गिरनार पर्वत का इतिहास Girnar parvat history in hindi
Girnar parvat history in hindi
Girnar parvat – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गिरनार पर्वत के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर गिरनार पर्वत के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
गिरनार पर्वत के बारे – गिरनार पर्वत भारत का सबसे सुंदर , अद्भुत , चमत्कारी पर्वत है जिस पर्वत की सुंदरता के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और गिरनार पर्वत की सुंदरता को देखकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । भारत देश का यह सुंदर , अद्भुत चमत्कारी गिरनार पर्वत गुजरात राज्य की जूनागढ़ में स्थित एक चोटी है जहां पर गिरनार पर्वत स्थित है । जिसकी सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक किए जाते हैं । मैं आपको बता देना चाहता हूं कि यह गिरनार पर्वत एशियाई सिंहो के लिए विख्यात गिर राष्ट्रीय उद्यान है । जिस उद्यान के बारे में दूर-दूर तक चर्चा की जाती है । यह गिर राष्ट्रीय उद्यान गिरनार पर्वत के जंगल में ही स्थित है ।
जो भी व्यक्ति , जो भी पर्यटक दूर-दूर से गिर वन राष्ट्रीय उद्यान को देखने के लिए आता है वह गिरनार पर्वत की सुंदरता को देखकर अपने जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त करता है । इस अद्भुत चमत्कारी गिरनार पर्वत की आज जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । यह गुजरात राज्य के जूनागढ़ में स्थित पर्वत तकरीबन 3383 फुट की ऊंचाई पर स्थित है । इसकी इतनी लंबी ऊंचाई जब हम दूर से देखते हैं तब बड़ा आश्चर्य होता है कि वहां पर ऊपर पहुंचने के बाद हम कैसा महसूस करेंगे और जब हम ऊपर पहुंचन जाते है तब हमें बहुत आनंद प्राप्त होता है ।
जो गिरनार पर्वत पर जाकर आनंद प्राप्त करता है उसके जीवन में खुशी और आनंद आती है ।गिरनार पर्वत पर कई जैन मंदिर भी बने हुए हैं क्योंकि यह जैन समाज का पवित्र तीर्थ स्थल है । जिस तीर्थ स्थल पर घूमने के लिए जैन समुदाय के लोग लाखों की संख्या में जाते हैं और गिरनार पर्वत को घूम कर आनंद प्राप्त करते हैं । मैं आपको बता देना चाहता हूं कि इस पवित्र तीर्थ स्थल पर जैन समुदाय का मल्लीनाथ और नेमिनाथ मंदिर स्थित है जिस मंदिर के दर्शन करने के लिए जैन समुदाय के लोग प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में जाते हैं और इस मंदिर के दर्शन करके आनंद प्राप्त करते हैं । गिरनार पर्वत प्राचीन समय से ही दर्शनीय रहा है ।
परंतु जब गिरनार पर्वत पर प्रथम मंदिर का निर्माण गुजरात के नरेश कुमार पाल के समय कराया गया था तब गिरनार पर्वत की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी । इसके बाद जब दूसरा मंदिर गिरनार पर्वत पर बनवाया गया तब सभी लोग इस पर्वत को देखने की लालसा करने लगे थे । दूसरा मंदिर वास्तु पाल और तेजपाल नामक भाइयों के द्वारा बनवाया गया था । जिस मंदिर की सुंदरता आज भी सुंदर अद्भुत चमत्कारी दिखाई देती है और इस मंदिर का नाम मल्लीनाथ मंदिर रखा गया था । जो मंदिर आज भी सभी लोगों का मन मोह लेता है ।
मैं आपको बता देना चाहता हूं कि यह मल्लीनाथ का मंदिर गिरनार पर्वत पर 1288 में बनवाया गया था । इसके बाद जब लोगों की लोकप्रियता गिरनार पर्वत से बढ़ने लगी तब यहां पर तीसरा मंदिर नेमिनाथ का बनवाया गया था । प्राचीन समय में भारत देश के गुजरात राज्य के जूनागढ़ में स्थित गिरनार पर्वत को गिरी नगर कहा जाता था । इस पर्वत से लोगों की आस्था इसलिए जुड़ी है क्योंकि यहां के पर्वत की एक चट्टान पर मौर्य सम्राट अशोक का चतुर्दश शिलालेख अंकित है । जिस चतुर्दस शिलालेख को देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ गिरनार पर्वत पर आती है और मौर्य सम्राट अशोक का चतुर्दश शिलालेख को देखकर आनंद प्राप्त करती है ।
चट्टान की एक ओर चतुर्दशी शिलालेख अंकित है तथा उसी चट्टान के दूसरी ओर शक क्षत्रप रुद्रदामन का अभिलेख अंकित है । इसके साथ-साथ गिरनार पर्वत की सुंदरता के और भी कई राज हैं जैसे कि गिरनार पर्वत की जो पहाड़ियां हैं उन पहाड़ियों से पश्चिम और पूर्व दिशा की ओर कुछ सुंदर नदियां बहती हैं और उन बहती हुई नदियों के नाम इस प्रकार से हैं । रोहजा , भादस , घेलो और शतरुंंजी आदि । यह सभी नदियां गिरनार पर्वत के पूर्व पश्चिम दिशा में बहती है । मैं आपको यह बता देना चाहता हूं कि गिरनार पर्वत पर भील और दुबला जाति के लोगों का निवास है । गुजरात के जूनागढ़ में स्थित पर्वत गिरनार पर्वत पर पहुंचने के लिए तकरीबन 7000 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है ।
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