पर्वतीय यात्रा पर निबंध Essay on parvatiya yatra in hindi

Essay on parvatiya yatra in hindi

Parvatiya sthal ki yatra in hindi-हेलो माय डिअर फ्रेंड्स कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Essay on parvatiya yatra in hindi आपको हमारे देश के एक बहुत ही दार्शनिक स्थल की जानकारी देगा.कहते हैं जीवन में यात्रा जरूर करना चाहिए क्योंकि यात्रा करने से हमें खुशी मिलती है और बहुत से लाभ होते है,साथ में घूमने से मानसिक संतुलन ठीक रहता है साथ में बीमारियां दूर होती हैं इसलिए हमें कही बहार यात्रा करने के लिए जरुर जाना चाहिए.

Essay on parvatiya yatra in hindi
Essay on parvatiya yatra in hindi

आज हम आपको एक ऐसे पर्वतीय स्थल की जानकारी देने वाले हैं जिसकी यात्रा करने के लिए सिर्फ देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं.वह तीर्थ स्थल हमारे देश की शान है लोग वहां पर घूमना पसंद करते हैं चलिए पढ़ते है पर्वतीय यात्रा पर निबंध.पर्वतीय यात्रा करना मुझे शुरु से ही बहुत पसंद था दरअसल आज हम शहरों में रह रहे हैं तो हमें कभी भी इस तरह के पर्वत आसपास देखने का मौका नहीं मिलता.बहुत से लोगों के मन में पर्वतीय यात्रा करने का ख्याल आता है और किसी किसी को यात्रा करने का मौका मिलता है.आज से कुछ समय पूर्व मेने भी पर्वतीय यात्रा की थी.

मैंने अपने दोस्तों से नैनीताल के बारे में काफी कुछ सुना था.नैनीताल एक बहुत ही अच्छा दार्शनिक स्थल है वहा पर यात्रा करने से हमें सुकून मिलता है यह उत्तर प्रदेश के पर्वतों में स्थित है.सुना है यह लगभग 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है.मैंने अपनी फैमिली के साथ मिलकर नैनीताल जाने का निर्णय लिया और एक दिन निश्चित किया.हमने इसके लिए कुछ दिन पहले ही रिजर्वेशन करवा लिया था फिर एक दिन हम नैनीताल की ओर निकल पड़े.

हमने नैनीताल में जाने से पहले अपने साथ कुछ गर्म कपड़े भी रखे थे साथ में कंबल आदि भी रखे हुए थे क्योंकि सुना है कि नैनीताल मैं बहुत ही सर्दी पड़ती है हम ग्रीष्म ऋतु के अंत में नैनीताल की ओर गए थे दरअसल इस समय नैनीताल में आपको बहुत सारे लोग आते हैं,हम नैनीताल बस में सवार होकर जा रहे थे तो रास्ते में कोटगोदाम नाम का स्थान पड़ता है हमने महसूस किया कि इससे पहले तो हमें बड़ी गर्मी लग रही थी लेकिन जैसे ही हम इस स्थान से ऊपर की ओर पर्वत श्रंखलाओं की ओर आगे बढ़ते गए हमारी गर्मी दूर होती चली गई,हमें सर्दी महसूस होने लगी.

जब हम कोटगोदाम से ऊपर की ओर जा रहे थे तो हमने बहुत सारे पर्वत देखे,जो देखने में बहुत ही सुंदर लग रहे थे मैंने कभी भी इस तरह के पर्वतो को नहीं देखा था.पहली बार इस तरह के दृश्य देखकर मैं बहुत ही खुश था,धीरे-धीरे हमारी बस ऊपर की तरफ चलती जा रही थी और हम लगभग 7000 फुट की ऊंचाई पर पहुंच गए.हम नैनीताल पहुंचे और हमने देखा कि वहां पर एक बहुत ही गहरा तालाब था.ये सोचने वाली बात है कि इतनी ऊंचाई पर बहुत गहरा तालाब कैसे हो सकता है.

हमें वहां का वातावरण देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था,वही पास में ही हनुमानगढ़ी है हम हनुमानगढ़ी को देखने के लिए गए,वहां पर हनुमान जी का मंदिर भी है जिसके दर्शन पाकर हमको बहुत ही अच्छा लगा,हमने नैनीताल के दर्शन किए वहां पर हमने नाव में बैठकर चारों ओर घुमा.मैं पहली बार एक नाव में बैठकर घुमा था,मेरे साथ मेरे मम्मी पापा और मेरे भाई बहन भी थे.मैं बहुत ही खुशी महसूस कर रहा था उसके बाद हमने विशेष रुप से नैनीताल के पर्वतों को देखा वहां की ऊंचाई को महसूस किया वहां के अच्छे मौसम को देखा.गर्मी में भी वहां जौर की ठण्ड थी.हमने अपने गर्म कपड़े पहने हुए थे,साथ में अपने शरीर पर चद्दर भी लपेटे हुए थे दरअसल वहां पर बहुत जोर की ठंड पड़ रही थी.

दरअसल नैनीताल के दृश्य देखकर मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कहीं और आ गया हूं.मैं नैनीताल के चारों ओर घुमा और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था.मैं अपनी पर्वतीय यात्रा से बहुत ही खुश था.नैनीताल वाकई में हर व्यक्ति को जाना चाहिए क्योंकि इस तरह का वातावरण हमको और कहीं पर भी देखने का मौका नहीं मिलता है.

अगर मुझे आगे भी नैनीताल घूमने का मौका मिलेगा तो मैं जरूर जाऊंगा क्योंकि वहां पर बहुत कुछ देखने लायक है उसके बाद जब मैं घर आया तो मेरे दोस्तों ने मुझसे नैनीताल के बारे में पूछा मैंने उनको बताया दरअसल मैं नैनीताल के बारे में अपने दोस्तों को बता कर बहुत ही खुश था,मेरा मन कर रहा था कि मैं एक बार वहां पर फिर जाऊं. दोस्तों इस तरह से मैंने नैनीताल की पर्वतीय यात्रा की.

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