गोला गोकर्णनाथ का इतिहास Golagokarannath temple history in hindi
Golagokarannath temple history in hindi
Golagokarannath temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गोला गोकर्णनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और गोलागोकर्ण नाथ मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

गोला गोकर्णनाथ मंदिर के बारे में – गोला गोकर्णनाथ मंदिर बहुत ही अद्भुत और प्राचीन मंदिर है । इस मंदिर की सुंदरता देखने के लायक है । काफी भक्तगण इस मंदिर पर जाकर माथा टेककर भगवान भोलेनाथ की आराधना , पूजा अर्चना करते हैं । गोला गोकर्णनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश में स्थित है । गोला गोकर्णनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के जिला लखीमपुर खीरी से तकरीबन 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जिस मंदिर की सुंदरता देखने के लायक है । गोला गोकर्णनाथ मंदिर के इस पावन धाम को छोटी काशी भी कह कर संबोधित किया जाता है ।
प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भक्तगण यहां पर जाते हैं और भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं । इस मंदिर के निर्माण के बारे में कई कथाएं प्राचीन पुराणों में कही गई है । गोला गोकर्णनाथ का जो शिवलिंग है वह शिवलिंग बहुत ही अद्भुत और चमत्कारी है । शिवलिंग के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्तगण गोकर्णनाथ शिवलिंग की पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी मुरादें भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं । इसी आशा के साथ भारत देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक भगवान भोलेनाथ के इस पावन धाम पर आते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।
गोला गोकर्णनाथ मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन समय में किया जा चुका था । इस मंदिर में जो शिवलिंग है वह शिवलिंग रावण के द्वारा स्थापित की गई थी । हम आपको एक कथा बताने जा रहे हैं जो पुराणों में लिखित है । एक बार रावण ने कठिन तपस्या करके भोलेनाथ को खुश किया था । जब भोलेनाथ रावण की तपस्या से प्रसन्न हो गए थे तब भोलेनाथ ने रावण से मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा था । रावण ने भोलेनाथ से कहा कि आप मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं पूरी दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन जाऊं ।
रावण ने भोलेनाथ से कहा कि आप मेरे साथ लंका चलो वहीं पर रहना भोलेनाथ ने रावण को अपने प्रतिबिंब के रूप में एक शिवलिंग दी थी और रावण से कहा कि इसे कहीं पर भी मत रखना । जहां पर इस शिवलिंग को रखेगा वहीं पर यह शिवलिंग स्थापित हो जाएगी । वह भोलेनाथ के द्वारा शिवलिंग लेकर लंका की ओर प्रस्थान करने के लिए निकल गया था । परंतु सभी देवी देवता यह जानते थे कि यदि रावण इस शिवलिंग को लंका ले गया तो रावण को हराना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा । रावण घमंड में चूर होकर न जाने कितने गलत कार्य करेगा ।
जब रावण को जोर से लघुशंका आई तो रावण ने शिवलिंग को एक गडरिए को देकर लघुशंका करने के लिए चला गया था ।जब रावण लघुशंका करने के लिए गया तब उस शिवलिंग का बजन धीरे धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था जिसके कारण उस गडरिए को शिवलिंग नीचे रखना पड़ा था जिस स्थान पर शिवलिंग गडरिए के द्वारा जमीन पर रखा गया था वह स्थान गोलागोकर्ण था । जब रावण लघुशंका करके वापस वहां पर आया तब उसनेे देखा की शिवलिंग तो जमीन पर रखी हुई है ।
यह देखकर रावण बहुत क्रोधित हो गया था । रावण नेेे गडरिए से पूछा कि उसनेेेेेे यह शिवलिंग नीचे क्यों रख दी तब गडरिया नेेे रावण को सब कुछ बता दीया था । जिसके कारण रावण को बहुत क्रोध आया वह भोलेनाथ से क्रोधित हो गया था क्योंकि रावण यह समझ रहा था कि भोलेनाथ उसके साथ लंंका नहीं जाना चाहते थे । उसी समय रावण ने उस शिवलिंग को अपने अंगूठे से दवा दिया था जिससे शिवलिंग पर गोला गाय जैसा निशान पड़़ गया था । इस तरह से गोला गोकर्णनाथ मंदिर की स्थापना हुई थी ।
गोला गोकर्णनाथ मंदिर बहुत ही अद्भभुत और चमत्कारी है । गोला गोकर्णनाथ मंदिर के पास पांच प्राचीन कुंड भी है जो 5 किलोमीटर में बने हुए हैं । कुंड के पास एक शिवालय है । गोला गोकर्णनाथ मंदिर , महादेव मंदिर के अलावा यहां पर चार और भी शिव मंदिर है जिनके नाम इस प्रकार से है गद्दे श्वर महादेव , देवेश्वर महादेव , बटेश्वर महादेव , स्वर्णेश्वर महादेव आदि ।
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