साम्प्रदायिकता पर निबंध Essay on Sampradayikta in Hindi
Essay on Sampradayikta in Hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके साथ संप्रदायिकता पर निबंध शेयर करने वाले हैं चलिए पढ़ते हैं इसके बारे में
हमारा भारत देश एक ऐसा देश है जिसमें अनेक धर्म, जाति,भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं इनके रीति रिवाज अलग अलग होते हैं यह अलग अलग धर्मों के लोग अलग-अलग भगवान को मानते हैं कोई अपने भगवान को ईश्वर कहता है तो कोई अल्लाह कहता है लेकिन हम सभी में एक बात समान है कि हम सभी भारतीय कहलाते हैं।

सांप्रदायिकता क्या है
किसी सम्प्रदाय के लोगों द्वारा अपने जाति,धर्म को सबसे ऊंचा समझना और किसी अन्य सम्प्रदाय के जाति, धर्म के लोगों को नीचे समझना और उन्हें बुरी दृष्टि से देखना संप्रदायिकता कहलाता है। सांप्रदायिकता एक ऐसी बुरी भावना है जिससे हमारा सिर्फ अहित होता है सांप्रदायिकता की भावना को खत्म करना जरूरी है क्योंकि सबसे पहले हमारा एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है। अगर हम इन्हीं मुद्दों पर एक दूसरे के दुश्मन बनेंगे तो हम एक दूसरे का ही गला काटटे रहेंगे यह सही नहीं है।
संप्रदायिकता का दुष्प्रभाव
सांप्रदायिकता की भावना का एक खतरनाक दुषप्रभाव होता है साम्प्रदायिकता की वजह से लोग दूसरे संप्रदाय के लोगों को दुश्मन समझते हैं, अपने आपको श्रेष्ठ और दूसरे को कुछ भी नहीं समझते। सांप्रदायिकता की भावना की वजह से ही आज कई तरह के झगड़े होते हैं हम देखते हैं की संप्रदायिकता की वजह से हिंदू,मुस्लिम जैसे धर्मों के बीच में लड़ाई दंगे होते हैं वह अपने अपने सम्प्रदाय को श्रेष्ठ मानते हैं यह सब इन धर्मों के उन लोगों के द्वारा होता है जो केवल एक दूसरे को लड़वाना चाहते हैं।
कई बार इन धर्मों के बीच में इतना बड़ा दंगा भी हो जाता है कि कई लोग मारे जाते हैं हम सभी को इस संप्रदायिकता से दूर रहना चाहिए और एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। हमे दूसरों की मदद करना चाहिए और एक अच्छा इंसान इंसान बनना चाहिए। हमे कभी भी इस तरह की सांप्रदायिकता की भावना नहीं रखना चाहिए क्योंकि हमारे सभी धर्म भले ही अलग अलग हो लेकिन हमारी राष्ट्रीय एकता एक है, हम सब एक हैं हमारा भारत देश एक है।
हमें इसके दुष्प्रभावों से बचना चाहिए दरहसल सांप्रदायिकता की भावना की वजह से कई बच्चे घायल हो जाते हैं, कई अनाथ हो जाते हैं, औरतें अपने सुहाग को खो देती हैं और उनका जीवन जीते जिये भी बिल्कुल बेकार हो जाता है। संप्रदायिकता वास्तव में किसी भी देश के लिए एक सबसे बुरी भावना है यह देश का नुकसान करने के अलावा कुछ भी नहीं करती। साम्प्रदायिकता की वजह से होने वाले लड़ाई दंगे कुछ समय बाद ही शांत हो जाते है और इससे हमारा सिर्फ नुकसान होता है हमारा फायदा कुछ भी नहीं होता है हमें इस दुष्प्रभाव से बचना चाहिए।
सांप्रदायिकता की भावना से कैसे दूर रहे
अब हम समझ चुके हैं कि वास्तव में सांप्रदायिकता हमारे देश के लिए, हमारे लिए और हमारे समाज के लिए बहुत नुकसान पहुंचाती है हमें संप्रदायिकता से दूर रहना चाहिए और सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि ईश्वर एक है बस उसके नाम अलग-अलग हैं। सभी धर्मो में हमे सत्य, ईमानदारी के मार्ग पर चलना, ईश्वर की पूजा आराधना करना आदि बताया है इसलिए हमें इस संप्रदायिकता की भावना से दूर ही रहना चाहिए हमें सोचना चाहिए कि हम इंसान हैं ईश्वर ने हमें इतनी बेहतरीन दुनिया दी है जिसमें हम एक दूसरे की मदद करने के बारे में सोच सकते हैं।
हम एक अच्छा इंसान बनकर दूसरों को खुश रखने के बारे में सोच सकते हैं हम एक दूसरे के धर्म के बारे में गलत बात ना करके उनकी इज्जत करने के बारे में भी सोच सकते हैं तो कितना अच्छा हो। हमें चाहिए कि हम पहले अच्छे इंसान बनकर दिखाएं ज्यादातर लोग एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश नहीं करते वो बस इस संप्रदायिकता की वजह से लड़ने और मरने के लिए तैयार हो जाते हैं इससे क्या होगा इससे ना ईश्वर खुश होता है क्योंकि ईश्वर कभी नहीं चाहता कि उसके बच्चे एक दूसरे से ही लड़ते रहे वास्तव में हमे एक अच्छा इंसान बनकर इस तरह की भावनाओं से दूर रहना चाहिए।
उपसंहार
हमें चाहिए कि संप्रदायिकता को जड़ से खत्म करें और हिंदू, मुस्लिम सभी धर्मों, जाति और भाषाओं के लोग एक साथ मिल जुलकर रहैं और राष्ट्रीय एकता बनाए रखें इस तरह से ही हम जीवन में सुख समृद्धि से रह सकते हैं।
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