महाकवि कालिदास जी पर निबंध Essay on kalidas in hindi

Essay on kalidas in hindi

kalidas – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत के महान कवि , महान साहित्यकार कालिदास जी पर लिखें निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और महाकवि कालिदास जी पर लिखें इस निबंध के बारे में पढ़ते हैं ।

Essay on kalidas in hindi
Essay on kalidas in hindi

Image source – https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/dharam-karam/moral-stories/interesting-

महाकवि कालिदास जी के बारे में – संस्कृत भाषा के महान साहित्यकार महाकवि कालिदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य में हुआ था । महाकवि कालिदास जी के जन्म के बारे में कोई भी प्रमाण नहीं है । पर उनके जन्म के बारे में ऐसा कहा जाता है कि महाकवि कालिदास जी का जन्म चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के समय हुआ था  । महाकवि कालिदास का विवाह विद्योत्तमा से हुआ था । महाकवि कालिदास के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह अपने प्रारंभिक जीवन में अशिक्षित थे ।

इसके बाद कालिदास ने शिक्षा प्राप्त करने का प्रण ले लिया था और अपने घर से शिक्षा प्राप्त करने के लिए निकल पड़े थे । कालिदास जी तब तक घर पर वापस लौट कर नहीं आए जब तक कि उन्होंने शिक्षा प्राप्त नहीं कर ली थी । शिक्षा प्राप्त करके ही कालिदास अपने घर पर वापस लौट कर आए थे । इसके बाद कालिदास जी ने  संस्कृत भाषा में कहानियां , रचनाएं लिखी है । संस्कृत के महान लेखक के रूप में कालिदास जी जाने जाते हैं । कालिदास जी के द्वारा लिखी गई रचनाओं को पढ़कर हमें आनंद की अनुभूति होती है ।

महाकवि कालिदास जी की रचनाएं – महाकवि कालिदास जी भारत के सबसे बड़े साहित्यकार थे । महाकवि कालिदास जी संस्कृत भाषा के प्रचंड ज्ञाता थे । महाकवि कालिदास जी ने संस्कृत भाषा में अपनी रचनाएं लिखी हैं । जिन रचनाओं को पढ़कर हम अपने जीवन में आनंद की अनुभूति करते हैं । महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखी गई रचनाएं श्यामा दंडकम् , श्रंगार रसाशतम् , श्रुतबोधम् ,  कपूरमंजरी ,  पुष्पवाण विलासम् , ज्योति विद्याभरणम् , सेतु काव्यम् , श्रृंगार तिलकम् आदि रचनाएं महाकवि कालिदाास जी की सबसे प्रसिद्ध रचनाएं है ।

यह सभी रचनाएं  कालिदास जी ने संस्कृत भाषा में लिखी हैं ।महाकवि कालिदास जी चौथी शताब्दी केेेेेेे संस्कृत भाषा के प्रचंड ज्ञाता थे । महाकवि कालिदास ने संस्कृत भाषा में कई रचनाएं लिखी है । महाकवि कालिदास जी एक ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन में शिक्षा ग्रहण नहीं की थी । परंतु जब उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने का प्रण कर लिया था तब वह घर , परिवार छोड़कर शिक्षा ग्रहण करनेे के लिए घर से निकल पड़े थे ।

कालिदास जी ने पूरी दुनिया को सफलता का मार्ग दिखाने के साथ-साथ सही जीवन जीने के तरीके अपनी  रचनाओं के माध्यम से हम सभी के समक्ष प्रस्तुत किया है । जिन रचनाओं को पढ़कर हम  ज्ञान प्राप्त करते हैं । महाकवि कालिदास जी के द्वारा तकरीबन 40 रचनाएं संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं ।  संस्कृत भाषा में महाकवि कालिदास जी ने ज्ञान प्राप्त करके उस ज्ञान को पूरी दुनिया में उजाला फैलाने के लिए अपनी रचनाओं में समाहित किया है ।

महाकवि कालिदास जी के द्वारा 40 रचनाएं संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं क्योंकि महाकवि कालिदास जी का संस्कृत क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है । इसीलिए संस्कृत भाषा के प्रचंड ज्ञाता के रूप में महाकवि कालिदास जी जाने जाते हैं । भारत देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में महाकवि कालिदास जी को संस्कृत भाषा का प्रचंड ज्ञानी माना जाता है । साहित्य के क्षेत्र में महाकवि कालिदास जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।

इसलिए हम सभी महाकवि कालिदास जी को एक साहित्यकार , लेखक के रूप में जानते हैं । महाकवि कालिदास ने पूरी दुनिया में शिक्षा का उजाला करने के लिए , ज्ञान का उजाला करने के लिए अपनी रचनाएं लिखी हैं । महाकवि कालिदास जी यह जानते थे कि यदि संसार का उद्धार करना है , संसार को विकास के रास्ते पर ले जाना है तो दुनिया में शिक्षा का प्रकाश फैलाना बहुत ही जरूरी है ।

महाकवि कालिदास जी ने विवाह के बाद संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया और उस भाषा में कई ग्रंथ , कई महाकाव्य कालिदास जी के द्वारा लिखे गए हैं ।

महाकवि कालिदास जी के ज्ञान प्राप्त करने का राज – महाकवि कालिदास जी ने जन्म के बाद अपने शुरुआती जीवन में शिक्षा प्राप्त नहीं की थी । समय बीतने के साथ-साथ जब वह बड़े हुए और वह एक आम इंसान की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे । एक बार कई पंडितों ने विद्योत्तमा से अपने अपमान का बदला लेने के लिए विद्योत्तमा का विवाह कालिदास जी से करवानेे का प्लान तैयार किया था । क्योंकि वह पंडित जानते थे की कालिदास एक अनपढ़ व्यक्ति है उसे किसी भी क्षेत्रर का ज्ञान प्राप्त नहीं है ।

योजना बनाकर पंडितों ने विद्योत्तमा का विवाह षड्यंत्र रच कर  महाकवि कालिदास  से करवा दिया था । इसके बाद जब विद्योत्तमा कालिदास सेे शादी करके घर पर आई तब विद्योत्तमा को पता चला कि जिसके साथ मेरी शादी हुई है वह  अशिक्षित है , पढ़ा लिखा नहीं है । जिस व्यक्ति से मेरी शादी हुई है उस व्यक्ति को  किसी भी क्षेत्र का ज्ञान प्राप्त नहीं है । विद्योत्तमा इस विवाह से खुश नहीं थी । महाकवि कालिदास जी ने  जब यह देखा कि विद्योत्तमा मुझसे शादी करने के बाद से खुश नहीं है तब महाकवि कालिदास जी को बहुत बुरा लगा था ।

जब कवि कालिदास जी ने  अपनी पत्नी विद्योत्तमा से अपनी परेशानी का कारण पूछा तब  विद्योत्तमा ने महाकवि कालिदास से यह कहां की  मैं  तुमसे  शादी करने के कारण खुश नहीं हूं क्योंकि तुम्हें  किसी भी क्षेत्र का  ज्ञान नहीं है । तुम एक अनपढ़ व्यक्ति हो  इसीलिए  मैं  इस शादी से खुश नहीं हूं । विद्योत्तमा से यह सुनकर महाकवि कालिदास जी ने यह निर्णय लेे लिया था की मैं तब तक घर पर लौट कर नहीं आऊंगा जब तक मुझे ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो जाए ।

मैं अपनी पत्नी को अपनी शक्ल तब दिखाऊंगा जब ने पूर्ण रूप से शिक्षित होकर घर पर आऊंगा । इस तरह सेेे कालिदास जी ने शिक्षा प्राप्त  करने का संकल्प लेकर घर से बाहर निकल गए थे और उन्होंने मेहनत करते हुए , एक शहर सेे दूसरे शहर भटकते हुए ज्ञान प्राप्त किया और संस्कृत भाषा केेेे प्रचंड ज्ञाता बने । आज कई रचनाएं महाकवि कालिदास के द्वारा लिखी मानव जीवन के लिए सफलता का रास्ता दिखा रही है ।

जो भी व्यक्ति महाकवि कालिदास जी की रचनाएं पड़ता है  वह अपने जीवन में सफलता ही सफलता प्राप्त करता है । कालिदास जी के अथक प्रयासों से हमें उनके द्वारा लिखे गए महाकाव्य , काव्य ग्रंथ एवं कई रचनाएं हम सभी को पढ़ने को मिलती हैं । ऐसे महाकवि कालिदास का हम सभी को अभिनंदन करना चाहिए । कालिदास जी की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम हैैै । कालिदास जी के अथक प्रयासों से ही हमें संस्कृत का प्रचंड ज्ञान प्राप्त हुआ है ।

कलिदास जी ने हम सभी लोगों को एक सीख दी है और वह सीख यह हैै कि यदि कोई मनुष्य किसी काम को करने की ठान ले तो वह मेहनत करके , निरंतर सफलता की ओर  बढ़ते रहने से  उसको सफलता अवश्य प्राप्त हो जाति है । जिस तरह से महाकवि कालिदास जी ने शिक्षा प्राप्त करने का संकल्प लिया था और महाकवि कालिदास जी ने अपनी मेहनत और लगन से उस संकल्प को पूरा किया था ।

महाकवि कालिदास जी ने यह साबित कर दिया था की यदि कोई व्यक्ति किसी काम को करनेे में अपनी पूरी पॉजिटिव एनर्जी लगा दे तो वह कुछ भी प्राप्त कर सकता है ।

महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए महाकाव्यों के बारे में – संस्कृत के प्रचंड ज्ञानी , प्रचंड ज्ञाता महाकवि कालिदास जी एक ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने अपनी मेहनत , सोच-विचार करके दुनिया को सही रास्ते पर चलाने के लिए कई महाकाव्य , रचनाएं लिखी  हैं । महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए महाकाव्यों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए महाकाव्य कुमार संभव महाकाव्य में महाकवि कालिदास जी ने पार्वती माता की सुंदरता की प्रशंसा की है ।

महाकवि कालिदास जी ने पार्वती की सुंदरता के बारे में यह कहा है कि पूरी सृष्टि से सुंदरता एकत्रित करके माता पार्वती की सुंदरता बनी है । माता पार्वती की सुंदरता का बखान महाकवि कालिदास जी ने कुमारसंभव महाकाव्य में की है । कालिदास जी के द्वारा लिखा गया महाकाव्य कुमारसंभव महाकाव्य जब हम पढ़ते हैं तब हमें यह पता चलता है कि महाकवि कालिदास जी माता पार्वती की सुंदरता का किस तरह से बखान करते हैं ।

महाकवि कालिदास जी के द्वारा कुमारसंभव महाकाव्य में पार्वती माता की सुंदरता के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह विश्व सुंदरी हैं उनकी सुंदरता पूरी दुनिया से एकत्रित की गई है ।

महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए काव्य ग्रंथ – महाकवि कालिदास जी ने पूरी दुनिया को सही रास्ते पर चलने का मार्ग दिखाया है । महाकवि कालिदास जी के द्वारा कई काव्य ग्रंथ लिखे गए हैं । अब मैं आपको उन ग्रंथों के नाम बताने जा रहा हूं । महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए ग्रंथ रघुवंश , मेघदूत , ऋतुसंहार , कुमारसंभव आदि काव्य ग्रंथ महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए हैं । जिन ग्रंथों को पढ़कर हम सभी ज्ञान प्राप्त करते हैं ।

महाकवि कालिदास जी एक साहित्यकार थे । महाकवि कालिदास जी संस्कृत भाषा के प्रचंड ज्ञाता थे । महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए ग्रंथों को पढ़कर हम सभी सही मार्ग प्राप्त करते हैं । महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखी गई बातों से सीख लेकर हम सफलता की ओर बढ़ते हैं । महाकवि कालिदास जी के विचारों को अपने जीवन में अपनाकर हम सफलता की ऊंचाई पर पहुंचते हैं ।

महाकवि कालिदास जी का सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि दुनिया में ज्ञान का उजाला हो सभी लोग शिक्षित हो , कोई भी अशिक्षित ना हो । जिससे कि सभी लोग सफलता की ओर बढ़ सके । क्योंकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही मनुष्य को सफलता के रास्ते प्राप्त होते हैं । इसीलिए महाकवि कालिदास जी ने काव्य ग्रंथों को लिखा है । हम सभी को यह कोशिश करना चाहिए कि हम सभी महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए ग्रंथों को पढ़े और पढ़ने के बाद उन ग्रंथों में लिखे विचारों को अपने जीवन में अपनाएं । जिससे हम सच्चाई के रास्ते पर चलेंगे और हमें सफलता प्राप्त होगी ।

महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए नाटक के बारे में – महाकवि कालिदास जी के द्वारा कई नाटक लिखे गए हैं । जब हम उन नाटक को देखते हैं तब हमें शिक्षा प्राप्त होती है , ज्ञान प्राप्त होता है । जब हम महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए नाटकों को पढ़ते हैं या देखते हैं तब हमें खुशी का , आनंद का अनुभव होता है ।इसके साथ साथ हमें ज्ञान की प्राप्ति भी होती है । महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए नाटकों के नाम इस प्रकार से है मालविकाग्नि मित्र , अभिज्ञान शकुंतलम , विक्रमोवर्शीय  आदि नाटक महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखे गए हैं ।

यह नाटक शिक्षाप्रद है । इन सभी नाटक को पढ़कर , देखकर हम सभी को आनंद की अनुभूति होती है । इसलिए महाकवि कालिदास जी को भारत का नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक साहित्यकार के रूप में जानते हैं । महाकवि कालिदास जी ने संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करने के लिए संस्कृत भाषा में कई रचनाएं , कई नाटक , कई काव्य ग्रंथ लिखे हैं और इन सभी ग्रंथों को दूर-दूर तक पहुंचाया है । जिससे कि सभी लोग शिक्षा प्राप्त करें और अपने जीवन में आनंद की अनुभूति प्राप्त करें ।

महाकवि कालिदास जी के द्वारा लिखी गई रचनाएं बहुत ही अच्छी और सुंदर हैं । इन सभी रचनाओं को पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है ।

कालिदास जी को प्राप्त उपाधि – महाकवि कालिदास जी एक सच्चे इंसान थे । उनके अंदर दया भाग की भावना थी । वह समाज को एक दिशा देना चाहते थे । इसीलिए महाकवि कालिदास जी ने संसार को सही रास्ता दिखाने के लिए रचनाएं लिखी हैं । उनके इस काम को पूरी दुनिया कभी नहीं भुला सकती है क्योंकि उन्होंने मनुष्य जीवन को सही रास्ते पर चलाया है । उनके इस योगदान के लिए कालिदास जी को महाकवि की उपाधि दी गई थी और पूरी दुनिया में महाकवि कालिदास जी को महाकवि कालिदास जी कहने लगे थे ।

महाकवि कालिदास जी एक अच्छे स्वभाव वाले व्यक्ति थे । उनके अंदर दया भक्ति भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी । जब वह किसी गरीब को देखते थे तब उनके अंदर दया भक्ति भावना जागृत होती थी और कालिदास जी उस गरीब की मदद किया करते थे । महाकवि कालिदास जी देश में फैली हुई गरीबी से नाखुश थे । वह निरंतर अपने लेखों के माध्यम से देश की गरीबी के बारे में बातचीत किया करते थे । महाकवि कालिदास जी का कहना था कि देश से गरीबी दूर हो ।

महाकवि कालिदास जी यह बात जानते थे कि यदि देश से गरीबी दूर करना है तो देश में ज्ञान का प्रकाश फैलाना होगा । इसी उद्देश्य से महाकवि कालिदास जी ने ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए रचनाओं को लिखकर हम लोगों के लिए  दी है ।

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह जबरदस्त आर्टिकल महाकवि कालिदास पर निबंध Essay on kalidas in hindi यदि आपको पसंद आए तो सबसे पहले आप सब्सक्राइब करें इसके बाद अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर अवश्य करें धन्यवाद ।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *