गोल गुम्बद की जानकारी हिंदी में Gol gumbaz history in hindi
Gol gumbaz history in hindi
Gol gumbaz – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गोल गुम्बद के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर गोल गुम्बद की जानकारी प्राप्त करते हैं ।
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गोल गुम्बद के बारे में About Gol gumbaz- बीजापुर के सबसे ताकतवर सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के मकबरे के रूप में गोल गुम्बद पहचाना जाता है । गोल गुम्बद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी गुम्बद है । यह गोल गुम्बद कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर में स्थित है । इस गोल नुमा गुम्बद को सभी आदिल शाह के मकबरे के रूप में पहचानते हैं । बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिलशाह ने बीजापुर पर सन 1460 ईस्वी से सन 1696 तक शासन किया था । इसी बीच में आदिलशाह के द्वारा गोल गुम्बद का निर्माण कराया गया था ।
यह गोल गुम्बद गहन सलेटी बेसाल्ट से बनाया गया था । बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह ने इस गोल गुम्बद को बनाने के लिए फारसी से प्रसिद्ध वास्तुकार दाबुल के याकूत को बुलाया गया था । इस गोल गुम्बद को बनाने की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं के ऊपर छोड़ दी थी । 1656 ईस्वी में इन्हीं के द्वारा गोल गुम्बद का निर्माण किया गया था । यह बीजापुर का सबसे सुंदर दर्शनीय स्थल के रूप में पहचाना जाता है । यह प्राचीन समय से ही पर्यटकों के लिए दर्शनीय रहा है ।
दूर-दूर से पर्यटक कर्नाटक के बीजापुर शहर आकर गोल गुम्बद को देख कर अपनेेे जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । इस गोल गुम्बद को दक्खिन वास्तु कला के विजय स्तंभ के नाम से भी सभी लोग जानते हैं । जब आदिल शाह ने इस गोल गुम्बद को बनाने का निर्णय लिया था तब उन्होंने इस गोल गुम्बद का निर्माण कार्य 1626 ईस्वी में आरंभ करा दिया था । कारीगरों के अथक प्रयासों एवं बेहतरीन वास्तु कार की मेहनत के कारण ही यह गोल गुम्बद सन 1656 में बनकर तैयार हो गया था ।
जब यह गोल गुम्बद बनकर तैयार हो गया था तब सभी इस गोल गुम्बद की सुंदरता को देखकर मोहित हो गए थे क्योंकि यह गोल गुम्बद सिर्फ चार खंभों पर ही खड़ा हुआ है । इस गोल गुम्बद के बीच में कुछ भी सपोर्ट नहीं है । जब दूर-दूर से पर्यटक इस गोल गुम्बद को देखने के लिए बीजापुर आते हैं वह गोल गुम्बद की सुंदरता को देखकर मोहित हो जाते हैं । बीजापुर में स्थित गोल गुम्बद की ऊंचाई तकरीबन 51 मीटर है । गोल गुम्बद का संपूर्ण निर्माण कार्य 1807 ईसवी में पूरा कर लिया गया था ।
जब इस गोल गुम्बद का निर्माण कार्य पूरा हो गया था तब इस गोल गुम्बद की सुंदरता देखने के लायक थी । बीजापुर में स्थित गोल गुम्बद के फर्श का क्षेत्रफल तकरीबन 18337 वर्ग फुट है । इस गोल गुम्बद की ऊंचाई तकरीबन फर्श से 175 फुट है । इस गोल गुम्बद की छत 130 वर्ग फुट स्थान को घेरे हुए है जो देखने पर बहुत ही सुंदर लगती है । इस गोल गुम्बद की सुंदरता की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । इस गोल गुम्बद की सुंदरता को देखने के लिए विदेशों से कई पर्यटक आते है और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।
राजा महाराजाओं के समय में जब इस गोल गुम्बद का निर्माण हुआ था तब शाही लोग इस गोल गुम्बद को देखने के लिए आते थे क्योंकि गोल गुम्बद दुनिया की सबसे बड़ी दूसरी गोल गुम्बद के रूप में पहचानी जाती है । इस गोल गुम्बद के चारों तरफ की सुंदरता देखने के लायक है । गोल गुम्बद के चारों तरफ हरियाली , पेड़ पौधे की सुन्दरता पर्यटकों के लिए बहुत अच्छी लगती है । हरे-भरे गार्डन इस गोल गुम्बद की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं ।
बाहर से बीजापुर के गोल गुम्बद की सुंदरता के बारे में – जब दूर-दूर से पर्यटक बीजापुर घूमने के लिए जाते हैं तब दूर से गोल गुम्बद की सुंदरता देखने के लायक होती है ।बीजापुर के गोल गुम्बद के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली , सुंदरता दर्शाती है । गोल गुम्बद के हरे-भरे वन बहुत ही अच्छे और दर्शनीय लगते हैं । प्राचीन समय से ही गोल गुम्बद की सुंदरता दर्शनीय रही है । जब बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने इस मकबरे का निर्माण करा दिया था तब शाही राजा महाराजा का स्वागत इसी स्थान पर किया जाता था क्योंकि यहां पर जो व्यक्ति पहली बार आता है वह इस गोल गुम्बद की सुंदरता देखकर आनंदित हो जाता है ।
इस गोल गुम्बद की सुंदरता अधिक सुंदर बनाने के लिए आदिल शाह के द्वारा बेहतरीन नक्काशीओ को बुलाया गया था ।
गोल गुम्बद की फुसफुसा गैलरी के बारे में – बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के द्वारा गोल गुम्बद की फुसफुसा गैलरी बहुत ही अद्भुत बनाई गई है । जो भी पर्यटक इस फुसफुसा गैलरी को देखनेे के लिए एवं घूमने के लिए जाता है वह बहुत सी रोचक जानकारी इस गोल गुम्बद के बारे में प्राप्त करता है । जब कोई पर्यटक वहां पर घूमने के लिए जाता है तब फुसफुसा गैलरी मे प्रवेश करते ही उसे आनंद की प्राप्ति होती है । इस फुसफुसा गैलरी मे आवाज लगाने पर आवाज 7 बार गूंजती है ।
इस फुसफुसा गैलरी के बारे में ऐसा कहा जाता है की बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह एवंं उनकी बेगम इसी गैलरी में मिलकर बातचीत किया करते थे । इस फुसफुसा गैलरी मे जो भी जाता है उसके पैरों की आहट चारों तरफ गूंजने लगती है । जब कोई व्यक्ति इस फुसफुसा गैलरी मे जाकर हंसता है तब उसके हंसने की आवाज चारों तरफ गूंजने लगती है । इस फुसफुसा गैलरी के बारे में ऐसा कहा जाता कि प्राचीन समय में जब शाही परिवार यहां पर घूमने आता था तब इस फुसफुसा गैलरी से ही सूचना पूरेे क्षेत्र मे फैलाई जाती थी ।
बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के द्वारा शाही परिवार का स्वागत इसी गोल गुम्बद मे किया जाता था क्योंकि मुहम्मद आदिल शाह ने इस गोल गुम्बद को बहुत ही सुंदरता दी है । बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह यह जानते थे कि शाही परिवार जब इस गोल गुम्बद की सुंदरता को देखेगा तब वह अपने जीवन में आनंद ही आनंद प्राप्त करेगा । हमें गोल गुम्बद की सुंदरता एवं गोल गुम्बद के फुसफुसा गैलरी की सुंदरता का आनंद लेने के लिए कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर के गोल गुम्बद को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए क्योंकि गोल गुम्बद को देखने के बाद हमें इसकी सुंदरता का पता चलता है ।
इसके चारों तरफ की सुंदरता देखने के लायक है । इस बीजापुर के गोल गुम्बद की सुंदरता के चर्चे देश ही नहीं बल्कि विदेशों मेंं भी किए जाते हैं क्योंकि यह गोल गुम्बद दुनिया की सबसे बड़ी एवं सबसे सुंदर दूसरी गोल गुम्बद है । इसीलिए दूर-दूर से पर्यटक इस गोल गुम्बद की सुंदरता को देखने के लिए आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । जब हम इस गोल गुम्बद को देखतेे हैं तब हमेंं बड़ा आश्चर्य होता है की इस गोल गुम्बद को किस तरह से बनाया गया है क्योंकि यह गोल गुम्बद सिर्फ 4 मीनारों पर ही टिका हुआ है ।
गोल गुम्बद की वास्तु कला के बारे में– गोल गुम्बद की वास्तु कला बहुत ही सुंदर बनाई गई है क्योंकि सबसे बेहतरीन नक्काशीयों के द्वारा इसकी नक्काशी की गई है ।जब हम इस गोल गुम्बद की वास्तुकला को देखते हैं तब हमें बहुत ही आनंद प्राप्त होता है । वास्तुकला का प्रदर्शन करने एवं बनाने मेे बहुत बारीकी से काम करना पड़ता है ।इस गोल गुम्बद को वास्तु कला से सुंदरता दी गई है । जब हम इस गोल गुम्बद की वास्तुकला की सुंदरता को देखते हैं तब हमें बड़ा आनंद आता है और हम अपने कैमरे के माध्यम से वास्तु कला की सुंदरता को कैद कर लेते हैं ।
जब हम गोल गुम्बद को देखने के लिए जातेे हैं तब हम वहां के आसपास की सुंदरता को भी अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं क्योंकि वहां की सुंदरता देखने के लायक होती है ।
गोल गुम्बद में स्थित समाधि स्थल के बारे में – गोल गुम्बद के अंदर एक सबसे सुंदर और बेहतरीन समाधि स्थल भी बनाया गया है । इस गोल गुम्बद के समाधि स्थल की सुंदरता देखने के लायक है । गोल गुम्बद की समाधि स्थल की छत को नक्काशी के द्वारा सुंदर बनाने के लिए बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह के द्वारा कहा गया था क्योंकि बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह इस समाधि स्थल को दर्शनीय बनाना चाहते थे । बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह यह चाहते थे कि उनके मरने के बाद दूर-दूर से लोग इसकी सुंदरता को देखने के लिए आएं ।
इसी उद्देश्य से आदिलशाह ने नक्काशीयों को इसकी सुंदरता बहुत अच्छी बनाने के लिए निर्देश दिए थे और आदिलशाह के द्वारा इनाम भी रखा गया था । इसके चारों तरफ 11-11 फुट के चोड़े चोड़े बरामदे बनाए गए थे जिससे इस समाधि स्थल की सुंदरता और भी अच्छी लगने लगी थी । इस बरामदे की छत तकरीबन 109 फुट एवं 6 इंच की ऊंचाई पर पाटी बनाकर तैयार की गई थी । जो मेहराबो के द्वारा तैयार की गई थी । यहीं से गोल गुम्बद की छत पर जाने के लिए चारों मीनारों पर सुंदर और अद्भुत जीने बनाए गए थे । जिसकी सुंदरता देखने के लायक है ।
जब इन जीनो केेे माध्यम से हम गोल गुम्बद की छत पर जातेे हैं तब चारों तरफ की सुंदरता देख कर हम आनंद प्राप्त करते हैं । इस आर्टिकल में मैं पहले भी बता चुका हूं कि इस गोल गुम्बद के चारों तरफ की सुंदरता देखने के लायक है । गोल गुम्बद के भवन के बीचों-बीच नकली समाधिया बीजापुर के सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह के द्वारा बनवाई गई हैं जिसकी सुंदरता देखने के लायक है । सबसेे बड़ी बात यह हैै कि नकली समाधियो के आसपास किसी को भी नहीं दफनाया गया है ।
असली कब्र तहखाने के भीतर बनवाई गई हैं । यह असली कब्र तकरीबन 205 वर्ग फुट के एरिया में फैली हुई है । जहां पर भी कई पर्यटक असली कब्र को देखने केेेे लिए जाते हैं । इस तरह से गोल गुम्बद के कब्र खाने की सुंदरता भी देखने के लायक है । जिसकी हम जितनी प्रशंसा करें उतनी कम है । जब हम इन कब्रों को देखते तब हमें नक्काशीयो की मेहनत का पता चलता है की उन नक्काशीयो ने इस कब्र खाने को बनाने में कितनी मेहनत की थी और हमें उनकी मेहनत एवं कला पर कलाकारों की प्रशंसा अवश्य करना चाहिए ।
हम उन नक्काशीय़ो की नक्काशी को ही देखकर आनंद प्राप्त करते हैं ।
गोल गुम्बद के पास स्थित उद्यान के बारे में – गोल गुम्बद के पास में एक खूबसूरत उद्यान भी स्थित है । जिसकी सुंदरता को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । इस उद्यान मे हरे-भरे बाग , सुंदर सुंदर फूल , फलों के पेड़ लगेे हुए है । गोल गुम्बद के इस उद्यान को सुरक्षित रखने एवं यहां की सुंदरता दिन-प्रतिदिन और अच्छी बनाने के लिए पर्यटन विभाग काफी पैसा खर्च करता है क्योंकि गोल गुम्बद के पास स्थित यह उद्यान कर्नाटक राज्य के पर्यटन विभाग की देखरेख में है ।
पर्यटकों की सबसे अच्छी सुंदर जगह होने के कारण एवं देश की सबसे अच्छी गोल गुम्बद होने के कारण भारत सरकार के द्वारा काफी पैसा गोल गुम्बद के पुनर्निर्माण एवं देखरेख के लिए दिया जाता है । यह गोल गुम्बद दुनिया की सबसेे सुंदर और पहली गोल गुम्बद सेंट पीटर्स के बाद दूसरी गोल गुम्बद है जिसकी प्रशंसा पूरी दुनिया में की जाती है । यह गोल गुम्बद सिर्फ चार मीनारों पर ही टिकी हई है । चारमीनारो पर टिके हुए गोल गुम्बद को देखने के लिए ही दूर-दूर से लोग आते हैं और अपने कैमरे के माध्यम से इसकी सुंदरता को कैद करके ले जाते हैं ।
यदि हम इस गोल गुम्बद के उद्यान की सुंदरता को देखना चाहते हैं तो हमें अपने कीमती समय में से थोड़ा सा समय निकाल कर कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर के इस गोल गुम्बद के उद्यानों को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए । जब हम गोल गुम्बद के उद्यानों को अपनी आंखों से देखेंगे तब हमें इस गोल गुम्बद के उद्यानों की सुंदरता का एहसास होगा और हम अपने जीवन में आनंद ही आनंद प्राप्त करेंगे । इसलिए हमें गोल गुम्बद घूमने के लिए जरूर जाना चाहिए और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करना चाहिए ।
बीजापुर के गोल गुम्बद के संग्रहालय के बारे में – बीजापुर के गोल गुम्बद के सामने एक संग्रहालय भी स्थित है ।जिसकी सुंदरता के चर्चे प्राचीन समय से किए जाते रहे हैं । आज भी विदेशों में गोल गुम्बद के संग्रहालय के चर्चे किए जाते हैं । जिसकी सुंदरता को देखने के लिए विदेशों से पर्यटक आकर , इसकी सुंदरता को देखकर आनंद प्राप्त करते हैं । इस गोल गुम्बद के संग्रहालय के बारे में ऐसा कहा जाता है की प्राचीन समय में बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह के किमती सामान इसी संग्रहालय मे रखा जाता था ।
जब बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह तैयार होने के लिए इस संग्रहालय के अंदर प्रवेश करते थे तब वह तलवार और गहने पहनकर बाहर निकलते थे । आज भी इस संग्रहालय में बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह के किमती सामान हिफाजत के साथ रखा हुआ है । जब कोई पर्यटक इस संग्रहालय को देखने के लिए जाता है तब वह पर्यटक इसकी सुंदरता को देखकर मोहित हो जाता है । प्राचीन समय में जब बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह ने गोल गुम्बद का निर्माण कराया था तब यह संग्रहालय गोल गुम्बद का ही हिस्सा था ।
बाद में इस गोल गुम्बद को एक संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया था । संग्रहालय की सुंदरता को और भी अधिक सुंदर बनाने के लिए पर्यटक विभाग के द्वारा निर्माण कार्य किए जाते हैं । पर्यटक विभाग के द्वारा काफी पैसा संग्रहालय की सुंदरता के लिए खर्च किए जाते हैं । इस संग्रहालय के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब भारत देश पर ब्रिटिश शासन का राज चलता था तब सन 1992 के समय ब्रिटिश अधिकारियों के द्वारा इस गोल गुम्बद के हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया था ।
जब बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह ने इस गोल गुम्बद का निर्माण कराया था तब इस संग्रहालय का निर्माण कराया गया था । जब गोल गुम्बद के इस संग्रहालय का निर्माण कराया गया था तब बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के द्वारा इस स्थान का नाम इमारत नक्कारखाना रखा गया था । जहां पर बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह अपने कीमती सामान को रखते थे । प्राचीन समय में नक्कारखाने का उपयोग शाही लोगों के आगमन पर उनका स्वागत ड्रम बजा कर किया जाता था ।
जब ब्रिटिश शासन का राज चलता था तब ब्रिटिश अधिकारियों केे द्वारा यह संग्रहालय 1912 को कलेक्टर को सौंप दिया गया था । इस तरह सेेेे ब्रिटिश शासन के दौरान , निर्माण कार्य इस संग्रहालय का करवाया गया था । जब हमारे भारत देश को आजादी मिली थी तब यह संग्रहालय सन 1962 को भारत देश के पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया था । पुरातत्व विभाग के द्वारा इस संग्रहालय का निर्माण कार्य किया गया था ।
संग्रहालय के आसपास सुंदरता देने के लिए पुरातत्व विभाग के द्वारा सुंदर पेड़ पौधे लगाए गए थे । जिससे इस संग्रहालय की सुंदरता बहुत अच्छी लगती है क्योंकि लाखों करोड़ों पर्यटक प्रतिवर्ष भारत देश के कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर के गोल गुम्बद को देखने के लिए आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । हमें भी इस संग्रहालय की सुंदरता को देखने के लिए बीजापुर शहर अवश्य जाना चाहिए । जब हम इस गोल गुम्बद के संग्रहालय की सुंदरता को देखेंगे तब हमें पता पड़ेगा कि इस गोल गुम्बद के संग्रहालय की सुंदरता के चर्चे चारों तरफ क्यों होते हैं ।
बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की मौत के बारे में – जब कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर के गोल गुम्बद का निर्माण कार्य पूरा हो गया था तब कुछ ही समय के बाद वहां के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह का निधन हो गया था । जिसके बाद इस गोल गुम्बद को आदिलशाह के मकबरे के नाम से सभी जानने लगे थे । यह बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह के द्वारा सबसे सुंदर और दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा गोल गुम्बद बनवाया गया था जिसकी प्रशंसा के चर्चे प्राचीन समय से ही किए जाते रहे हैं ।
बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने जब अपने सपने को पूरा करने के लिए इस गोल गुम्बद का निर्माण कार्य पूरा करा लिया था तब कुछ समय तक वह इस गोल गुम्बद का आनंद ले चुके थे । परंतु जायदा समय तक वह इस गोल गुम्बद का आनंद नहीं ले पाए थे क्योंकि उनका देहांत हो गया था । उनके देहांत के बाद ही इस गोल गुम्बद को आदिल शाह के मकबरे का नाम दिया गया था । आदिल शाह के मकबरे को बनाने में कारीगरों को तकरीबन 20 साल का समय लगा था ।
बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह को इस गोल गुम्बद के बनने का इंतजार बहुत बेसब्री से था । इसीलिए आदिल शाह हर समय इस गोल गुम्बद को जल्द से जल्द तैयार करने के लिए काम करते रहते थे ।
गोल गुम्बद की मीनारों के बारे में – गोल गुम्बद सिर्फ चारमीनारो पर टिका हुआ है । गोल गुम्बद के चारमीनारो को बहुत ही सुंदर बनाया गया है । यह चार मीनारे जो सात मंजिला बनाई गई हैं । इस गोल गुम्बद के अंदर प्रवेश करने के लिए एवं गोल गुम्बद की छत पर जाने के लिए तकरीबन 8 दरवाजे बनवाए गए हैं । दरवाजों के माध्यम से , मीनारों पर लगेे हुऐ जीनो के माध्यम से हम सात मंजिला ऊपर गोल गुम्बद की छत पर जाकर पूरे बीजापुर शहर की सुंदरता को देख सकते हैं क्योंकि गोल गुम्बद की छत से बीजापुर शहर की सुंदरता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है ।
जब हम गोल गुम्बद की छत पर जाते हैं तब हम आसपास की हरियाली , सुंदरता को देखकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । हमें अपने परिवार के साथ कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर के गोल गुम्बद को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए । यह पूरे विश्व का दर्शनीय पर्यटन स्थल है । जहां पर लाखों करोड़ों की संख्या में पर्यटक आकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । यदि हम भी आनंद प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें भी इस गोल गुम्बद को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए ।
गोल गुम्बद के चारों तरफ घूमने से हमें बहुत ही आनंद आता है । हमें अपने जीवन में आनंद प्राप्त करने के लिए , गोल गुम्बद को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए । यह गोल गुम्बद पर्यटकों का मन आनंदित करता रहे इसके लिए पर्यटन विभाग इस गोल गुम्बद की सुंदरता को और भी सुंदर बनाने के लिए निर्माण कार्य कराती रहती है क्योंकि यह भारत देश का सबसे सुंदर और अद्भुत पर्यटन स्थल है । यहां पर लाखों करोड़ों की संख्या में पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।
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