कोयल पर निबंध Essay on koyal in hindi
Essay on koyal in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कोयल पर लिखें निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और कोयल पर लिखे निबंध को गहराई से पढ़ते हैं ।
कोयल के बारे में – कोयल बहुत ही मधुर बोली बोलने वाली पक्षी है । कोयल की आंखें लाल रंग की दिखाई देती हैं । कोयल कि जो गर्दन होती है उस कर्दन पर रोये होते हैं । कोयल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि कोयल प्रति वर्ष की पांच ऋतु में बहुत कम दिखाई देती है । कोयल का जो स्वभाव होता है वह सीधा स्वभाव होता है । कोयल कभी भी छोटे पेड़ों की शाखाओं पर नहीं बैठती है । कोयल पेड़ की लंबी-लंबी शाखाओं की पत्तियों के पीछे छुप कर बैठती हैं । कोयल की लंबाई तकरीबन 10 से 11 इंच की होती है । कोयल कौवे से थोड़ी मोटी होती है । कोयल दिखने में कौवे जैसी दिखाई देती है ।
कोयल अपनी मीठी बोली के लिए पहचानी जाती है । कोयल जब बोलती है तब उसकी आवाज मीठी बोली की तरह सुनाई देती है । नर कोयल की बोली सबसे अधिक मधुर होती है । नर कोयल का जो रंग होता है वह रंग नीले रंग के साथ काला होता है । मादा कोयल का रंग भुरा होता है । कोयल के शरीर पर धब्बे भी होते हैं जो तीतर की तरह दिखाई देते हैं । कोयल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि कोयल बहुत चतुर पक्षी है । जो कभी भी अपना घोंसला नहीं बनाती है वह दूसरे के द्वारा बनाए गए घोसले में अपने अंडे देती है । कोयल सबसे ज्यादा बसंत ऋतु में दिखाई देती है ।
जब ऋतु परिवर्तन होता है तब वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर चली जाती है । कोयल कीट भक्षी पक्षी के रूप में पहचानी जाती है । जो छोटे-छोटे कीटो , कीड़ों एवं तितलियों को खाकर अपना पेट भरती है । कोयल की जो चोंच होती है वह पेनी होती है । कोयल भले ही दिखने में कौवे के समान लगती हो परंतु कोयल की बोली इतनी मधुर होती है कि कोयल की बोली प्रतिदिन सुनने का मन करता है । जो व्यक्ति कोयल की आवाज सुनता है वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है ।
कोयल जब सुबह के समय बोलती है तब इसकी आवाज में और भी मिठास आने लगती है । यदि हम कोयल के जीवन काल के बारे में बात करें तो कोयल का औसतन जीवन काल तकरीबन 6 वर्ष का होता है । कोयल की पूरे विश्व में तकरीबन 100 से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं । विश्व की अपेक्षा भारत में सबसे अधिक कोयल पाई जाती हैं । जो जंगलों में एवं शहरी पेड़ों पर रहकर अपना जीवन व्यतीत करती हैं । साहित्य में कोयल को एक विशेष स्थान दिया गया है । कई साहित्यकारों के द्वारा कोयल पर कविता लिखी गई हैं ।
कोयल की मीठी बोली पर भी कई कविता लिखी गई हैं । जिन कविताओं को पढ़कर हम अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । नर कोयल और मादा कोयल मे काफी अंतर दिखाई देता है । नर कोयल की अपेक्षा मादा कोयल की बोली बहुत मीठी सुनाई देती है । पूरी दुनिया में कोयल 120 तरह की होती है । कोयल कभी भी जमीन पर नहीं उतरती है वह अपने पंखों के माध्यम से आसमान उडती हैं और थकने पर पैड़ की डालीं पर आराम करती हैं । दुनिया की सबसे बड़ी कोयल की लंबाई तकरीबन 25 इंच की होती है । जिसका वजन तकरीबन 630 ग्राम का होता है ।
दुनिया की सबसे छोटी कोयल का वजन 17 ग्राम का होता है और उस कोयल की लंबाई 6 इंच की होती है ।भारत देश में कोयल की कूक सुनने के लिए सभी चिड़िया घरों में जाते हैं । कोयल की मधुर कुक से आनंद प्राप्त होता है । भारत देश के झारखंड राज्य मे कोयल को राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया है । विश्व के अलग अलग देशों में कोयल को अलग अलग नामों से जाना जाता है । कोयल की मधुर बोली के कारण ही साहित्य में कोयल को प्रथम स्थान दिया गया है ।
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