रहे हैं ।
राजनीतिक कैरियर – गोपाल कृष्ण गोखले जी भारत के बहुत ही अच्छे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपनी सोच और समझ से ब्रिटिश शासन का विरोध किया था । गोपाल कृष्ण गोखले जी को भारत के लोग ग्लैडस्टोन भी कहते थे क्योंकि उनमें अधिकार को लेकर बहस करने की काफी अधिक क्षमता थी । जब वह कॉलेज के प्रधानाध्यापक थे तब उनकी मुलाकात महादेव गोविंद रानाडे जी से हुई और मुलाकात के बाद गोपाल कृष्ण गोखले जी को महादेव गोविंद रानाडे के विचार बहुत अच्छे लगे थे ।
उसी समय गोपाल कृष्ण गोखले जी ने महादेव गोविंद रानाडे को अपना गुरु बना लिया था और वह उनके साथ काम करने लगे थे । गोपाल कृष्ण गोखले जी एक बहुत अच्छे समाज सेवी , स्वतंत्रता सेनानी , अच्छे विचारक एवं समाज सुधारक थे । गोपाल कृष्ण गोखले जी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मार्गदर्शक भी थे । गोपाल कृष्ण गोखले जी महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु माने जाते थे । वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे ।उन्होंने सर्वेंट ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की थी जहां पर देशभक्ति की ट्रेनिंग दी जाती थी ।
वह राजनीति के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे । उन्होंने बाल गंगाधर तिलक की सप्ताहिक पत्रिका मराठा के लिए लेख लिखे थे । वह लेख के माध्यम से सभी के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाया करते थे । गोपाल कृष्ण गोखले जी को 1894 में स्वागत समिति का सचिव भी बनाया गया था । वह कांग्रेस पार्टी के महत्वपूर्ण सचिव बन चुके थे । वह दो बार पुणे नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं । गोखले जी मुंबई विधानसभा परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं ।
मुंबई विधान परिषद के सदस्य रहकर उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी । 1892 में उन्होंने कॉलेज के प्रधानाचार्य पद से इस्तीफा दे दिया और पूरी तरह से अपने देश को आजाद कराने के लिए मैदान में उतर चुके थे । वह ब्रिटिश शासन को भारत से निकालने के लिए और भारत को आजाद कराने के लिए दिल्ली चले गए । दिल्ली जाने के बाद वह इंटीरियल विधान परिषद के सदस्य बने ।
मृत्यु – गोपाल कृष्ण गोखले जी का निधन 19 फरवरी 1915 को मुंबई में हो गया था ।
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