लिंग भेद पर निबंध Essay on ling bhed in hindi
Essay on ling bhed in hindi
Essay on ling bhed in hindi-हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Essay on ling bhed in hindi आप सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आज का हमारा आर्टिकल आपको समाज के उस पहलू की ओर विशेष रूप से ध्यान देने के प्रति जागरूक करेगा जिस और हम सभी को ध्यान देना बेहद जरूरी है.लिंगभेद एक ऐसा टॉपिक है जिस पर जितने आर्टिकल निबंध लिखे जाएं उतना ही अच्छा है क्योंकि समाज के हर एक वर्ग को हमें जागरुक करना चाहिए तभी हमारे देश से लिंगभेद जैसी समस्या खत्म हो सकती है तो चलिए पढ़ते हैं लिंग भेद पर लिखे गए हमारे आज के निबंध को.
लिंगभेद से तात्पर्य है पुरुष और महिलाओं में भेदभाव करना.हमारे देश में लिंग भेद की समस्या बहुत ज्यादा है इसे खत्म करना बेहद जरूरी है आज के इस आधुनिक युग में भले ही बहुत सारे बदलाव आ रहे हैं आज के युवाओं की सोच लगातार प्रगति की ओर बढ़ रही है महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं है लेकिन फिर भी महिला और पुरुषों में भेदभाव देखा जाता है आजकल घर में यदि कोई लड़का जन्म लेता है तो मां-बाप खुशी का जश्न मनाते हैं लेकिन लड़की के पैदा होने पर वही मा बाप एकदम चुपचाप होकर सोचने लगते हैं कि हम इसकी जिम्मेदारी कैसे निभाएंगे.
हमारे समाज में इस लैंगिक भिन्नता की वजह से बहुत से क्रूर कर्म किए जाते हैं जैसे कि कन्या भ्रूण हत्या.कन्या के पैदा होने से पहले ही उसे मारना ही कन्या भ्रूण हत्या कहलाता है नीची सोच वाले लोग इस तरह के क्रूर कर्म को करते हैं हमारे समाज में इस कन्या भ्रूण हत्या को खत्म करने के काफी प्रयास भी किए जाते हैं कन्या भ्रूण हत्या को लेकर कानून भी बनाए गए हैं लेकिन फिर भी इस तरह के क्रूर कर्म रुकते नहीं हैं क्योंकि समाज के लोगों को लड़का और लड़की में बहुत बड़ा फर्क नजर आता है.
लोग सोचते हैं कि लड़का यदि जन्मता है तो वह बड़ा होकर हमें कमा कमा कर देगा लेकिन लड़की सिर्फ हमारे घर से विदा होकर जाएगी और दहेज के रूप में कुछ लेकर ही जाएगी वह कुछ भी देकर नहीं जाएगी.इस तरह की मानसिकता की वजह से हमारा समाज लगातार उस अंधकार में समाता हुआ जा रहा है कि जहां पर लड़कियों की संख्या दिनादिन कम होती नजर आ रही है.2000 मैं लड़कों के मुकाबले लड़कियों की जो संख्या थी वह काफी कम थी लेकिन 2011 में लड़कियों की संख्या में थोड़ा सा बढ़ावा देखने को मिला लेकिन वह कुछ भी खास नहीं था.
आज भी हम कह सकते हैं कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या बहुत ही कम है.हमारे देश की इस लिंग भिन्नता के कारण हमारा समाज दिनादिन बहुत सारी परेशानियों से जूझने वाला है आज के इस जमाने में बहुत से समाज वर्ग में लड़कियों की कमी आई है फिर भी लोग लड़कियों में भेदभाव करने से नहीं रुकते.अगर हम सब मिलकर इस भेदभाव को खत्म करने की दिल से ठाने तो ये ख़त्म हो सकता है क्योंकि एक अकेले इंसान का इस तरह के लैंगिक भेदभाव को खत्म करना मुश्किल है.
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हमारे देश में प्राचीन काल से ही पुरुष प्रधान रहा है महिलाओं को उनके हिसाब से चलना पड़ता है आज के आधुनिक युग में भी ऐसा ही होता है महिलाओं को पुरुषों के मुताबिक ही चलना पड़ता है और किसी भी तरह के निर्णय को महिला को नहीं लेने दिया जाता इस तरह का भेदभाव बहुत सारी सामाजिक विकृतियों को जन्म देता है जब एक लड़की का जन्म होता है तो मां बाप उसे बोझ की तरह पालते हैं और जब वह बड़ी होती है तो उसमें भेदभाव देखते हुए लड़की को ज्यादा पढ़ाया-लिखाया नहीं जाता और जब उसकी शादी होती है तो सास ससुर उसके घर वालों से दहेज की मांग करते हैं.
इस तरह की क्रूरता आज के आधुनिक युग में भी देखने को मिली है. हमारा भारत देश तेजी से प्रगति कर रहा है लेकिन उसकी सोच वही के वही है हम सभी को चाहिए कि लगातार प्रगति के साथ में हम इस लैंगिक भेदभाव को भी खत्म करें और देश को नई ऊंचाई पर ले जाएं.
आज हमारे समाज के लोगों की सोच कुछ इस तरह से है कि वह बहुए तो चाहते हैं लेकिन बेटीया बहुत ही कम लोग चाहते हैं क्योंकि वह जानते हैं की बेटी बड़ी होकर दहेज लेकर जाएगी इस तरह की सोच और कुप्रथाओं की वजह से हमारे देश में लड़कियों की स्थिति बहुत ही खराब होती जा रही है इस लिंग भेदभाव को हम सभी को खत्म करने की जरूरत है तभी हम अपने देश को आगे बढ़ा सकेंगे.
लिंग भेदभाव कुछ इस तरह का भी है कि यदि कोई पुरुष अपनी स्वेच्छा से अधिक शिक्षा प्राप्त करना चाहे तो मां बाप उसे प्रोत्साहन देते है लेकिन वही लड़की के अधिक शिक्षा प्राप्त करने पर घर वाले कोई विशेष ध्यान नहीं देते क्योंकि वह समझते हैं कि लड़की तो पराई है उसे तो सिर्फ घर का कामकाज ही संभालना है इस तरह की लैंगिक भेदभाव लगातार बढ़ता जा रहा है जिस तरह से पुरुष अपनी इच्छा से कुछ भी नौकरी या बिजनेस कर सकता है.
महिलाओं को भी इस तरह के अधिकार देने की जरूरत है कि वह भी अगर अपनी स्वेक्षा से कोई जॉब या कुछ बिजनेस शुरू करना चाहें और समाज में एक पहचान बनाना चाहें तो उन्हें बनाने का मौका मिलना चाहिए क्योंकि हम सभी को इस लैंगिक भेदभाव को खत्म करना चाहिए.
अगर बेटी भी पढ़े लिखे और अपने मुताबिक कुछ अच्छा जॉब या बिजनेस करें और अपने मां बाप की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी मदद करें तो हो सकता है कि आने वाले कुछ समय में लोग बेटी पैदा करने पर भी गर्व महसूस करें क्योंकि आजकल ज्यादातर लोग तो अपनी बेटी को सिर्फ बोझमझते हैं.
दूसरी ओर हम ये भी देख सकते हैं कि अगर लड़के की शादी की जाती है तो उसे पूरी इक्षा से अपने मुताबिक शादी करने का निर्णय लेने का हक दिया जाता है लेकिन अगर लड़की की शादी की जाती है तो उसे अपने निर्णय स्वयं लेने का अधिकार परिवार वाले नहीं देते वह उससे बिना पूछे ही शादी कर देते हैं इस तरह का भेदभाव हमारे समाज में पनपता जा रहा है हो सकता है इस आधुनिक युग में धीरे-धीरे इस लिंग भेदभाव को खत्म किया जा सके तो आने वाले समय में हर भारतीय लड़की पैदा करने पर गर्व महसूस करेगा.
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