फल्गु नदी का इतिहास Falgu river history in hindi

Falgu river history in hindi

Falgu river – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से फल्गु नदी के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर फल्गु नदी के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Falgu river history in hindi
Falgu river history in hindi

फल्गु नदी के बारे में – फल्गु नदी भारत की सबसे अच्छी और पुरानी नदी मानी जाती है । भारत के हिंदू ग्रंथ वायु पुराण मे यह बताया गया है कि फल्गु नदी सदेही विष्णु गंगा है । फल्गु नदी के बारे में यह कहा जाता है कि यह नदी माता सीता के श्राप से शापित है । इसके बारे में एक कथा कहीं जाती है जब भगवान राम अपने पिता का पिंडदान करने के लिए फल्गु नदी पर पहुंचे तब भगवान राम और लक्ष्मण पिंड दान की सामग्री एकत्रित करने के लिए वहां से निकल आए थे ।

इसके बाद भगवान राम के पिता ने सीता माता को छाया रूप में दर्शन दिए थे और माता सीता से कहा था कि वह सही मुहूर्त पर पिंड दान करें और उन्होंने माता सीता से पिंडदान करने के बाद भोजन की मांग की थी । परंतु जब राम भगवान और लक्ष्मण जी सही समय पर नहीं आए तब माता सीता ने पंडित दान सामग्री के बिना ही दशरथ जी का पिंड दान कर दिया था । इसके बाद जब राम भगवान वहां पर आए तब माता सीता ने राम भगवान से कहा था कि पिताश्री का पिंड दान हो गया है । परंतु राम भगवान ने माता सीता पर विश्वास नहीं किया और राम भगवान अधिक क्रोधित होने लगे थे ।

इसके बाद माता सीता ने राम भगवान को विश्वास दिलाने के लिए फल्गु नदी , अग्नि , बरगद के पेड़ , तुलसी , गाय , गया ब्राह्मण को बुलाकर सच बोलने के लिए कहा था । इसके बाद बरगद के पेड़ ने सीता माता के कहने पर सच्ची बात भगवान राम के सामने कहीं थी । परंतु जब फल्गु नदी को सच्चाई बताने के लिए कहा गया तब फल्गु नदी भगवान राम के डर से मुकर गई थी । इसके बाद गया ब्राह्मण को भी सच्चाई बताने के लिए बुलाया गया था ।ब्राह्मण ने भी भगवान राम के डर से मुकर जाना ही ठीक समझा था । इसके बाद गाय को बुलाया गया था पर गाय भी सच्ची बात बताने से मुकर गई थी ।

इसके बाद माता सीता को बहुत जोर से क्रोध आ गया था और माता सीता ने फल्गु नदी को श्राफ़ दिया की वह गया नगर में अपना पानी खो देगी । इसके बाद माता सीता के द्वारा गाए को भी श्राफ़ दिया गया था और माता सीता ने गाय से कहा था कि गाय के शरीर के सिर्फ पिछले हिस्से का ही महत्व रहेगा । इसके बाद तुलसी को श्राफ़ देते हुए माता सीता ने कहा था कि गया मे कभी भी तुलसी नहीं लगेगी । इसके बाद माता सीता से यह कहा गया था कि तू जितना भी दान प्राप्त करेगा उस दान से तू  हमेशा  असंतुष्ट ही रहेगा ।

इस तरह से फल्गु नदी माता सीता के द्वारा शापित हुई थी । फल्गु नदी बौद्ध धर्म और सनातन धर्म दोनों धर्मों के लिए बहुत महत्व रखती है । यह पवित्र नदी बोधगया मे निरंजना के नाम से पहचानी जाती है । बौद्ध धर्म के अनुसार यह कहा जाता है कि भगवान बुद्ध के द्वारा इसके तट पर स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी । इसके साथ-साथ कृषक कन्या सुजाता ने उन्हें खीर खिलाकर मध्यम मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया था ।

यदि हम फल्गु नदी की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो फल्गु नदी की उत्पत्ति आज से तकरीबन 19 करोड़ वर्ष पहले की मानी जाती है और उत्पत्ति के बारे में यह कहा जाता है कि जब जलवायु में अधिक बदलाव हुए जिसके कारण उच्च भूमि की जो बर्फ थी वह पिघलने लगी थी और वह बर्फ पिघल कर जल प्रवाह के रूप में नदियों का स्वरूप धारण कर चुकी थी ।जिस को फल्गु नदी कहा जाता है । इस नदी के घाट पर कई महान आत्माओ का पिंड दान किया गया है ।

राम भगवान के साथ-साथ कई ऐसे महान व्यक्तियों का पिंडदान इस नदी में किया गया है जिन्होंने मानव कल्याण के लिए कार्य किए हैं । भीष्म पितामह जैसे महान योद्धा का पिंडदान भी इसी नदी में किया गया है और युधिस्टर के द्वारा अपने पितरों के मोक्ष के लिए यहां पर बहुत बड़ा यज्ञ किया गया था ।

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