घमंडी का सर नीचा Ghamandi ka sar neecha story
Ghamandi ka sar neecha story
हेलो फ्रेंड्स कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आपने तेलानीराम की कहानी तो सुनी होंगी तेनालीराम ने अपनी चतुराई से अपने राज्य की हर तरह से मदद की थी और बहुत से ऐसे कामों को कर दिखाया था जो मुश्किल थे आज हम पढेंगे Ghamandi ka sar neecha story जो आपको बहुत ही प्रेरित करेगी
एक समय की बात है की राजा कृष्ण देवराय के दरबार में एक सेनापति आया और कहने लगा कि महाराज नमस्कार मैं महान हूं मैंने बहुत सारे युद्ध जीते हैं बहुत सारे महान विजेताओं को धूल चटाई है
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मैं इस दुनिया का सबसे महान और सबसे ताकतवर व्यक्ति हूं मुझे सम्मान मिलना चाहिए क्योंकि मैंने इस राज्य की बहुत सी मुसीबतों में सहायता की है मैं अगर ना होता तो यह राज्य सुरक्षित नहीं होता तब राजा कृष्ण देवराय ने उस सेनापति से कहा कि तुम इतना घमंड क्यों कर रहे हो तभी वह सेनापति बोला कि नहीं महाराज मैं तो सिर्फ अपने अच्छे गुणों की बखान कर रहा हूं कि मुझे अपने इन अच्छे गुणों के लिए पुरस्कार मिलना चाहिए तभी राजा ने उस सेनापति को अगले दिन आने को कहा फिर महाराज कृष्णदेवराय ने अपने चतुर तेनालीराम को बुलवाया और पूरा व्रतांत उनको सुनाया तब तेनालीराम ने अगले दिन उस सेनापति को राजसभा में बुलवाया.
तेनालीराम ने उस सेनापति से कहा कि महाराज मैं जो बंद आंखों से कर सकता हूं यह सेनापति खुली आंख रखकर भी नहीं कर सकता तभी तेनालीराम ने अपनी आंखें बंद करके पिसी हुई मिर्ची अपनी आंखों की फेंकी आंखें बंद होने के कारण उनकी आंखों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और जब मिर्ची से भरी हुई थाल उस सेनापति के आगे प्रस्तुत की गई तो सेनापति घबरा गया है और उसने राजा से अपने घमंड के बारे में माफ़ी मांगी.वाकई में किसी व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए हर एक इंसान किसी न किसी काम में परफेक्ट होता है लेकिन वह दूसरे कामों में जरूरी नहीं कि परफेक्ट हो इसलिए हमें किसी भी काम के चलते अपने आप पर घमंड नहीं करना चाहिए.
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