भगत सिंह पर निबंध Essay On Bhagat Singh In Hindi

Essay On Bhagat Singh In Hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं सरदार भगत सिंह पर लिखित निबंध. अक्सर कई देशभक्त, क्रांतिकारियों पर परीक्षाओं में निबंध पूछा जाता है हमारे द्वारा लिखित इस निबंध से आप जानकारी लेकर अपनी परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कर सकते हैं तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस निबंध को।

Essay On Bhagat Singh In Hindi
Essay On Bhagat Singh In Hindi

भगत सिंह एक ऐसे देश प्रेमी थे जिन्होंने अपने देश के लिए अपने जीवन की कुर्बानी दी वह शहीद भगत सिंह के नाम से भी जाने जाते हैं. भगत सिंह का पूरा परिवार भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल था जिस वजह से भगत सिंह को बचपन से ही काफी प्रेरणा मिली। भगत सिंह का जन्म सन 1907 को पंजाब में हुआ था बचपन से ही उनके अंदर देश के लिए कुछ करने का जुनून था क्योंकि उनका पूरा परिवार भी देश के लिए समर्पित था उन्हें अपने परिवार के सदस्यों से भी प्रेरणा मिलती थी. भगत सिंह ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी .

उन्होंने b.a. की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लाहौर के नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिया तभी उन्होंने पढ़ाई को बंद करके अपने कुछ साथियों के साथ देश को आजाद कराने का निश्चय किया। भगत सिंह ने जब सन 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड की बारे में सुना तो उन्हें काफी दुख हुआ क्योंकि इसमें कई मासूम लोग मारे जा चुके थे उनके अंदर एक गुस्सा भी था वह अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना चाहते थे, वह अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे.

कुछ ही समय बाद जब लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई तो वह लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेना चाहते थे उन्होंने इस बदले के लिए सबसे पहले ब्रिटिश अधिकारी सॉन्डर्स को मारा और जब भगत सिंह जी को पता लगा की अंग्रेज मजदूर और गरीबों के खिलाफ एक मजदूर विरोधी बिल पारित कर रहे हैं तभी भगत सिंह और उनके साथियों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ कुछ करने का निर्णय लिया और दिल्ली में हो रही अंग्रेजों की एक बैठक में बम फेंक दिया इस बम को फेंकने का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था .

बम बहुत ही सावधानीपूर्वक खाली स्थान पर फेंके गए थे जिससे अंग्रेजों की वह बैठक सफल ना हो फिर कुछ समय बाद ही भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह जेल में रहे जेल का वातावरण अस्वच्छ था वहां पर सभी कैदियों को सही से खाना भी नहीं दिया जाता था जिस वजह से भगत सिंह ने 2 महीनों तक भूख हड़ताल की और आखिर में अंग्रेजों को उनकी बात माननी पड़ी. कुछ समय बाद सन 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई और एक स्वतंत्रता सेनानी देश प्रेमी भगत सिंह इस दुनिया से विदा हो गए।

वास्तव में भगत सिंह एक ऐसे देश प्रेमी थे जिन्होंने अपना सारा जीवन देश के लिए निछावर कर दिया वह अपने देश के लिए हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए हम इस महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के ऋणी हैं।

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