कुम्भ मेला पर निबंध essay on kumbh mela in hindi
essay on kumbh mela in hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं कुंभ मेला पर लिखे इस निबंध को । चलिए अब हम इस लेख के माध्यम से कुंभ मेले के इतिहास को जानेंगे । हमारे भारत देश में कुंभ के मेले का बहुत ही महत्व माना जाता है । ऐसा कहा जाता है कि कुंभ के मेले में स्नान करने से हमारे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं , हम पवित्र हो जाते हैं । ऐसा कहा जाता है कि कुंभ के मेले की शुरुआत आदि शंकराचार्य जी ने की थी ।
आदि शंकराचार्य जी का मानना था कि समुद्र मंथन के समय जो अमृत प्राप्त हुआ था उस अमृत की एक बूंद प्रमुख चार तीर्थों पर गिरी थी और इन चार प्रमुख तीर्थों की नदियां पवित्र हो गई थी । जो व्यक्ति कुंभ के मेले के घाट पर स्नान करता है उसके सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं । कुंभ का मेला 12 साल में लगता है । ऐसा कहा जाता है कि 36 साल में कुंभ के मेले में अमृत की बूंद गिरती है । 12 वर्षों का एक युग माना जाता है । आदि शंकराचार्य जी का मानना था कि जिस स्थान पर हमारी आत्मा शुद्ध होती है वह स्थान तीर्थ स्थान कहलाता है ।
हमारे भारत देश के प्रमुख तीर्थ स्थान प्रयागराज , नासिक , हरिद्वार , उज्जैन आदि तीर्थों पर जाने से हमारी आत्मा पवित्र होती है । इन्हीं चार जगहों पर कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है । कुंभ के मेले में स्नान करने के लिए भारत देश के चारों तरफ से लोग आते हैं। कुंभ के मेले में सभी साधु महात्मा एकत्रित होते हैं । कुंभ के मेले को सफल बनाने के लिए भारत देश की सरकार भी पूरी तैयारियां करती है । कुंभ के मेले में एक साथ में हजारों करोड़ों लोग स्नान करते हैं । हमारे भारत देश में हरिद्वार प्रमुख तीर्थों में से एक माना जाता है ।
हरिद्वार तीर्थ की महिमा प्राचीन समय से ही प्रसिद्ध है । हमारे भारत देश में प्रमुख चार कुंभ मेले लगते हैं । इन चार कुंभो में प्रियाग का कुंभ सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि प्रियाग सभी तीर्थों का राजा माना जाता है । हमारे भारत देश में चार जगह पर कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है । हरिद्वार ,प्रयाग राज , नासिक और उज्जैन आदि स्थान पर कुंभ के मेले लगते हैं । ऐसा कहा जाता है कि जब सिंह राशि पर बृहस्पति सूर्य और चंद्रमा आते हैं तब अमावस्या तिथि पर नासिक में कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है ।
जब सूर्य मेष राशि पर हो एवं बृहस्पति कुंभ राशि पर हो तब हरिद्वार में कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है । जब वृश्चिक राशि पर सूर्य बृहस्पति और चंद्रमा हो तब अमावस्या के दिन उज्जैन में कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है । कुंभ के मेले में काफी भीड़ आती है । कुंभ के मेले में स्नान करके सभी को शांति मिलती है । कुंभ के मेले में बड़े बड़े साधु महात्मा एवं मुनि उपस्थित रहते हैं । लाखों वर्षों तक तपस्या करने वाले साधु महात्माओं के दर्शन करने का सौभाग्य हमें कुंभ के मेले में प्राप्त होता है ।
हमें ऐसे ऐसे साधु कुंभ के मेले में देखने मिलते हैं जो एक टांग पर खड़े होकर कई सालों तक तपस्या कर रहे हैं । कुंभ के मेले में ऐसे ऐसे साधु महाराज आते हैं जिनके बाल बहुत ही लंबे लंबे होते हैं । कुंभ के मेले में अर्ध नंगे साधु महाराज एवं मुनि महाराज भी स्नान करने के लिए आते हैं । कुंभ के मेले में साधु महाराजाओं के रुकने की व्यवस्था सरकार के द्वारा की जाती है ।
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